PV Sindhu समेत टोक्यो ओलंपिक में 6 भारतीय लड़कियां बनीं न्यूजमेकर, लड़के कहां गए?
टोक्यो ओलंपिक के शुरू होते ही भारत में अचानक से खेलों के प्रति नजरिया बदल जाता है. हर चार साल में एक बार होने वाले ओलंपिक गेम्स के दौरान भारत की 'पुरुष क्रिकेट टीम' की लोकप्रियता कुछ दिनों के लिए अपने निम्नतम स्तर पर आ जाती है.
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टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) के शुरू होते ही भारत में अचानक से खेलों के प्रति नजरिया बदल गया है. पुरुषों के वर्चस्व वाला क्रिकेट खबरों में पीछे चला गया है. और CBSE board results की तरह ओलंपिक में भी लड़कियों के बाजी मार लेने की चर्चा है. टोक्यो ओलंपिक के पहले ही दिन वेट लिफ्टिंग में मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने सिल्वर मेडल अपने नाम कर इतिहास बना दिया. असम की लवलीना बोरगोहेन (Lovelina Borgohain) ने बॉक्सिंग में पदक पक्का कर लिया है. सेमीफाइनल हार जाने के बावजूद पीवी सिंधूू (PV Sindu) बैडमिंटन कांस्य पदक (badminton bronze medal) की रेस में बनी हुई हैं. कमलप्रीत कौर, वंदना कटारिया ने भी नाम किया है. उधर, दर्जनों खेलों में भारतीय लड़के पदक पाने की कोशिशों में हैं. लेकिन, मामला सिफर ही है. आइए जानते हैं टोक्यो ओलंपिक की उन 6 भारतीय लड़कियों को बारे में जो न्यूजमेकर बनी हुई हैं.
टोक्यो ओलंपिक के पहले ही दिन मीराबाई चानू हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था.
मीराबाई चानू: सिल्वर मेडल
टोक्यो ओलंपिक के पहले ही दिन मीराबाई चानू हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था. पूर्वोत्तर भारत के एक छोटे से गांव की इस 26 वर्षीय लड़की ने वेट लिफ्टिंग की प्रतिस्पर्धा में भारत के लिए स्नैच में 87 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 115 किलोग्राम का भार उठाकर साबित कर दिया कि भारतीय लड़कियां कोई भी वजन आसानी से उठा सकती हैं. बशर्ते इसके लिए उन्हें माहौल दिया जाए. मीराबाई चानू वेटलिफ्टिंग में भारत की ओर से सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं.
टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने भारत के लिए एक और पदक पक्का कर दिया है.
लवलीना बोरगोहेन: पदक पक्का
टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) ने भारत के लिए एक और पदक पक्का कर दिया है. 23 वर्षीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने वेल्टरवेट वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए चीनी ताइपे की पूर्व विश्व चैंपियन चेन निएन-चिन को 4-1 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया. मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन का पदक तय हो चुका है. लेकिन, उन्होंने इसे गोल्ड में बदलने की हुंकार भर दी है. सेमीफाइनल में प्रवेश के बाद लवलीना ने कहा कि मेडल तो सिर्फ एक होता है, वो है गोल्ड.
हार के बावजूद ब्रॉनज मेडल की रेस में बनी हुई हैं पीवी सिंधू.
पीवी सिंधू: ब्रॉन्ज की रेस में
भारतीय शटलर पीवी सिंधू (PV Sindhu) गोल्ड की रेस से भले ही बाहर हो चुकी हों, लेकिन टोक्यो ओलंपिक में अभी भी उनके पास पदक की उम्मीद बची हुई है. महिला एकल में शटलर पीवी सिंधू का सेमी-फाइनल मुकाबला वर्ल्ड नंबर 1 चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के बीच था. जिसमें उन्हें टोक्यो ओलंपिक की पहली हार का सामना करना पड़ा. इससे पहले के सभी क्वालीफाइंग और क्वार्टर फाइनल मैचों में पीवी सिंधू ने शानदार प्रदर्शन किया था.
टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम की ओर से गोल की हैट्रिक लगाने वाली वंदना कटारिया.
वंदना कटारिया: महिला हॉकी में गोल की पहली हैट्रिक
टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम की ओर से हैट्रिक लगाने वाली उत्तराखंड की वंदना कटारिया (Vandana Katariya) का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है. दक्षिण अफ्रीका के साथ करो या मरो के मैच में वंदना कटारिया ने लगातार तीन गोल दागकर भारतीय महिला हॉकी टीम को 4-3 से जीत दिलाई. वंदना कटारिया गोल की हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई है. इसी साल मई में वंदना के पिता का निधन हो गया था और वो बेंगलुरु में ओलंपिक की तैयारी करने के चलते हरिद्वार नहीं आ सकी थीं.
डिस्कस थ्रो प्रतिस्पर्धा में भारत की कमलप्रीत कौर ने अपने प्रदर्शन की बदौलत फाइनल में जगह बना ली है.
कमलप्रीत कौर: डिस्कस थ्रो के फाइनल में
टोक्यो ओलंपिक की डिस्कस थ्रो प्रतिस्पर्धा में भारत की कमलप्रीत कौर (Kamalpreet Kaur) ने अपने प्रदर्शन की बदौलत फाइनल में जगह बना ली है. कमलजीत ने डिस्कस थ्रो के तीसरे प्रयास में 64 मीटर का थ्रो कर फाइनल में जगह पक्की की है. पढ़ाई में कमजोर कमलप्रीत कौर ने खेल की ओर ध्यान दिया और आज अपने प्रदर्शन के दम पर ये नेशनल रिकॉर्ड होल्डर ओलंपिक के फाइनल में है. अगर कमलप्रीत कौर अपने प्रदर्शन को बनाए रखती हैं, तो एथलेटिक्स में भारत के लिए मेडल लाने वाली पहली भारतीय बन जाएंगी.
छह बार की विश्व चैम्पियन हैं मैरी कॉम.
मैरी कॉम: 38 वर्षीय बॉक्सर, जो आइकन बन गई
छह बार की विश्व चैम्पियन मैरी कॉम (Mary Kom) टोक्यो ओलंपिक में पदक की रेस से भले ही बाहर हो चुकी हों. लेकिन, वो हर भारतीय लड़की के लिए एक आइकॉन बन गई हैं. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम फ्लाईवेट के प्री क्वार्टरफाइनल में तीन में से दो राउंड जीतने के बाद भी जजों के खराब फैसले के चलते बाहर हो गईं. मैरी कॉम अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के मुक्केबाजी कार्यबल की 10 सदस्यीय एथलीट ग्रुप का हिस्सा हैं और पैनल में एशियाई ब्लॉक का प्रतिनिधित्व करती हैं. 38 वर्षीय भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम ने अपने बच्चों की परवरिश के साथ ही अपने खेल पर पूरा फोकस बनाए रखा है.
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