ओलंपिक में भारत की बड़ी उम्मीद बिखरने से ज्यादा कष्टदायी है खिलाड़ी-कोच विवाद
ओलंपिक में शर्मनाक हार का मुंह देखने के बाद शूटर मनु भाकर और टेबल टेनिस प्लेयर मोनिका बत्रा की घर वापसी हो चुकी है. दोनों ही खिलाड़ियों के नाकाम होने की वजह खिलाड़ी-कोच विवाद को बताया जा रहा है.
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टोक्यो ओलंपिक के दौरान अब तक हुए टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाले कुछ युवा निशानेबाज ओलंपिक दबाव में आ गए. शूटर मनु भाकर और सौरभ चौधरी ने पिछले दिनों हुए कुछ टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया था इसलिए ओलंपिक में भारत को इन खिलाड़ियों से बहुत उम्मीद थी. हालांकि पिस्टल के कारण बीते दिन हुए एक टूर्नामेंट में मनु 10 मीटरएयर पिस्टल महिला फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में विफल रही.
कोच जसपाल राणा और मनु भाकर के बीच तालमेल नहीं बैठ पाया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि टोक्यो ओलंपिक से पहले भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) नहीं चाहता था कि कोच और खिलाड़ी के बीच का विवाद ओलंपिक जैसे महत्वपूर्ण इवेंट को प्रभावित करे जबकि इसके लिए पूर्व में प्रयास हुए थे.
एनआरएआई ने तब उस वक़्त भी राणा को बुलाया था जब उन्होंने मनु के इस सवाल पर कि आखिर वो क्यों युवा निशानेबाजों के साथ काम करने को तैयार नहीं हैं? अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दी थी.
मनु भाकर के ख़राब प्रदर्शन की वजह उनका कोच से तालमेल न बैठा पाना भी है
ये उन बातों का हिस्सा है जो शूटर मनु भाकर और उनके कोच जसपाल राणा के संदर्भ में भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रनिंदर सिंह ने कहीं हैं.
ये तो हो गयी शूटर्स की बात. अब एक नजर टेबल टेनिस पर भी डाल ली जाए. भारत का प्रतिनिधित्व करने टोक्यो पहुंची टेबल टेनिस टीम का हाल शूटर्स से भी बुरा था. वहां एक अलग ही तरह का घमासान मचा हुआ था. दिलचस्प ये कि वहां भी विवाद की वजह खिलाड़ियों और कोच के बीच की ट्यूनिंग है.
पहले जानिए क्या है मामला
इस बात को तो हम सभी जानते हैं कि मेडल के लिहाज से टोक्यो ओलंपिक अब तक भारत के लिए काफी निराशाजनक रहा है. टेबल टेनिस में मनिका बत्रा से देश को काफी उम्मीदें थीं. इवेंट में जाने से पहले भारतीय चयन समिति द्वारा यही माना जा रहा था कि मनिका अपने गेम की बदौलत भारत को मेडल दिलवा सकती हैं. लेकिन मनिका बत्रा भी महिला एकल के तीसरे दौर में हारकर प्रतियोगिता से बाहर हो गई हैं.
मनिका को ऑस्ट्रिया की सोफिया पोलकानोवा के हाथों 8-11, 2-11, 5-11, 7-11 से करारी हार का सामना करना पड़ा. मिक्स्ड डबल्स में मनिका बत्रा की चुनौती पहले ही खत्म हो चुकी थी.
पोलकानोव के खिलाफ मुकाबले में मनिका बत्रा को कोच की कमी साफ खलती दिखी. दरअसल, मनिका के निजी कोच सन्मय परांजपे को उनके मुकाबले के दौरान स्टेडियम में आने की अनुमति नहीं मिली थी. इसके विरोध में उन्होंने राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय की सेवाएं लेने से इनकार कर दिया था.
हालांकि जब 24 जुलाई को अचंत शरत कमल और मनिका मिक्स्ड डबल्स में राउंड -16 का मैच खेलने उतरे थे, तो सौम्यदीप रॉय कोच कॉर्नर में दिखे थे.
मेडल के लिए भारत को टेबल टेनिस प्लेयर मोनिका बत्रा से भी बहुत उम्मीदें थीं
क्या कहा मोनिका ने
हार के बाद मोनिका की खीज लाजमी थी. ओलंपिक जैसे महत्वपूर्ण इवेंट में जो कुछ भी हुआ उसपर मनिका का कहना था कि, 'सबको कोई न कोई चाहिए होता है पीछे से सपोर्ट करने के लिए.
मैं जिसके साथ खेल रही थी, उसके पीछे भी कोच था. ओलंपिक के इतने बड़े इवेंट में इस स्टेज पर मानसिक रूप से मजबूत रखने और सलाह देने के लिए कोच का रहना जरूरी होता है.
मैंने कोच को अनुमति देने के लिए पहले अनुरोध किया था. मैं इसके लिए किसी को दोष नहीं दे रही.'
विवाद अपनी जगह लेकिन पहले जानिए काम की बात
ओलंपिक में मिली शर्मनाक हार के बाद शूटर मनु भास्कर और टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा की घर वापसी हो गई है. राष्ट्रवाद से लबरेज हम भारतीय कोच विवाद के मद्देनजर एक हज़ार तर्क रख सकते हैं और बता सकते हैं कि यदि चयन समिति थोड़ी लिबरल होती तो आज स्थिति दूसरी होती. लेकिन क्या यही सच्चाई है? फैसला खुद कीजिये.
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