विराट कोहली की टीम इंडिया विश्व क्रिकेट की नयी 'चोकर्स' बन गयी है
वर्ल्ड कप सेमी फाइनल में न्यूजीलैंड के साथ हुए मुकाबले में जिस तरह से टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा है वो दिन दूर नहीं है जब भारतीय टीम 'चोकर्स' के अनचाहे टैग के साथ अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में जानी जाएगी.
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मैनचेस्टर में खेले गए आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 के पहले सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया को 18 रनों से हरा दिया. इस हार के साथ ही भारत का तीसरी बार विश्वकप जीतने का सपना भी टूट गया. 8 बल्लेबाजों के साथ मैदान में उतरी भारतीय टीम 240 के लक्ष्य को पाने में नाकाम रही और इसके साथ ही भारतीय टीम के विश्वकप के शानदार सफर का अप्रत्यासित रूप से अंत भी हो गया. हालांकि मैच के पहले तक भारत को इस मुकाबले के जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, मगर न्यूज़ीलैंड की टीम ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए सारे समीकरण ध्वस्त कर दिए.
टीम इंडिया की तरफ से रविंद्र जडेजा और महेंद्र सिंह धोनी ने जरूर मैच में रोमांच फूकते हुए मैच को आखिरी ओवर तक ले गए मगर शुरूआती बल्लेबाजों के एक साथ नहीं चलने का खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा और टीम जरुरी लक्ष्य से 19 रन दूर रह गयी. यह लगातार दूसरा विश्वकप है जिसमें भारतीय टीम सेमीफाइनल में हार कर टूर्नामेंट से बाहर हो गयी है, और अगर आईसीसी के टूर्नामेंट्स की बात करें तो यह लगातार पांचवी बार है जब भारतीय टीम सेमीफाइनल या फ़ाइनल में पहुंचने के बाद भी टूर्नामेंट जीतने में असफल रही है.
जैसे टीम इंडिया सेमी फाइनल हारी है आने वाले वक़्त में उसे चोकर्स के टैग के साथ मैदान में उतरना होगा
भारतीय टीम 50 ओवरों के दो विश्वकप सेमीफाइनल हारने के अलावा दो T20 विश्वकप के फ़ाइनल और सेमीफाइनल खेलने के बावजूद जीत के ट्रॉफी से महरूम रह गयी थी, भारतीय टीम को 2014 के T20 विश्वकप के फ़ाइनल में हार का सामना करना पड़ा था जबकि टीम 2016 के T20 विश्वकप के सेमीफाइनल में हार गयी थी. इसके अलावा 2017 में खेले गए चैंपियंस ट्रॉफी में भी टीम को फ़ाइनल में पाकिस्तान के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी.
यानी पिछले पांच सालों में भारतीय टीम आईसीसी की कोई भी टूर्नामेंट जीतने में नाकाम रही है, हालांकि ऐसा नहीं है कि टीम ने इन टूर्नामेंट्स में कोई बहुत बुरा प्रदर्शन किया हो बल्कि टीम 5 में से दो में उपविजेता रही है जबकि 3 में टीम को सेमीफाइनल में शिकस्त मिली है. तो आखिर वजह क्या है कि टीम जीत के इतने करीब आने के बावजूद ट्रॉफी से इतनी दूर रह जा रही है. क्या यह टीम दबाव वाले मैचों में खेलने का हुनर भूल गयी है? क्या भारतीय टीम विश्व क्रिकेट की नयी "चोकर्स" बन गयी है?
क्रिकेट की भाषा में अगर "चोकर्स" का मतलब समझें तो ऐसी टीम जो दबाव वाले मुकाबले में हथियार डाल दे. आमतौर पर क्रिकेट में दक्षिण अफ्रीका की टीम को "चोकर्स" माना जाता रहा है, क्योंकि अक्सर दक्षिण अफ्रीकी टीम बड़े मैचों में संघर्ष करते नजर आती है और अंत में मुकाबले उसके पक्ष में नहीं आते. पिछले पांच सालों के भारतीय टीम के रिकॉर्ड भी इसी ओर इशारा कर रही है कि बड़े मंच के बड़े मुकाबलों में टीम इंडिया का प्रदर्शन आशा अनुरूप नहीं रहा है.
यहां यह जान लेना और दिलचस्प है कि जिन पांच बड़े मुकाबलों में टीम को हार का सामना करना पड़ा है उसमें सारे मुकाबलों के पहले तक भारतीय टीम को जीत का प्रबल दावेदार माना गया था. चाहे वो साल 2014 का T20 विश्वकप का फ़ाइनल मुकाबला हो, जहां भारतीय टीम को श्रीलंका के हाथों हार मिली थी या फिर 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी का फ़ाइनल मुकाबला जहां भारतीय टीम को अपेक्षाकृत कमजोर मानी जा रही पाकिस्तानी की टीम ने भारत को 180 रनों के अंतर से मात दे दी थी.
इसी तरह टीम को 2016 T20 विश्वकप के सेमीफाइनल में भी वेस्टइंडीज के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी जब वेस्टइंडीज की टीम ने रिकॉर्ड बनाते हुए 192 रनों का लक्ष्य को बड़ी आसानी से हासिल कर लिया था. और अब 2017 के सेमीफाइनल में भारतीय टीम 240 के लक्ष्य को नहीं पा सकी. यह सही है कि किसी भी खेल में एक टीम जीतती है और दूसरी टीम को हार से संतोष करना पड़ता है, मगर प्रेशर मैचों में भारतीय टीम का प्रदर्शन जरूर चिंता का विषय है.
अगर न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ सेमीफाइनल के मुकाबले पर नजर दौड़ाएं तो यह साफ़ हो जाता है कि लक्ष्य से ज्यादा सेमीफाइनल का प्रेशर भारतीय टीम झेल नहीं पायी साथ ही टीम में अहम मुकाबलों में अनुभवहीनता भी साफ़ नजर आयी. कह सकते हैं कि बड़े मंच पर भारतीय टीम मैदान पर मुकाबलों से ज्यादा मानसिक रूप से मुकाबलों को गंवा रही है. अगर भारतीय टीम इस पर काबू नहीं कर पाती है तो शायद आने वाले दिनों में भारतीय टीम "चोकर्स" के अनवांटेड टैग के साथ अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में उतरना होगा.
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