क्या तीन साल बाद मिले इस मौके को भुना पाएंगे युवराज?
इसे महज संयोग कहें या कुछ और लेकिन धोनी के रिटायरमेंट के ऐलान के बाद ही युवराज को वनडे टीम में वापस जगह मिली है. लेडी लक भी इस समय युवराज के साथ है, लेकिन क्या संजीवनी की तरह मिले इस मौके को युवराज भुना पाएंगे.
-
Total Shares
आखिरकार 3 साल के लंबे इंतजार के बाद युवराज सिंह की एकदिवसीय टीम में वापसी हो ही गई. युवराज की वनडे टीम में वापसी उनके क्रिकेट करियर के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है क्योंकि 35 वर्षीय युवराज का टीम में चयन मुश्किल लग रहा था. हालिया समय में जिस प्रकार से युवाओं ने प्रदर्शन किया है उससे युवराज का चयन और मुश्किल हो गया था. इससे पहले युवराज ने इंडिया की ओर से आखिरी वनडे मैच दिसंबर, 2013 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में खेला था. लंबे समय से टीम से बाहर चल रहे युवराज को लेडी लक का भी पूरा साथ मिला, युवराज ने महीने भर पहले ही हेज़ल कीच से शादी रचाई है. अब इसे एक संयोग ही कहा जाए या कुछ और, लेकिन महेंद्र सिंह धोनी के कप्तानी से अलविदा कहते ही युवराज सिंह की वापसी हुई है, क्योंकि समय-समय पर धोनी और युवराज के बिच मनमुटाव की भी ख़बरें बाहर आती रही हैं.
युवराज ने कई बड़े टूर्नामेंट अपने नाम किए हैं |
हालाँकि, युवराज सिंह के घरेलू सीजन में बनाए गए रन उनके चयन को सही ठहराते हैं. युवराज इस साल घरेलू क्रिकेट में अच्छे फॉर्म में दिखे हैं. युवराज सिंह ने इस सीजन में खेले गए 8 रणजी मैचों में 724 रन बनाए हैं, जिसमें बड़ौदा के खिलाफ 260 और मध्यप्रदेश के खिलाफ 177 रन की पारियां बेहतरीन परियां भी रही है. युवराज हालांकि दलीप ट्रॉफी के खेले गए मैचों में कुछ खास कर पाने में नाकाम रहे थे.
ये भी पढ़ें- इसे धोनी का अंत न कहें, ये शायद एक नयी शुरुआत की तैयारी है!
ऐसा नहीं है की युवराज सिंह को मौके नहीं मिले, मगर मिले मौके को युवराज भुना नहीं पाए. युवराज को इससे पहले साल 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन वनडे मैचों में मौके दिए गए थे जिसमें उन्होंने एक फिफ्टी (55) समेत केवल 99 रन ही बनाए थे जबकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में 4 परियों में 19 रन ही बनाए थे. युवराज साल 2012 और 2013 में खेले गए 19 मैचों की 16 परियों में 18.53 की साधारण औसत से मात्र 268 रन ही बनाने में सफल रहे. इस दौरान वो केवल दो फिफ्टी लगा पाए. युवराज इस दौरान फॉर्म के साथ-साथ अपनी फिटनेस को भी लेकर जूझते दिखे. युवराज मैदान पर उस फुर्तीले अंदाज में नहीं दिखे जिसके लिए युवराज को लोग जानते थे.
ये भी पढ़ें- महेंद्र सिंह धोनी का वन-डे और टी-20 की कप्तानी छोड़ने का राज़
युवराज भारत के लिए बड़े मैच विनर रहे हैं, 2007 का T20 वर्ल्ड कप हो या 2011 का वर्ल्ड कप दोनों ही टूर्नामेंट में भारत को जीताने में युवराज की बड़ी भूमिका रही है. साथ ही व्यक्तिगत ज़िन्दगी में कैंसर जैसी बीमारी से जंग लड़ कर वापस आए युवराज को भी पता होगा कि वर्तमान समय में उन्हें अच्छा प्रदर्शन करना ही होगा वर्ना उनका क्रिकेट करियर समाप्त हो जाएगा. अब चयनकर्ताओं ने जिस उम्मीद से युवराज को टीम में चुना है, वैसी ही उम्मीद करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को भी उनसे होगी. क्रिकेट प्रेमी इस स्टाइलिश क्रिकेटर को गेंद सीमा पार भेजते देखने के लिए उत्सुक होंगे और उम्मीद यही है कि यह योद्धा क्रिकेटर इस जंग को जितने में भी सफल रहेगा.
आपकी राय