क्या भारतीय टी20 टीम से विराट कोहली को बाहर कर देना चाहिए?
विराट कोहली को लेकर सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ी हुई है. कि जब कोहली टीम की कमान नहीं संभाल रहे हैं तो एक खिलाड़ी के रूप में उनकी जगह किसी युवा खिलाड़ी को क्यों न मौका दिया जाए? आखिर 2007 का टी20 वर्ल्डकप धोनी एंड कंपनी ने बिना तेंडुलकर, गांगुली, द्रविड़ और लक्ष्मण के ही तो जीता था!
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टी-20 वर्ल्ड कप (ICC T20 World Cup) से टीम इंडिया (Team India) बाहर हो चुकी है. यह हार क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी सदमे से कम नहीं है. कहां हम फाइनल में खेलते थे और आज टूर्नामेंट में इस तरह से औंधे मुंह गिरे कि सेमीफाइनल में अपनी ही जगह बनाने के लिए भी दूसरी टीम पर निर्भर होना पड़ा. असल में पिछले कुछ सालों से स्टार बल्लेबाज विराट कोहली (Virat Kohli) के प्रदर्शन में गिरावट देखी गई है. हालांकि टी20 वर्ल्ड कप में खराब प्रदर्शन के बाद विराट कोहली ने टी20 टीम की कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया था. उन्होंने यह साफ किया था कि वे वनडे टेस्ट और वनडे क्रिकेट में भारत का नेतृत्व करना जारी रखेंगे.
लेकिन, सोशल मीडिया पर विराट कोहली की टी20 टीम में जगह को लेकर भी बहस हो रही है. वरिष्ठ खेल पत्रकार विक्रांत गुप्ता का एक बयान काफी चर्चा में है. उनका कहना था कि "मुझे लगता है कि विराट कोहली के प्रशंसक इससे परेशान हो सकते हैं, लेकिन अगर वह कप्तान नहीं हैं और अगर आप प्रगति करना चाहते हैं तो यह मुमकिन है कि विराट कोहली को भारतीय टी20 टीम में जगह न मिले...".
कुछ सालों से विराट कोहली के प्रदर्शन में गिरावट देखी गई है
"यदि आप 2007 टी20 विश्व कप में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और अनिल कुंबले के बिना खेले हैं. मुझे ऐसी संभावना लगती है कि अगर भारत इस टी20 वर्ल्ड कप को नहीं जीत पाता है तो विराट की प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं है".
अब आप ही बताइये कि क्या विराट कोहली को टी20 टीम के प्लेइंग 11 में रखना सही है या गलत? ध्यान रहे हम यहां सिर्फ टी20 टीम की बात कर रहे हैं. आपको नहीं लगता कि विराट कोहली की जगह टी20 टीम इंडिया में किसी नए खिलाड़ी को जगह मिलनी चाहिए जिसकी रफ्तार तेज हो.
विराट की टी20 में जगह बनती है या नहीं, इस बात पर चर्चा करने से पहले ये मान लें कि हम भारतीय भावुक होते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हम जिसके फैंस हैं उसकी हर बात सर आंखों पर रखते हैं. खासकर क्रिकेट और क्रिकेट प्रेमी फैंस का तो अलग की लगाव होता है. फैंस आज भी कपिलदेव, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, युवराज और महेंद्र सिंह धोनी को लेकर भावुक हैं. वो अपने पसंदीदा खिलाड़ी के खिलाफ एक शब्द सुनने को तैयार नहीं होेते हैं.
खैर, जिस तरह न्यूजीलैंड के हाथों अफगानिस्तान को हार मिली और इस तरह बड़ी ही आसानी से हम सुपर 12 स्टेज में ही बाहर हो गए. अब इसके बाद अगर विराट कोहली की आलोचना हो रही है तो यह कोई हैरानी की बात नहीं है. यह भी सच है कि सोशल मीडिया के जमाने में एक क्रिकेटर के तौर पर विराट कोहली को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है. लोगों को विराट कोहली पर बहुत विश्वास है और जितनी बार यह यकीन टूटता है उनकी खींज तो उतरती ही है.
यह सच है कि विराट कोहली एक बहुत ही बेहतरीन खिलाड़ी हैं, वे टीम इंडिया को एक अलग ही लेवल पर ले कर गए हैं. उन्होंने अपनी काबिलियत को साबित भी किया है. भारत के लोग उनसे बहुत प्यार करते हैं लेकिन यह भी सच है कि हर खिलाड़ी का एक समय होता है. अगर आप महेंद्र सिंह धोनी, राहुल द्रविण, सौरव गांलूली, सचिन तेंडुलकर, वीरेंद्र सहवाग और अनिल कुंबले जैसे खिलाड़ियों के बारे में सोचेंगे तो समझ जाएंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं...
तो क्या अब विराट कोहली की जगह पर किसी नए तेज तर्रार खिलाड़ी को मौका मिलेगा? अब होता तो यही आया है. आपको 2007 टी20 वर्ल्ड कप तो याद ही होगा जब दिलीप वेंगसरकर की अगुवाई वाली सिलेक्शन कमिटी ने महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाकर सबको चौंका दिया था. जबकि टीम में वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह भी थे जो धोनी से ज्यादा अनुभवी थे.
उस समय टीम इंडिया के मैनेजर लालचंद राजपूत ने दावा किया था कि राहुल द्रविड़ ने ही सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली से कहा था कि वे 2007 टी20 वर्ल्ड कप में हिस्सा ना लें क्योंकि वे चाहते थे कि युवा क्रिकेटरों को टी20 वर्ल्ड कप में मौका मिले. तभी तो 2007 टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय क्रिकेट टीम काफी यंग थी. आपको भी पता है कि धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने टी20 वर्ल्ड कप जीता था.
दरअसल, खिलाड़ियों को खुद समझ आ जाता है कि कब उनका शरीर साथ दे रहा है कब नहीं. अगर सही समय पर वे सही फैसला ले लेते हैं तो प्यार और सम्मान दोनों बना रहता है. नए खिलाडियों को मौका देने से ही तो नए-नए स्टार खिलाड़ियों के चेहरे सामने आते हैं. नए खिलड़ियों को मौका देने से पुराने खिलाड़ियों का सम्मान कम कैसे हो जाता है?
अब क्रिकेट इटरनेशनल लेवल पर हमारे देश भारत के नाम पर खेला जाता है. यह आपके घर की बात नहीं जो आप नाराज होकर या बुरा मान जाओ या फिर नाराज हो जाओ. क्रिकेट जगत में एक समय के बाद हर खिलाड़ी के साथ ऐसा ही होता है, उसे अपनी जगह छोड़कर किसी नए खिलाड़ी को मौका देना पड़ता. इस बात को अपना लेना ही क्रिकेट जगत का सच है. जब तक हम नए खिलाड़ियों को मौका नहीं देंगे तब बेहतर खिलाड़ी कहां से लाएंगे?
एक समय के बाद ऐसा हर बेहतर खिलाड़ी के साथ हुआ है चाहें वह सौरव हों, सचिन हों या फिर धोनी... तभी तो हमें विराट मिले... हो सकता है कि इसके बाद वो खिलाड़ी मिले जो हमें एक और नए मुकाम तक ले जाए...
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