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Updated: 17 अगस्त, 2022 06:24 PM
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खबर है कि वैश्विक स्तर पर फुटबॉल का संचालन करने वाली संस्था 'फीफा' (FIFA) ने भारतीय फुटबॉल संघ यानी एआईएफएफ (AIFF) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. इस निलंबन की वजह से अब भारतीय फुटबॉल टीम कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेल पाएगी. और, 11 से 30 अक्टूबर के बीच होने वाला फीफा अंडर-17 विमेन वर्ल्ड कप का आयोजन भी भारत के हाथ से छिन गया है.

 FIFA suspends AIFF Explainer Praful Patel Footballफीफा ने एआईएफएफ का निलंबन यूं ही नहीं किया. इसके सूत्रधार एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल हैं.

हालांकि, अभी फीफा ने अंडर-17 विमेन वर्ल्ड कप के आयोजन को लेकर कोई जानकारी नही दी है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो फीफा द्वारा निलंबित किया जाना भारतीय फुटबॉल के लिए एक काला दिन है. खैर, यहां सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर FIFA ने AIFF को सस्पेंड क्यों किया? सोशल मीडिया पर ऋषभ भटनागर नाम के एक यूजर ने इस बारे में बताया है. तो, आइए इन 10 प्वाइंट्स के जरिये जानते हैं ऐसा क्यों हुआ... 

क्यों किया गया AIFF को सस्पेंड?

- भारतीय फुटबॉल संघ यानी एआईएफएफ का 13 साल में कोई भी नया अध्यक्ष नहीं बना था. एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने एआईएफएफ के अध्यक्ष के तौर पर चार-चार साल के तीन कार्यकाल पूरे किये थे. और, फिर से अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए योग्य नहीं थे. यह नेशनल स्पोर्ट्स कोड में निर्धारित कानूनों के अनुसार था.

- इसी साल 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एआईएफएफ को भंग करते हुए देश में फुटबॉल के खेल को संचालित करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी नियुक्त कर दी.

- इस एडमिनिस्टर्स कमेटी में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एआर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली शामिल हैं. बदलाव का असर दिखने लगा था. प्रफुल्ल पटेल के बाहर होने से प्रशंसक भी खुश थे. और, एक नये शासन का स्वागत किया गया था.

- एक नई एडमिनिस्टर्स कमेटी के नेतृत्व में फीफा का स्पष्ट जनादेश था. नए चुनाव करवाएं, संविधान को अंतिम रूप दें. और, इसे फीफा और एशियन फुटबॉल कन्फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल के सामने जल्द से जल्द पेश करें.

- समस्या तब शुरू हुई. जब एडमिनिस्टर्स कमेटी ने एक एडवाइजरी काउंसिल बनाई. जिसमें 12 जाने-पहचाने चेहरे थे, जिनमें रंजीत बजाज भी शामिल थे. उस काउंसिल को तकरीबन तुरंत ही भंग कर दिया गया था. क्योंकि, फीफा तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के सख्त खिलाफ है. लेकिन, ये समझ में नहीं आया कि एडमिनिस्टर्स कमेटी ने ऐसा क्यों सोचा?

- इस खराब शुरुआत के बावजूद और अच्छी तरह से बिठाए गए सूत्रों के अनुसार इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख छपा. जिसमें कहा गया था कि विश्व में फुटबॉल का संचालन करने वाली फीफा द्वारा भारत पर प्रतिबंध लगाने की संभावना नही है.

- जून के बाद से एडमिनिस्टर्स कमेटी अलग-अलग हितधारकों के साथ बैठकें करने और नए चुनावों की रूपरेखा तैयार करने में सक्रिय था. चीजें फिर से ऊपर जाती दिख रही थीं. हालांकि, प्रतिबंध का खतरा हमेशा मंडरा रहा था. फीफा इससे पहले भी कई बार कम गंभीर मामलों में भी दुनियाभर के कई संघों पर प्रतिबंध लगा चुका था.

- एक हफ्ते पहले एडमिनिस्टर्स कमेटी को सबूत मिले कि एआईएफएफ के पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल का इस पूरे मामले से लेना-देना है. प्रफुल्ल पटेल ने 'सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के स्पष्ट उद्देश्य से' देश के 35 सदस्य संघों के साथ बैठकें की थीं.

- हम आज यहां आ चुके हैं और कुल्हाड़ी हम पर आ गिरी है. फीफा अंडर-17 विमेन वर्ल्ड कप को दो महीने पहले ही छीन लिया गया है. अब कोई राष्ट्रीय टीमों के कोई मैच नहीं होंगे. हमारी सभी लीग और क्लब मैच आधिकारिक रूप से अमान्य हो चुके हैं. डूबते जहाज को कोई नहीं बचा सका. शायद इसकी ही जरूरत थी.

- शायद डूबना ही आखिरी विकल्प था. दरअसल, यह एक काला काला दिन है. लेकिन, अब समय आ गया है कि हम फीफा को अपने पक्ष में करें और उस गंदगी को दूर करें जिसमें हम फंसे हुए हैं. यह किसी चीज का अंत नहीं है, बल्कि नए सिरे से शुरुआत करने का मौका है. गंभीर कुशासन के मुद्दों से निपटना होगा.

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