आखिर गौतम गंभीर को क्यों आता है इतना गुस्सा?
गंभीर टीम इंडिया में हों या न हों, उनके बैट से रन बनें या बनें, लेकिन जिस एक चीज को वह हमेशा अपने साथ लेकर चलते हैं वह है उनका गुस्सा. अंपायर को धक्का देने वाले गंभीर आखिर कब गंभीर होंगे?
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अगर आप अब तक विराट कोहली को ही भारतीय क्रिकेट का एंग्री यंग मैन समझते रहे हैं तो जरा रुकिए और विराट के दिल्ली और टीम इंडिया के साथी रह चुके गौतम गंभीर को मत भूलिए. जी हां, गंभीर टीम इंडिया में हों या न हों, उनके बैट से रन बनें या बनें, लेकिन जिस एक चीज को वह हमेशा अपने साथ लेकर चलते हैं वह है उनका गुस्सा.
अब गंभीर के इसी गुस्से ने कोटला में रणजी मैच के दौरान मनोज तिवारी को लगभग धुन ही दिया था. मनोज तिवारी के साथ लड़ाई की घटना गंभीर के लिए ऐसी कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी वे कई खिलाड़ियों से भिड़ते रहे हैं. आखिर क्या है इस एंग्री क्रिकेटर के गुस्से की वजह?
मनोज तिवारी से गैरजरूरी भिड़ंतः रणजी मैच के दौरान दिल्ली की कप्तानी कर रहे गंभीर और बंगाल के कप्तान मनोज तिवारी के बीच झगड़ा इस कदर बढ़ा कि मार-पीट तक की नौबत आ गई. गंभीर तिवारी पर घूंसा तानकर हमले के लिए आगे बढ़े लेकिन अंपायर ने उन्हें रोक लिया. लेकिन गंभीर इतने गुस्से में थे कि उन्होंन अंपायर को भी धक्का दे दिया. क्रिकेट प्रशंसकों के लिए निश्चित तौर पर यह चौंकाने वाली घटना है, जिससे क्रिकेट की जेंटलमैन छवि को गहरा धक्का लगा. ज्यादा हैरानी इसलिए भी क्योंकि इस घटना में शामिल दोनों क्रिकेटर दुनिया के सामने भारतीय क्रिकेट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. हालांकि बाद में दोनों ने ही इस घटना को क्रिकेट मैदान पर होने वाला मामूली विवाद कहकर खारिज करने की कोशिश की लेकिन इन दोनों का ही कृत्य शर्मिंदा करने वाला था. गलती तिवारी और गंभीर दोनों की ही है क्योंकि उनके जैसे कद के खिलाड़ियों से इससे कहीं बेहतर व्यवहार की उम्मीद की जाती है. खासकर भारत के लिए लंबे समय तक खेल चुके गंभीर का ऐसा व्यवहार हैरान करता है. इसकी जितनी आलोचना की जाए कम है.
अफरीदी से भी हुई थी जोरदार टक्करः गौतम गंभीर शुरू से ही विपक्षी टीमों के खिलाड़ियों से भिड़ने के लिए जाने जाते हैं. खासकर पाकिस्तानी खिलाड़ियों से तो अक्सर ही उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा है. इनमें गंभीर की सबसे चर्चित लड़ाई 2007 में कानपुर वनडे के दौरान पाकिस्तान के स्टार ऑलराउंडर शाहिद अफरीदी के साथ हुई थी. एकदूसरे पर गालियों की बौछार करने के अलावा गंभीर रन लेते हुए शाहिद अफरीदी से टकरा (शायद जानबूझकर) भी गए थे. जिसके बाद गुस्से में एकदूसरे की तरफ बढ़ रहे इन दोनों खिलाड़ियों को अंपायरों ने अलग किया था. इसके बाद 2010 में एशिया कप के एक मैच के दौरान गंभीर पाकिस्तान के विकेटकीपर कामरान अकमल से भी भिड़ गए थे.
कोहली और द्रविड़ से भी भिड़ चुके हैं गंभीरः गंभीर का गुस्सा सिर्फ विदेशी खिलाड़ियों पर ही नहीं फूटता बल्कि वह अपने देश के खिलाड़ियों पर भी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं. 2013 के आईपीएल में तो वह टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली से भी भिड़ चुके हैं और दोनों के बीच इतनी गर्मागर्म बहस हुई थी कि गावस्कर तक ने इसे शर्मनाक करार दिया था. इन दोनों जोशीले खिलाड़ियों के बीच 2015 के आईपीएल में भी जोरदार बहस देखने को मिली थी. गंभीर ने तो काफी शांत माने जाने राहुल द्रविड़ को भी नहीं बख्शा है और 2013 के आईपीएल में उन्होंने द्रविड़ पर अपनी नाराजगी दिखा दी थी.
जोश और पैशन है गुस्से की वजह? कुछ लोगों का मानना है कि खेल के प्रति जोश और जुनून ही मैदान में गंभीर के गुस्से के रूप में सामने आता है. इसलिए इसके गलत मायने नहीं निकाल जाने चाहिए. उनका कहना है कि गंभीर जिस जोश और पैशन के साथ मैदान में उतरते हैं वही कई बार उनकी साथी खिलाड़ियों से भिड़ंत की वजह बन जाता है, ऐसा करने का उनका कोई इरादा नहीं होता है. लेकिन अगर यह मान भी लिया जाए कि गंभीर का खेल के प्रति जोश ही उनके गुस्से की वजह है तब भी इसे सही नहीं ठहराया जा सकता. क्या सचिन और द्रविड़ जैसे खिलाड़ी बिना जोश और जुनून के ही महान बन गए, लेकिन फिर उन्हें गंभीर जैसा गुस्सा क्यों नहीं आता था और वह मैदान में हमेशा अपनी मर्यादा में कैसे रहते थे? जाहिर सी बात है कि गंभीर को अपने गुस्से पर नियंत्रण करना आना चाहिए और इसे कभी भी सही नहीं ठहराया जा सकता.
टीम इंडिया से बाहर होने की नाराजगीः मनोज तिवारी पर झल्लाने की एक वजह गंभीर की लंबे समय से टीम इंडिया में जगह न मिलना भी हो सकती है लेकिन तब भी क्या इस तरह से अपनी नाराजगी दिखाना सही है? अगर गंभीर को भारतीय टीम में न होने का इतना ही मलाल है तो उन्हें इसका जवाब अपने बैट से देना चाहिए न कि अपने मुंह से, वह भी अपने ही साथी खिलाड़ियों पर बेवजह गुस्सा दिखाकर! ऐसा करके तो वह अपना ही कद घटाएंगे.
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