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Updated: 26 सितम्बर, 2015 06:31 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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105 वर्ष का आदमी अगर दुनिया के सबसे तेज रेसर उसेन बोल्ट को चैलेंज करे तो किसी का भी हैरान होना स्वाभाविक है. लेकिन जापान के हिदेचकी मियाजाकी के जज्बे और हौसले की कहानी के आगे शायद यह चैलेंज भी आपको छोटा लगे. मियाजाकी ने हाल ही में 105 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग में 100 मीटर की रेस को सबसे कम समय में जीतने का रेकॉर्ड बनाया है और इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज हुआ है. आइए जानें इस 105 साल के युवा की प्रेरणादायी कहानी...

'गोल्डन बोल्टका जज्जा अद्भुत हैः अपने जबर्दस्त जज्बे के कारण जापान के हिदेचकी मियाजाकी को 'गोल्डन बोल्ट' का उपनाम दिया गया है. वर्ष 2010 में उन्होंने सौ वर्षों की कैटिगरी में सबसे तेज धावक बनने का रेकॉर्ड अपने नाम किया था. अब उन्होंने 105 वर्ष से ज्यादा की कैटिगरी में सबसे तेज 100 मीटर रेस जीतने का रेकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. उन्होंने क्योटो में 100 मीटर की रेस42.22 सेकंड्स में जीती. अपनी इस उपलब्धि के एक दिन बाद उन्होंने कहा,  'मैं इस समय से खुश नहीं हूं. मेरी ट्रेनिंग अच्छी चल रही थी और मैं 35 सेकंड को टारगेट कर रहा था.'  जिस उम्र में लोगों को सिर्फ जीवन का अंत नजर आता है उस उम्र में इस इंसान का नए टारगेट तय करना और उसे हासिल करने के लिए मेहनत करना दिखाता है कि कोई भी उम्र सपनों को किसी सीमा में नहीं बांध सकती.

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                                                          हिदेचकी मियाजाकी

बोल्ट से मुकाबला हिम्मत और हौसले की बातः भले ही मियाजाकी को बोल्ट को चैलेंज देना मजाकिया लगता हो लेकिन इस उम्र में दुनिया के सबसे तेज धावक से मुकाबले के बारे में सोचना जीवन में असंभव चीजें कर दिखाने की इंसानी सोच को दिखाती है. मियाजाकी की हौसले भरी बातें आपको हैरान कर देंगी, 'वह कहते हैं मैं अभी भी एक नौसिखिया हूं. मुझे और कड़ी ट्रेनिंग करनी पड़ेगी. मुझे अपने स्वास्थ्य पर गर्व है'. अब आप समझ गए होंगे कि कैसे मियाजकी दुनिया के सबसे तेज आदमी बोल्ट को भी चुनौती देने की सपनो सरीखी बातों सोचने की हिम्मत रखते हैं. पिछले महीने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स में बोल्ट द्वारा किए गए शानदार प्रदर्शन के बारे में मियाजाकी ने व्यंग से कहा,  'उसने अब तक मेरे साथ मुकाबला नहीं किया हैमैं अब भी उनके साथ मुकाबला करना पसंद करूंगा.'  मियाजाकी अक्सर स्टार्टर गन की आवाज न सुन पाने के कारण रेस के कुछ महत्वपूर्ण सेकंड्स गंवा देते हैं.

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                                           जापान के 105 वर्षीय रेसर हिदेचकी मियाजाकी

 शरीर से ज्यादा मन की ताकत जरूरीः 1910 में जन्मे मियाजाकी ने 90 की उम्र में रेसिंग शुरू की और वह रेस की तैयारी हल्की झपकी लेते हुए करते हैं. वह सिर्फ 5 फीट के हैं और उनका वजन महज 42 किलो है. वह रोज ट्रेनिंग करते हैं और क्योटो स्थिति अपने स्थानीय पार्क में रोज चक्कर लगाते हैं. मियाजाकी कहते हैं,  'भले ही मेरा मस्तिष्क उतना तेज न हो लेकिन शारीरिक तौर पर मैं पूरी तरह से फिट हूं. मुझे कभी स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं रही है. डॉक्टर्स मुझे देखकर आश्चर्यचकित हैं.'  मियाजाकी का शरीर भले ही कमजोर हो गया हो लेकिन उनके मन की ताकत जरा भी नहीं घटी है इसीलिए तो कई बार रेस के दौरान हल्की झपकी लेने की अपनी आदत पर वह कहते हैं, 'मैं अभी युवा हूं तो यह सीखने की प्रक्रिया है'. अपने स्वस्थ्य रहने के राज के बारे में वह कहते हैं, 'मैं जो भी खाता हूं उसे निगलने से पहले कम से कम 30 बार चबाता हूं.' साथ ही स्वस्थ्य रहने का श्रेय वह अपनी बेटी द्वारा बनाए गए संतरे के जैम को देते हैं और इसे रोज खाते हैं. वह कहते हैं कि यह मेरे पेट को ठीक रखता है. 

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                                                                 हिदेचकी मियाजाकी

मियाजाकी ने दिखा दिया है कि अगर इंसान के अंदर कुछ करने का जुनून और जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी उसके रास्ते की बाधा नहीं बन सकती है. उनकी लगन और जज्बे को देखकर अगर उन्हें 105 साल का युवा कहें तो शायद गलत नहीं होगा. वह जिंदगी की जंग में मुसीबतों से घबराकर हथियार डाल देने वाले युवाओं के लिए भी एक मिसाल हैं, और संघर्ष से कभी हार न मानने की प्रेरणा देते हैं. एक बात का यकीन मानिए, मियाजाकी से प्रेरणा लेने वाले लोग जिंदगी की हर मुश्किल रेस जीतेंगे जरूर! 

लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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