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Updated: 05 सितम्बर, 2015 11:52 AM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी ने पिछले साल मेलबर्न टेस्ट के बाद टेस्ट मैचों को अलविदा कह दिया था. अब उसके करीब आठ-नौ महीनों बाद टीम इंडिया में सेनापति के बदले जाने का अहसास होने लगा है. श्रीलंका दौरे पर जो कुछ देखने को मिला, उससे तो कम से कम ऐसा ही लगता है. अमूमन, बेहद शर्मीले और कम बोलने वाले इशांत शर्मा जिस गुस्सैल रूप में नजर आए वह बता गया कि इंडियन क्रिकेट में एक बार फिर बहुत कुछ तेजी से बदल रहा है.

श्रीलंका दौरा इशांत के लिए काफी सफल रहा और वह तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 13 विकेट चटकाने में कामयाब रहे. लेकिन उनका स्वभाव कोलंबो टेस्ट में जायज था या नहीं. इस पर बहस चल रही है. इशांत के कोच श्रवण कुमार कह रहे हैं कि इशांत के व्यवहार पर विराट कोहली की कप्तानी का प्रभाव नजर आ रहा है. इसलिए शायद वह मैदान में पहली बार इतने उग्र दिखे. नतीजा ये रहा कि इशांत पर एक टेस्ट का बैन लग गया.

विराट के साथ बदल रही टीम इंडिया: पिछले साल टीम इंडिया जब पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने ऑस्ट्रेलिया पहुंची, उसी वक्त यह बदलाव नजर आने लगा था. धोनी एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट में हिस्सा नहीं ले सके और कोहली को पहली बार टेस्ट मैचों में कप्तानी का मौका मिला. फिर तो पूरा मोर्चा कोहली अकेले ही संभालने लगे. लगा मैच भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच नहीं कोहली और कंगारुओं के बीच हो रहा है. दोनों ओर से हर हथकंडा अपनाया गया और कोहली बल्ले के साथ मुंह से भी जवाब देने से नहीं चूके.

कोहली की खूब तारीफ हुई और लगा कि ईंट का जवाब पत्थर से देने वाला टीम इंडिया को मिल गया. लेकिन क्या श्रीलंका में जो हआ, उसे टाला नहीं जाना चाहिए था? आक्रामकता जरूरी है लेकिन कई बार जब आप बेवजह विवाद पैदा करने लगते हैं तो फजीहत अपनी ही होती है.

कोहली और गांगुली की तुलना: लॉर्ड्स की बालकनी में 13 जुलाई, 2002 को नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में इंग्लैंड को हराने के बाद गांगुली जब टी-शर्ट उतारकर हवा में लहराते हैं, तो शायद वह इंडियन क्रिकेट में दूसरा बड़ा बदलाव था. पहला बदलाव आप 1983 के विश्व कप को मान सकते हैं. साल 1999-2000 के आस-पास मैच फिक्सिंग के साये के बीच कमान सौरव गांगुली को मिली और टीम इंडिया एक नए कलेवर में खड़ी हुई. बहरहाल, ग्रेग चैपल से विवाद के कारण गांगुली के बाद उनके ठीक उलट नेचर वाले राहुल द्रविड़ को कप्तानी मिली. विश्व कप-2007 से जल्द वापसी ने बतौर कप्तान द्रविड़ की पारी पर भी लगाम लगा दिया और धोनी नए स्टार बन कर उभरे और खूब चले.

धोनी के साथ हर फॉर्मेट में टीम कामयाबी के झंडे गाड़ते चली गई लेकिन एक नए तरीके से. वहां न गुत्थमगुत्थी थी, न हर बार पलट कर जवाब देने की बेचैनी. बल्ले और गेंद से जवाब दिया जाता था, बेहद कूल अंदाज में. टी-20 विश्व कप में स्टूअर्ट ब्रॉड के छह गेंदों पर युवराज के छह छक्के उसी का उदाहरण है. लेकिन कहते हैं न कि हर नया सेनापति अपने साथ नई योजना लेकर आता है. कोहली का आना उसी बदलाव को दिखाता है.

बहरहाल, टेस्ट टीम की कमान भले ही विराट कोहली के हाथों में आ गई हो लेकिन वनडे में सिक्का अब भी धोनी का ही चलता है. यह सिक्का कब तक चलेगा यह कहना मुश्किल है लेकिन दो अक्टूबर से दक्षिण अफ्रीका के साथ टी-20 और वनडे सीरीज शुरू होनी है. वहां धोनी इस नए गुस्सैल टीम इंडिया को कितना कूल रख पाएंगे, देखने वाली बात होगी.

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विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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