भारत के पहले डे-नाइट टेस्ट की योजना से क्यों पीछे हटा बीसीसीआई?
इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर में न्यूजीलैंंड के भारत दौरे के दौरान प्रस्तावित एक डे-नाइट टेस्ट के आयोजन की योजना बीसीसीआई ने टाल दी है, आखिर क्यों बीसीसीआई ने टाला डे-नाइट टेस्ट का आयोजन?
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भारत इस साल रंगीन टेस्ट क्रिकेट आयोजित करने नहीं जा रहा है. बीसीसीआई ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि फिलहाल बीसीसीआई डे-नाइट टेस्ट आयोजित नहीं करेगा. पहले बीसीसीआई ने ही इस बात के संकेत दिए थे कि इस साल सितंबर-अक्टूबर में होने वाले न्यूजीलैंड के भारत के दौरे के दौरान एक टेस्ट दूधिया रोशनी और पिंक बॉल के साथ खेला जा सकता है.
लेकिन न्यूजीलैंड के भारत के साथ खेले जाने वाले 3 टेस्ट और 5 वनडे मैचों के कार्यक्रम के साथ ही ये साफ हो गया है कि इस दौरे के दौरान भारत डे-नाइट टेस्ट आयोजित नहीं करेगा. पिछले वर्ष नवंबर में पहला डे-नाइट टेस्ट ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया था. टेस्ट क्रिकेट की घटती लोकप्रियता को देखते हुए डे-नाइट टेस्ट आयोजित करने का प्रयोग शुरू किया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बदलाव से लंबे फॉर्मेट के इस खेल को वनडे और टी20 से टक्कर लेने में मदद मिलेगी.
माना जा रहा था कि पहले डे-नाइट टेस्ट का आयोजन कोलकाता के ईडन गार्डन्स में किया जाएगा. इसी को देखते हुए हाल ही में 18 से 21 जून के बीच ईडेन गार्डन्स में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल यानी कैब के लोकल टूर्नामेंट के सुपरलीग का फाइनल खेला गया. लेकिन न्यूजीलैंड के साथ पहले डे-नाइट टेस्ट के आयोजन के लिए इस मैच से कोई फायदा नहीं होने वाला था. पिंक बॉल का असली टेस्ट दलीप ट्रॉफी में डे-नाइट मैचों के आयोजन से ही होगा.
तो सवाल ये कि आखिर बीसीसीआई ने न्यूजीलैंड के साथ डे-नाइट टेस्ट आयोजित करने की योजना टाल क्यों दी? आइए जानें.
बीसीसीआई ने क्यों टाली डे-नाइट टेस्ट की योजनाः
बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने इस साल मई में कहा था कि बीसीसीआई न्यूजीलैंड के भारत दौरे के दौरान एक डे-नाइट टेस्ट खेलने की योजना बना रहा है. इससे पहले प्रयोग के तौर पर दलीप ट्रॉफी को डे-नाइट फॉर्मेट में आयोजित किया जाएगा. ताकि टेस्ट मैच खेलने से पहले फ्लड लाइट्स में पिंक बॉल के व्यवहार के बारे में जाना जा सके.
लेकिन ऐसा लगता है कि बीसीसीआई डे-नाइट टेस्ट करवाने के लिए पूरी तैयारी नहीं कर पाया, इसीलिए ये योजना टाल दी गई. अनुराग ठाकुर ने कहा भी कि भारत डे-नाइट टेस्ट आयोजित करना चाहत है लेकिन इसके लिए कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता. दरअसल बीसीसीआई के पास डे-नाइट टेस्ट आयोजित करने के लिए जरूरी तैयारियों के लिए पर्याप्त समय नहीं था.
बीसीसीआई ने इस वर्ष न्यूजीलैंड के भारत दौरे के दौरान डे-नाइट टेस्ट के आयोजन की योजना टाल दी है |
पहले बीसीसीआई की योजना थी कि दलीप ट्रॉफ को न्यूजीलैंड दौरे के पहले डे-नाइट फॉर्मट में आयोजित किया जाए. जिससे खिलाड़ियों को पिंक बॉल के साथ फ्लड लाइट्स में खेलने का अनुभव मिल जाए. दरअसल बीसीसीआई चाहता है कि वह डे-नाइट टेस्ट के आयोजन के पहले दलीप ट्रॉफी से मिले खिलाड़ियों के फीडबैक पर भी विचार कर ले और उसके बाद ही कोई कदम उठाए.
न्यूजीलैंड भारत दौरे पर अपना पहला टेस्ट 22 सितंबर से खेलेगा, यानी कि दलीप ट्रॉफी का आयोजन इससे पहले हो जाना चाहिए था. लेकिन टीम इंडिया वेस्टइंडीज के दौरे से अगस्त अंत में लौटेगी. दलीप ट्रॉफी के भी सितंबर में ही खेले जाने की संभावना है. वेस्टइंडीज दौरे के समापन के बाद सितंबर में ही मिनी आईपील भी खेला जा सकता है. ऐसे में टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ियों के पास छोटे फॉर्मेट में खेलने के साथ-साथ दलीप ट्रॉफी में खेलना शायद ही संभव हो पाए. जिससे इन खिलाड़ियों के लिए पिंक बॉल को जानने का मौका शायद न मिल पाए. इसी को देखते हुए बीसीसीआई ने डे-नाइट टेस्ट के आयोजन की योजना फिलहाल टाल दी है.
टीम इंडिया के खिलाड़ियों को पिकं बॉल के व्यवहार के बारे में जानने का पूरा अवसर दिए बिना बीसीसीआई डे-नाइट टेस्ट आयोजित नहीं करना चाहता था |
पिकं बॉल को न जानने की वजह से पीछे हटा बीसीसीआई!
डे-नाइट टेस्ट आयोजित न करने की दूसरी वजह बीसीसीआई का पिंक बॉल के व्यवहार के प्रति उसका डर था. दरअसल इस गेंद को बनाने वाली कूकाबरा कंपनी का कहना है कि इस गेंद की शेप और चमक बरकरार रखने के लिए पिच पर ज्यादा घास छोड़ी जानी चाहिए.
लेकिन बीसीसीआई को डर था कि अगर न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के साथ खेलते समय पिच पर ज्यादा घास छोड़ी गई और रात में ओस पड़ी तो उनके तेज गेंदबाज कहर बरपा सकते हैं. ऐसे में पिंक बॉल के व्यवहार के बारे में जाने बिना भारतीय बल्लेबाजों को न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के खतरनाक सीम गेंदबाजों के सामने उतारने का फैसला घातक हो सकता है. इसलिए बीसीसीआई ने पिंक बॉल के व्यवहार के बारे में पर्याप्त रूप से जाने बिना फिलहाल डे-नाइट टेस्ट के आयोजन को टाल दिया है.
हालांकि न्यूजीलैंड के दौरे के साथ शुरू होने वाली इस घरेलू सीजन के दौरान टीम इंडिया को 10 टेस्ट मैच खेलने हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि बीसीसीआई भारत का पहला डे-नाइट टेस्ट फरवरी-मार्च में ऑस्ट्रेलिया के भारत के दौरे के दौरान आयोजित कर सकता है.
ऑस्ट्रलिया ने पूरी तैयारी के साथ किया था डे-नाइट टेस्ट का आयोजनः
बीसीसीआई ने भले ही उत्साह में डे-नाइट टेस्ट को आयोजित करने की घोषणा कर दी. लेकिन ऐसा नहीं लगता कि उसने इसके लिए पर्याप्त तैयारी भी की थी. इस मामले में पहली बार डे-नाइट टेस्ट आयोजित करने वाले ऑस्ट्रेलिया से काफी कुछ सीखा जा सकता है.
ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल नवंबर में पहले डे-नाइट टेस्ट का आयोजन तब किया था, जब उसने घरेलू क्रिकेट में पहले ही डे-नाइट मैच का आयोजन कर लिया था. इतना ही नहीं न्यूजीलैंड के साथ पहला डे-नाइट टेस्ट खेलने के पहले दोनों टीमों ने फ्लड लाइट्स में पिंक बॉल के साथ दो दिवसीय प्रैक्टिस मैच भी खेला था, ताकि दूधिया रोशनी में पिकं बॉल के साथ खेलने का अनुभव मिल जाए और डे-नाइट टेस्ट के दौरान पिंक बॉल के व्यवहार के बारे में खिलाड़ी अनजान न रहें. शायद इन तैयारियों का ही नतीजा रहा कि ऑस्ट्रलिया पहले डे-नाइट टेस्ट का सफल आयोजन कर सका.
इसके उलट बीसीसीआई के पास इस डे-नाइट टेस्ट को आयोजित करने से पहले इसकी प्रैक्टिस की कोई खास योजना नहीं थी. वह इस टेस्ट के आयोजन से तुरंत पहले बस दलीप ट्रॉफी में ही इसके प्रयोग से संतुष्ट हो जाना चाहता था. यहां तक कि न्यूजीलैंड के साथ दूधिया रोशनी में प्रैक्टिस मैच खेलने की भी योजना बीसीसीआई ने नहीं बनाई थी. अब आधी-अधूरी तैयारियो का हश्र तो ऐसा ही होना था, फिर भी ये अच्छा हुआ कि कम से कम बीसीसीआई ने बिना पूरी तैयारी के डे-नाइट टेस्ट में न उतरने का फैसला किया.
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