टीम इंडिया की हार का विश्लेषण: टीम चयन और योजनाओं का अभाव
टीम इंडिया (Team India) की ये हार पहले से तय दिख रही थी. पाकिस्तान (Pakistan) से हम पहला मैच हारते-हारते जीते थे. उसके बाद के मैच कमजोर टीमों के खिलाफ थे, जिन्हें आप जीत गए. लेकिन, उन मैचों का भी सूक्ष्म विश्लेषण करेंगे. तो, पाएंगे कि वहां भी हमारा प्रदर्शन क्षमता के अनुरूप नहीं था.
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ये हार पहले से तय दिख रही थी. पाकिस्तान से हम पहला मैच हारते-हारते जीते थे. उसके बाद के मैच कमजोर टीमों के खिलाफ थे, जिन्हें आप जीत गए. लेकिन, उन मैचों का भी सूक्ष्म विश्लेषण करेंगे. तो, पाएंगे कि वहां भी हमारा प्रदर्शन क्षमता के अनुरूप नहीं था.
एक सौ तीस करोड़ के ऊपर की जनसंख्या वाले देश में ऐसा नहीं है कि खिलाड़ी नहीं हैं. टीम इंडिया के पास पर्याप्त और बेहतर खिलाड़ी हैं. लेकिन, टीम इंडिया के पास योजना का अभाव साफ झलकता है. कार्तिक को किस आधार पर चयनित करते हैं? उसमें क्रिकेट का कितना भविष्य है? क्या निधास ट्रॉफी की सिर्फ एक पारी के दम पर आप उन्हें खिलाते चले जायेंगे? उम्रदराज शिखर धवन को वनडे में आप किस योजना के तहत चयनित करते चले जा रहे हैं? केएल राहुल में नियमितता के अभाव को देखते हुए भी हम निवेश करते चले जा रहे हैं. बार-बार कहा जा रहा है कि केएल राहुल सिर्फ जिम्बाब्वे, नामीबिया जैसी टीमों और चिन्नास्वामी जैसी विकेटों के खिलाड़ी हैं. बड़े मैचों में वे फेल ही दिखते हैं. भुवनेश्वर विश्वकप से पहले ही खराब फार्म से जूझ रहे थे. पेस की कमी के कारण जहां स्विंग नहीं होती, वहां वे बेरंग दिखते हैं. साथ ही अब उनमें पहले जैसी स्विंग भी नहीं रही. अश्विन काफी समय से टी20 टीम का हिस्सा नहीं थे. उन्हें विश्वकप से ठीक पहले खिलाना शुरू किया गया. यह योजनाओं की शून्यता को साफ दर्शाता है.
टीम इंडिया के पास दूरदर्शी योजनाओं की कमी साफ नजर आती है.
कभी हमारी टीम योजनाओं का हिस्सा रहे पृथ्वी शॉ गायब हैं. श्रेयस अय्यर सिर्फ टीम के साथ टूर पर जाते हैं. जिस ऋषभ पंत को अबतक टीम में जम जाना था. उसे हम टुकड़ों में मौका देकर उसके आत्मविश्वास को डिगा रहे हैं. लगातार बेहतर खेल रहे संजू सैमसन तभी टीम का हिस्सा होते हैं, जब दूसरी टीम कमजोर होती है और हमें अपने खिलाड़ियों को आराम देने के लिए दूसरे दर्जे की टीम चुननी होती है. ईशान किशन के साथ भी यही हाल है. चाइनामैन कुलदीप यादव आज टीम योजनाओं में नहीं है. चहल भी सिर्फ टूर पर ही जाते हैं.
पिछले कई मैचों से हम देख रहे हैं कि शुरुआत के ओवरों में हम 6 से 7 की रन रेट से रन बनाते हैं और विकेट बचाते हैं. आप लाख तकनीक के धनी हों. लेकिन अगर आपके बल्ले से रन ही नहीं निकलते. तो, उस तकनीक के क्या मायने हैं? टी20 मैचों मे आखिरकार आपकी तकनीक नहीं बल्कि स्कोरबोर्ड पर टंगे रन और स्ट्राइक रेट ही मायने रखती हैं. भारत को अपने खेलने के तरीके में परिवर्तन करना होगा. ओपनिंग किसी भी पारी का आधार होता है. भारत को इसके लिए सहवाग के दौर से प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे सहवाग शुरुआत के आठ-दस ओवरों में विस्फोटक शुरुआत दे जाते थे. इससे बाद के बल्लेबाजों को कुछ गेंदे जाया करते हुए जमने का अवसर मिल जाता था. आज इसका उल्टा होता है. शुरुआत से ही रन रेट नीचे रहता है और बाद के बल्लेबाजों पर एकदम से रनरेट बढ़ाने का प्रेशर रहता है. भारत को इस कमी को दूर करने के लिए अपनी योजनाएं बनानी होंगी.
न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच जीतने के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों का जश्न और रिजवान द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ख़ुदा का नाम लेते हुए पाकिस्तान का जिक्र करना कुछ लोगों को भले खराब लगा हो. लेकिन, यह उनका अपने मुल्क के प्रति समर्पण को दिखाता है. कल से मैंने सोशल साइट्स पर पीसीबी द्वारा डाले गए कई शॉर्ट वीडियोज देखे हैं. इन सबमे पाकिस्तान के प्रति उनके समर्पण को महसूस किया जा सकता है. पाकिस्तान की जीत के बाद उनके खिलाड़ियों का स्टेडियम के चक्कर लगाना साफ दर्शा रहा था कि वह जीत और मुल्क उनके लिए कितना जरूरी है.
आईपीएल में अथाह पैसा और शोहरत भारतीय खिलाड़ियों की इस भावना में कमी लायी है. कई खिलाड़ियों का आराम के नाम पर भारत के लिए कभी-कभी खेलने से इंकार करना इसकी सबसे बड़ी बानगी है. जबकि, वही खिलाड़ी आईपीएल का एक मैच भी मिस करने से कतराते हैं.
आगे के टूर्नामेंट में हम बेहतर खेलें. इसके लिए हमें दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी. हमे दिलीप वेंगसरकर जैसे चयनकर्ताओं से सीख लेनी चाहिए. हमें खिलाड़ियों के नाम से नहीं बल्कि उनके प्रदर्शन से टीम में चयनित करना होगा. अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो हमें सेमीफाइनल को ही फाइनल मानकर खुश हो जाना चाहिए और आईपीएल नामक शो का जश्न मनाते रहना चाहिए.
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