शानदार प्रदर्शन के बावजूद कुंबले को हटाने की कोशिश क्यों?
आमतौर पर विश्वभर में सफल कोच के कार्यकाल को बढ़ाने की परंपरा रही है, लेकिन बीसीसीआई ने कुंबले का करार बढ़ाने की बजाए कोच पद के लिए आवेदन मंगाए हैं.
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एक साल में पांच में से पांच टेस्ट सीरीज में जीत, 17 टेस्ट मैचों में से एक दर्जन मैचों में जीत और केवल एक हार, अनिल कुंबले के भारतीय कोच नियुक्त किये जाने के बाद के ये रिकार्ड्स बताते हैं कि कुंबले का कार्यकाल कितना शानदार रहा है. हालांकि बीसीसीआई को कुंबले के ये शानदार प्रदर्शन भी शायद नहीं भाए तभी तो बीसीसीआई ने कुंबले का करार बढ़ाने की बजाए कोच पद के लिए आवेदन मंगाए हैं. जबकि आमतौर पर विश्वभर में सफल कोच के कार्यकाल को बढ़ाने की परंपरा रही है. मगर कुंबले जिन्होंने भारतीय टीम को टेस्ट में नंबर-1 में भी बने रहने में मदद की, उनके मामले में ऐसा नहीं किया गया.
बीसीसीआई ने अनिल कुंबले का करार बढ़ाने के बजाए कोच पद के लिए आवेदन मांगे हैं
बीसीसीआई ने इस प्रक्रिया के लिए जो समय चुना वो भी चौंकाता है, भारतीय टीम इस वक्त चैंपियंस ट्रॉफी के लिए इंग्लैंड में है, वैसे में बीसीसीआई का ये कदम समझ से परे है. तो क्या बीसीसीआई के इस फैसले के पीछे टीम के प्रदर्शन के इतर भी कोई और कारण है ? लगता यही है.
अनिल कुंबले अभी पिछले ही हफ्ते खिलाडियों के वेतन बढ़ने को लेकर बीसीसीआई के अधिकारीयों से मुलाकात की थी, इस मुद्दे पर टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली भी कुंबले के साथ खड़े थे. कुंबले A ग्रेड के खिलाडियों के वेतन में 150% इजाफे की मांग कर रहे थे. इसके अलावा कुंबले कप्तानी का अतिरिक्त बोझ लेने वाले विराट कोहली के लिए 25% अतिरिक्त कप्तानी फीस और साथ ही टीम के मुख्य कोच होने के नाते चयन समिति में जगह की भी मांग की थी.
वैसे देखा जाए तो अनिल कुंबले के वेतन इजाफे की मांग जायज ही है, बीसीसीआई जो दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड है बावजूद इसके बीसीसीआई अपने खिलाडियों को वेतन देने के मामले में कंजूसी करती आयी है. पिछले ही महीने बीसीसीआई ने A ग्रेड के खिलाडियों को सालाना कॉन्ट्रैक्ट फीस को दुगना करते हुए दो करोड़ कर दिया था. हालांकि इस बढ़ोतरी के बावजूद भारतीय क्रिकेटरों की कमाई ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलने वाले क्रिकेटरों के मुकाबले आधी ही है. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका से खेलने वाले क्रिकेटर की मैच फीस और कॉन्ट्रैक्ट फीस मिलाकर सालाना कमाई जहां 10-12 करोड़ के बीच हो सकती है तो वहीं भारतीय खिलाड़ियों के लिए यह कमाई अधिकतम 4-5 करोड़ ही हो सकती है. ऐसे में कुंबले की मांग कहीं से भी नाजायज नहीं कही जा सकती, और यही चीज शायद बीसीसीआई को नागावार गुजरी.
बीसीसीआई अपने मुनाफे को लेकर भले ही बवाल मचाता रहता है मगर इस मुनाफे का हिस्सा अपने उन खिलाडियों को देने से कतराता है जिनकी मदद से उसे ये कमाई होती है. पिछले ही महीने बीसीसीआई और आईसीसी के बीच मुनाफे को लेकर जबरदस्त रस्साकस्सी हुई थी, बीसीसीआई अपने मुनाफे में हुई कटौती को लेकर आईसीसी से नाराज था.
हालांकि बीसीसीआई कोच पद के लिए आवेदन मंगाए जाने के बावजूद कुंबले के लिए टीम कोच के रूप में कार्यकाल के अंत के रूप में नहीं देखा जा सकता, मगर दोबारा कोच बनने के लिए कुंबले को सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की तीन सदस्यीय टीम के सामने इंटरव्यू से गुजरना होगा और अगर इस टीम को कुंबले भाते हैं तो कुंबले को दोबारा से टीम कोच की भूमिका दी जा सकती है. मगर बीसीसीआई ने अपने इस कदम से कुंबले पर दबाव बनाने की भरसक कोशिश की है जो अपने और खिलाडियों के हक के लिए बीसीसीआई के सामने खड़े थे.
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