ताजगंज वासियों के लिए सजा क्यों है वीवीआईपी का आना
जब कोई विदेशी मेहमान भारत आता है तो उसकी ख्वाहिश होती है कि वो ताजमहल जरूर देखे. अगर वो मेहमान कोई शासनाध्यक्ष हो तो ताज के आसपास बसे ताजगंज वासियों के लिए मुसीबत का सबब बन जाता है.
-
Total Shares
जब कोई विदेशी मेहमान भारत आता है तो उसकी ख्वाहिश होती है कि वो ताजमहल जरूर देखे. अगर वो मेहमान कोई शासनाध्यक्ष हो तो ताज के आसपास बसे ताजगंज वासियों के लिए मुसीबत का सबब बन जाता है. ये हजारों लोग दिनभर के लिए एक तरह से बंधक बना लिए जाते हैं.
अब अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आ रहे हैं. मेहमान नवाजी की तैयारियां जोरों पर हैं. लेकिन सबसे अहम है ओबामा की सुरक्षा. जिसके लिए दो माह से भारत और अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियां कसरत कर रही हैं. दिल्ली के अलावा ओबामा अपनी बेगम के साथ ताजमहल का दीदार करने के लिए आगरा जाएंगे. इसलिए दिल्ली के बाद सबसे ज़्यादा सुरक्षा के इंतजाम आगरा में किए जा रहे हैं.
ताजमहल की सुरक्षा के तीन घेरे हैं. ताज की बाहरी सुरक्षा स्थानीय पुलिस का जिम्मा है लेकिन अंदर की सुरक्षा सीआईएसएफ के पास है. ताज में प्रवेश करने के लिए तीन गेट हैं. यहां हमेशा ही कड़ी सुरक्षा रहती है. इन्हीं के पास से होकर जाता है ताजगंज के भीतर जाने का रास्ता. जब भी कोई शासनाध्यक्ष यहां आता है, तो इन रास्तों को सुबह से ही बंद कर दिया जाता है. यानी ताजगंज वासी अपने इलाके में कैद. यदि यह वीआईपी अमेरिका या यूरोप से है तब तो और मुसीबत. ओबामा के मामले में तो पाबंदियां इतनी कड़ी हैं कि लोग अपने ही घर की छत पर नहीं जा सकेंगे. अब यदि इस इलाके की होटल में यदि कोई पर्यटक रुका है तो उसके लिए भी यही पाबंदी लागू होगी. ताजगंज की दुकानें और शोरूम आदि भी बंद रखे जाने की योजना है.
ताजगंज के अलावा दशहराघाट प्राचीन मन्दिर, हजरत अहमद बुखारी की दरगाह, अहमद बुखारी कब्रिस्तान, राजीव नगर, वासुदेव कॉलोनी, फोरेस्ट कॉलोनी, जालमा कुष्ठ आश्रम, ग्राम नगला पैमा, गढी बंगज और नगला कल्फी के आने-जाने का रास्ता भी बन्द ही रहेगा. इन इलाकों मे जाने के लिए कोई और वैकल्पिक मार्ग भी नहीं है. ऐसे में ताजगंज और आस-पास रहने वाले करीब 15 हज़ार लोग नजरबंदी झेलेंगे.
ताजगंज के लोगों ने अपनी इस परेशानी को लेकर कई बार धरना, प्रदर्शन तक किए. चूंकि ताजमहल वर्ल्ड हेरिटेज है, इसलिए मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा. उसकी एक मॉनिटरिंग कमेटी ने जिला प्रशासन को ताजगंज के लिए वैकल्पिक मार्ग देने या फिर वहां के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किए जाने जैसे प्रस्ताव भेजे. लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने इनमें से किसी भी विकल्प पर गंभीरता से काम नहीं किया.
आपकी राय