स्वाइन फ्लूः आयुर्वेद बनाम एलोपैथी
इन दिनों सोशल मीडिया पर स्वाइन फ्लू से बचने के आयुर्वेदिक फार्मूले खूब पोस्ट किए जा रहे हैं. लोग इन पर अमल भी कर रहे हैं.
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स्वाइन फ्लू से अब तक देशभर में तकरीबन 815 लोगों की मौत हो चुकी है. 13 हजार से ज्यादा लोग बीमारी हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर इस बीमारी से बचने के आयुर्वेदिक फार्मूले खूब पोस्ट किए जा रहे हैं. लोग इन पर अमल भी कर रहे हैं. लेकिन, क्या ऐसा करना सुरक्षित है-
स्वाइन फ्लू को लेकर सोशल मीडिया में आए ये आयुर्वेदिक फॉर्मूले-
01. कपूर, छोटी इलायची और लौंग या दालचीनी को समान मात्रा में लेकर कूट लें. और कपड़े में बांधकर उसकी छोटी सी पोटली बनाकर साथ रखें. हर आधे घंटे में उसे सूंघते रहें.
02. तुलसी के 4-5 पत्ते, 5 ग्राम अदरक, चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और इतनी ही हल्दी को एक कप पानी या चाय में उबालकर दिन में दो-तीन बार पिएं.
03. गिलोय (अमृता) बेल की डंडी को पानी में उबाल या छानकर पिएं. या गिलोय सत्व दो रत्ती यानी चौथाई ग्राम पौना गिलास पानी के साथ लें.
04. तुलसी के 5-6 पत्ते और काली मिर्च के 2-3 दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में दो-तीन बार पिएं.
05. आधा चम्मच हल्दी पौना गिलास दूध में उबालकर पिएं. आधा चम्मच हल्दी गरम पानी या शहद में मिलाकर भी लिया जा सकता है.
06. आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं. या तुलसी पत्र एवं आज्ञाघास (जरांकुश) उबालकर पिएं.
07. दालचीनी चूर्ण शहद के साथ अथवा दालचीनी की चाय भी लाभदायक है. गिलोय, कालमेध, चिरायता, भुईं-आंवला, सरपुंखा, वासा जड़ी-बूटियों का मिश्रण भी फायदेमंद है.
कितने कारगर हैं आयुर्वेद फार्मूले ?
यह सवाल कई लोगों के मन में है. आयुर्वेद विशेषज्ञों की माने तो हां. दिल्ली में वर्षों से आयुर्वेद, नैचुरोपैथी और योग के सहारे रोगों का उपचार करने वाले जाने-माने आयुर्वेदाचार्य डॉ. एस.एन.यादव इस दावे की पुष्टि करते हैं. डॉ. यादव बताते हैं कि स्वाइन फ्लू का वायरस उन लोगों पर ज्यादा हमला करता है जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. ज्यादातर दस साल से कम उम्र के बच्चे, मधुमेह रोगी, दवा ले रहे मरीज और गर्भवती महिलाएं इसका शिकार हो रहे हैं. कपूर, इलायची, लौंग, दालचीनी के मिश्रण को सूंघने से हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ये स्वाइन फ्लू ही नहीं बल्कि सभी तरह के हानिकारक जैविक हमलों का सामना कर सकती है. डॉ. यादव सलाह देते हुए कहते हैं कि अगर घर में कपूर के ऊपर गुड़, लोबान और गुगल का एक छोटा टुकड़ा रखकर हवन के समान जलाया जाए तो उसका धुंआ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सबसे बेहतर उपाय है. और घर के अंदर रहने वाले सभी रोग संबधी तत्व भी उस धुंए से खत्म हो जाते हैं.
एलोपैथी में स्वाइन फ्लू का उपचार
जाने-माने फिजिशियन और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजीव मिगलानी का मानना है कि आयुर्वेद में स्वाइन फ्लू के उपचार को लेकर कोई शोध अभी तक सामने नहीं आया है. इसलिए इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन स्वाइन फ्लू से घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है. इसका शिकार हुए 85 फीसदी मरीज 7 दिनों के भीतर प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता की वजह से अपने आप ठीक हो जाते हैं. केवल 15 फीसदी मरीज होतें हैं जिन्हें हाई रिस्क की श्रेणी में रखा जाता है.
डॉ. मिगलानी के मुताबिक कुछ बातों का ध्यान रखकर इस बीमारी से बचा सकता है-
01. विटामिन-सी से भरपूर फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें. खाना बनाते और खाते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
02. खांसते-छींकते समय मुंह और नाक पर टिश्यू रखें. बलगम बहते पानी में डालें.
03. यदि परिवार में कोई स्वाइन फ्लू से पीडित है तो उसके कपड़ों को अलग से रखा और धोया जाए. पीडित के नाक और मुंह को ना छुएं.
04. चिकित्सक की सलाह से बेहतर मास्क पहनें. ज्यादा लोगों से ना मिलें.
05. रोगी के सम्पर्क में ज्यादा ना आएं. घर में साफ-सफाई पर ध्यान दें.
06. सार्वजनिक और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें. लोगों से गले मिलने और चुंबन आदि करने से बचें.
07. अगर किसी व्यक्ति को लगातार खांसी और छींके आ रही हों तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी पर रहें.
डॉ. मिगलानी के मुताबिक स्वाइन फ्लू के मरीजों को WHO और NTGL के अनुसार तीन श्रेणियों में बांटा गया है. ए, बी और सी. स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण होने के बावजूद ए और बी श्रेणी के रोगियों को टेस्ट की भी ज़रूरत नहीं होती. सामान्य दवाओं से उनका उपचार हो जाता है. सी श्रेणी के तहत आने वाले गंभीर रोगियों के सभी टेस्ट कराए जाते हैं. वो बताते हैं कि स्वाइन फ्लू गर्मी बढ़ने के साथ ही खत्म हो जाएगा. 32 डिग्री सेल्सियस तापमान के बाद इसका वायरस नष्ट होने लगेगा.
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