क्यों टीम इंडिया में आशीष नेहरा की वापसी चौंकाती है!
टीम इंडिया की टी20 टीम में लगभग पांच वर्ष के लंबे अंतराल के बाद वापसी करने वाले गेंदबाज आशीष नेहरा के सेलेक्शन पर सवाल उठ रहे हैं, आखिर क्यों अचानक धोनी ने 36 साल के गेंदबाज पर भरोसा जताया?
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2003 के वर्ल्ड कप में सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने एक दो नहीं बल्कि आठ लगातार मैच जीतते हुए अपनी ताकत का अहसास सबको करा दिया था. इस वर्ल्ड कप को गांगुली की शानदार कप्तानी, सचिन की धमाकेदार बैटिंग के अलावा जिस एक और चीज के लिए याद किया जाता है वह है इंग्लैंड के खिलाफ एक मैच में 23 रन देकर 6 विकेट चटकाने वाले तेज गेंदबाज आशीष नेहरा का जोरदार प्रदर्शन. उस एक मैच ने दुनिया भर के क्रिकेट फैंस के मन में बेहतरीन तेज गेंदबाज के तौर पर नेहरा का नाम दर्ज करा दिया था.
खैर, इस मैच के 12 वर्ष बाद अब जबकि उसी आशीष नेहरा को ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए टीम इंडिया की टी20 में चार साल के लंबे अंतराल के बाद फिर से चुना गया तो इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. वजह, अब 36 के हो चले नेहरा ने पिछले लगभग पांच वर्षों से टीम इंडिया के लिए एक भी मैच नहीं खेला है. फिर भी उन्हें ऑस्ट्रेलिया जैसे कठिन दौरे के लिए चुन लिया गया है. आइए जानें क्यों नेहरा का सेलेक्शन हैरान करता है.
नेहरा को चुनकर दो कदम पीछे क्यों लौटी बीसीसीआईः
मार्च 2016 में भारत पहली बार टी20 वर्ल्ड कप का आयोजन कर रहा है. ऑस्ट्रेलियाई दौरे को इस टी20 वर्ल्ड के लिए टीम इंडिया की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. तो फिर कैसे बीसीसीआई ने इस महत्वपूर्ण दौरे के लिए उस गेंदबाज को चुन लिया जिसने पिछले पांच साल से टीम इंडिया के लिए कोई मैच ही नहीं खेला है. हमेशा खिलाड़ियों के चुनाव को भविष्य से जुड़ा हुआ बताती आई बीसीसीआई का यह कदम दो कदम पीछे चलने जैसा है. इससे निश्चित तौर पर टीम इंडिया के पास तेज गेंदबाजों के विकल्प की कमी दिखती है, वर्ना अचानक क्यों बीसीसीआई को लगभग भुला दिए गए गेंदबाज की याद आती.
नेहरा ने भारत के लिए आखिरी बार वनडे 30 मार्च 2011 को वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था, जबकि आखिरी बार टी20 9 जनवरी 2011 को डरबन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था. इसलिए नेहरा के सेलेक्शन से बीसीसीआई की भविष्य के प्रति तैयारी की सोच तो बिल्कुल ही नहीं दिखती है. हैरानी की बात ये कि हाल के दिनों में नेहरा ने घरेलू क्रिकेट में भी जोरदार प्रदर्शन नहीं किया है. उन्होंने इस वर्ष आईपीएल के 9 मैचों में 7 विकेट लिए जबकि अभी खेले जा रहे 50 ओवर की विजय हजारे ट्रॉफी में एक ही मैच खेले और एक विकेट ही ली. अब यह तो बीसीसीआई ही बता सकती है कि उसने किस प्रदर्शन के आधार पर नेहरा को अचानक वापस बुला लिया.
धोनी का कनेक्शन काम आया?
इसमें कोई दो राय नहीं कि टीम के सेलेक्शन में टीम इंडिया के कप्तान की भी भूमिका होती है. तो जाहिर सी बात है कि ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए टीम के चुनाव में धोनी की भी राय शामिल हैं. अब आप सोचेंगे कि नेहरा और धोनी का क्या कनेक्शन है, भला! दरअसल टीम इंडिया के लिए भले ही नेहरा लगभग पांच वर्षों से न खेले हों लेकिन आईपीएल में जरूर वह अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहे हैं.
वह आईपीएल में 2008 में सचिन तेंडुलकर की कप्तानी वाली मुंबई इंडियंस के लिए खेले, 2009 में सहवाग की कप्तानी वाली दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेले, 2011 में उन्हें सौरव गांगुली के नेतृत्व में पुणे वॉरियर्स के लिए खेलने का मौका मिला. 2013 में वह दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम में वापस लौटे. इसके बाद 2014 में उन्हें धोनी की टीम चेन्नई सुपरकिंग्स ने खरीदा और उसके लिए वह आईपीएल के दो सीजन में खेले.
नेहरा ने चेन्नई के लिए अपने प्रदर्शन से निश्चित तौर पर धोनी को काफी प्रभावित किया. नेहरा का चेन्नई के लिए किया गया यही प्रदर्शन अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी टी20 टीम में वापसी की वजह बनी है! नेहरा की वापसी के पीछे धोनी के दिमाग में टी20 वर्ल्ड कप के लिए चल रही योजना भी हो सकती है.
दरअसल अपनी धीमी गेंदों से वह भारतीय मैदानों पर चेन्नई के लिए दबाव के क्षणों में कई बार बेहतरीन स्पैल डाल चुके हैं. अब धोनी टी20 वर्ल्ड कप में उनकी उसी प्रतिभा का उपयोग करना चाहते हैं. यानी नेहरा अगर टी20 वर्ल्ड में भी खेलें तो हैरान मत होइएगा. लेकिन फिर भी सवाल तो यही है कि अगर धोनी को नेहरा की इस प्रतिभा का पता चल गया था तो उन्होंने लगभग पांच साल तक कभी उन्हें मौका क्यों नहीं दिया?
यह देखना दिलचस्प होगा कि अक्सर अपने दांवों से लोगों को चौंकाते आए धोनी का ‘नेहरा दांव’ कितना सफल होगा!
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