आखिर धोनी क्यों हुए आगामी टी-20 सीरीज से बाहर!
आने वाली टी-20 सीरीज़ में महेंद्र सिंह धोनी भारतीय टीम का हिस्सा नहीं होंगे, उनकी जगह टीम में विकेट-कीपर के तौर पर दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत को मौका दिया गया है. चयनकर्ता फिलहाल विकेट कीपर के तौर पर एक मजबूत विकल्प ढूंढ रहे हैं.
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भारत और वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन मैचों की टी-20 सीरीज चार नवंबर से खेली जानी है तो वहीं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 21 नवंबर से तीन मैचों की टी-20 सीरीज होगी. लेकिन इस बार छोटे फॉर्मेट के स्पेशलिस्ट माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी भारतीय टीम का हिस्सा नहीं होंगे, उनकी जगह टीम में विकेट-कीपर के तौर पर दिनेश कार्तिक और युवा ऋषभ पंत को मौका दिया गया है.
धोनी को टीम से ड्रॉप करना किसी आश्चर्य से कम नहीं है
बता दें कि 37 वर्षीय धोनी भारत की ओर से सबसे ज्यादा टी-20 इंटरनेशनल मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं और साल 2007 में साउथ अफ्रीका में खेले गए पहले ट्वंटी-20 विश्व कप में भारत को चैंपियन बनाने में भी उनकी अहम भागीदारी थी. यही नहीं यह पहला मौका है जब धोनी को टीम में शामिल नहीं किया गया है. धोनी को हटाने के पीछे तर्क देते हुए मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने कहा है कि धोनी के लिए टी-20 मुकाबलों में उतरने की यह समाप्ति नहीं है और चयनकर्ता फिलहाल विकेट कीपर के तौर पर एक मजबूत विकल्प ढूंढ रहे हैं.
चयनकर्ताओं की सफाई के बावजूद इस फैसले से ये सन्देश जरूर गया है कि धोनी को टीम से ड्राप किया गया है. लेकिन इस महान खिलाड़ी के लिए अब भी टीम में जगह है क्योंकि भले ही कप्तान विराट कोहली ने टीम इंडिया में फिटनेस का स्तर बहुत ऊंचा किया हो लेकिन धोनी इस मामले में कहीं पीछे नहीं हैं.
कोहली ने कई मौकों पर धोनी की जमकर तारीफ की है. हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि महेंद्र सिंह धोनी से मैंने अधिकतर सीख ली है. मैं कई बार स्लिप में उनके पास खड़ा रहा और मुझे करीब से उन्हें समझने का मौका मिला.’ तो वहीं एशिया कप में कप्तान विराट कोहली की गैरमौजूदगी में भारतीय टीम की कमान संभालने वाले रोहित शर्मा को भी इस बात का फख्र है कि उन्होंने पूर्व कप्तान धोनी से दबाव की स्थिति में शांत रहने की कला सीख ली है. कह सकते हैं कि धोनी टीम में ना सिर्फ एक विकेट कीपर बल्लेबाज के तौर पर खेलते हैं बल्कि कई मौकों पर उनके अनुभवों से टीम को फायदा होता है जो किसी कप्तान के लिए मददगार साबित होता है.
विराट कोहली खुद कहते हैं उन्होंने धोनी से बहुत कुछ सीखा है
चयनकार्ताओं के इस फैसले में टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री की सोच की झलक भी नजर आती है. बता दें कि हाल ही में ऋषभ पंत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में दो बेहतरीन पारियां खेली थीं जिसके बाद शास्त्री से पूछा गया था कि वो पंत और रिद्धिमान साहा में से किसे चुनेंगे तो इसके जवाब में शास्त्री ने कहा कि, आपके पास इसके लिए एक विकल्प है कि आप तत्कालीन फॉर्म के आधार पर खिलाड़ी का चयन करें. आप अतीत में जाकर नहीं देख सकते हैं कि कब क्या हुआ. आपको वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए फॉर्म के आधार पर निर्णय लेना होगा. वह चयन का सबसे बड़ा पैमाना होगा. कोच शास्त्री के जवाब में कोई नयी बात नहीं थी वैसे भी मौजूदा फॉर्म के दम पर ही खिलाडियों का चयन होता है.
धोनी के टीम से बाहर किये जाने के पीछे पहले की तरह उनके बल्ले से रन ना निकलने को माना जा सकता है. आइये एक नजर डालते हैं धोनी, दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत के टी-20 करियर पर.
धोनी ने 1 दिसंबर 2006 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ पदार्पण करने के बाद से भारत टीम द्वारा खेले गए 104 T-20 मैचों में से 93 मैचों में टीम में शामिल रहे. इस दौरान उन्होंने 127.09 के स्ट्राइक रेट से 1487 रन बनाए हैं जबकि उनका औसत 37.17 का है. इसके अलावा उन्होंने विकेट के पीछे 54 कैच पकड़े हैं और 33 स्टंपिंग भी की हैं.
कार्तिक ने भी 1 दिसंबर 2006 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ इस फॉर्मेट में पदार्पण किया लेकिन अब तक उन्होंने केवल 21 मैच खेले हैं. जिसमें उन्होंने 145.40 के स्ट्राइक रेट से 269 रन बनाये हैं इस दौरान उनका औसत 29.88 का है. उन्होंने 9 कैच पकड़े हैं और 5 स्टंपिंग की है.
ऋषभ पंत ने पिछले साल 1 फ़रवरी को इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 में पदार्पण किया. उन्होंने चार मैच खेले हैं जिनमें 105 की स्ट्राइक रेट से 73 रन बनाये हैं उनका औसत 24.33 का है. उन्होंने दो कैच पकडे हैं.
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