कुश्ती फेडरेशन की बदली पॉलिसी जो लंबे समय से हरियाणा के पहलवानों को चुभ रही थी!
कुश्ती फेडरेशन (WFI) के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह खिलाड़ियों और के बीच जारी गतिरोध कोई आज का नहीं है. इस पूरे विवाद की शुरुआत नवंबर 2021 में उस वक़्त हुई थी जब भारतीय कुश्ती महासंघ ने अपनी पॉलिसी में कुछ महत्वपूर्व बदलाव किये थे.
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Wrestling Federation Of India आपाधापी के दौर से गुजर रहा है. दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर खिलाडियों ने फेडरेशन के अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यौन उत्पीड़न का संगीन इल्जाम लगाते हुए खिलाड़ी जहां अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह को हटाने की मांग कर रहे हैं. तो वहीं सिंह इसे अपने खिलाफ बड़ी साजिश बता रहे हैं और डंके की चोट पर इस बात को कह रहे हैं कि वो किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं. मामला क्योंकि देश के लिए पदक जाने वाले खिलाड़ियों और भारतीय कुश्ती महासंघ की तनातनी से जुड़ा है इसलिए खेल मंत्रालय भी गंभीर दिख रहा है. मामले का संज्ञान लेते हुए खेल मंत्रालय ने भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. विवाद बढ़ने के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से बात की जिसके बाद सरकार द्वारा जांच के लिए एक तीन सदस्यी जांच समिति बनाए जाने की बात भी सामने आ रही है.
महिला पहलवानों ने ब्रज भूषण सिंह पर तमाम गंभीर आरोप लगाए हैं लेकिन सिंह भी हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं
मामले को भले ही गैर राजनैतिक कहा जा रहा हो. लेकिन ब्रज भूषण सिंह के खिलाफ जैसा रवैया खिलाड़ियों का है. इस बात में कोई शक नहीं कि विषय सिर्फ खेल, खिलाड़ी और कुश्ती नहीं हैं. खिलाड़ियों का साफ़ कहना है कि जब तक सरकार/खेल मंत्रालय ब्रज भूषण शरण सिंह का 'उचित बंदोबस्त' नहीं करती तब तक वो किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेंगे. सवाल ये है कि क्या इस पूरे विवाद की वजह खिलाड़ियों के प्रति ब्रज भूषण सिंह की सख्ती है? जवाब हमें उस पालिसी के जरिये मिलते हैं.
दरअसल खिलाड़ियों और ब्रज भूषण शरण सिंह के बीच जारी गतिरोध कोई आज का नहीं है. इस पूरे विवाद की शुरुआत नवंबर 2021 में उस वक़्त हुई थी जब भारतीय कुश्ती महासंघ ने अपनी पॉलिसी में कुछ महत्वपूर्व बदलाव किये थे. फेडरेशन ने अपने नए नियमों में तय किया था कि ओलंपिक के लिए टीम को आखिरी रूप देने से पहले ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ियों को भी ट्रायल्स में भाग लेने के लिए कहा जा सकता है.
ध्यान रहे कि ओलंपिक से पहले कई सारी चैम्पियनशिप होती हैं. इसमें जीतने वाले खिलाड़ी को ओलंपिक का कोटा मिल जाता है. जो देश जितनी ज्यादा चैम्पियनशिप जीतेगा, उसके उतने ज्यादा खिलाड़ी ओलंपिक में जा सकते हैं.चूंकि, ये चैम्पियनशिप ओलंपिक से काफी समय पहले होतीं हैं, इसलिए रेसलिंग फेडरेशन ने तय किया था ओलंपिक के लिए फाइनल टीम भेजने से पहले सभी खिलाड़ियों को ट्रायल से गुजरना पड़ सकता है, फिर चाहे उसने खुद ओलंपिक कोटा क्यों न हासिल किया हो.
इस नियम को क्यों बनाया गया? इसके पीछे की वजह बताते हुए फेडरेशन ने कहा था कि ओलंपिक कोटा हासिल करने के बाद कुछ खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं या फॉर्म में नहीं रहते और वो इस बात को छिपाकर ओलंपिक खेलने चले जाते हैं, जिससे मेडल की संभावनाएं कम हो जातीं हैं. इतना ही नहीं, अब ये नियम भी कर दिया गया है कि कोई भी राज्य नेशनल में एक से ज्यादा टीम नहीं भेज सकता. यहां ये बताना बहुत जरूरी है कि नियम बनने से पहले ओलंपिक में सबसे ज्यादा टीमें हरियाणा, रेलवे और सेना से भेजी जाती थीं.
उपरोक्त बातों से कहीं न कहीं विवाद की परतें हट गयी हैं. वो तमाम पहलवान जो प्रदर्शनकारी बन जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं विवाद का हरियाणा कनेक्शन भी दिखा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि रेसलिंग फेडरेशन के नए नियमों के बाद कहीं न कहीं एक राज्य के रूप में हरियाणा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
फेडरेशन से जुड़े अधिकारियों की मानें तो नए नियमों को लाने का उद्देश्य बस इतना ही था कि वो तमाम राज्य जो पहलवानी के हिहाज से कमजोर थे उन्हें भी आगे आने का मौका मिले। नियम बनने के पूर्व तक हरियाणा की टीम हर वर्ग में 6 पहलवानों को उतारती थी. कह सकते हैं कि ब्रज भूषण शरण सिंह के नेतृत्व में बने नए नियमों ने कुश्ती की दुनिया में कहीं न कहीं हरियाणा की मोनोपॉली को खत्म करने का काम किया है.
2021 में जब भारतीय कुश्ती महासंघ ने ये नए नियम बनाए थे तो मुखर होकर हरियाणा ने इसका विरोध किया था. तब हरियाणा रेसलिंग फेडरेशन की तरफ से हरियाणा के साथ नाइंसाफी है. इससे न सिर्फ हरियाणा, बल्कि देश की कुश्ती को भी नुकसान होगा. वहीं इस बात पर भी बल दिया गया था कि सभी सात ओलंपियन हरियाणा से आए थे और उसके बावजूद सर्फ और सिर्फ हरियाणा को टारगेट किया जा रहा है.
इस बात में कोई शक नहीं है कि रेसलिंग फेडरेशन के जो नियम हैं वो सख्त है. यानी अब जो नेशनल नहीं खेलेगा, वो इंडियन कैंप में रिप्रेजेंट नहीं कर सकता. किसी खिलाडी को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जीतने के बाद ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिलेगा. खिलाड़ी कह रहे हैं कि हम जीतकर आए हैं इसलिए मौके पर पहला हक़ हमारा है और विरोध इसी को लेकर है.
बाकी बात WFI और ब्रज भूषण शरण पर लगे यौन उत्पीडन के आरोपों की हुई है तो ये आरोप कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहलवान विनेश फोगाट ने आत्महत्या तक की बात कह दी है.
मीडिया से मुखातिब फोगाट ने कहा है कि, 'महिला पहलवानों का यौन शोषण किया जाता है. मैं खुद महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के 10-20 मामलों के बारे में जानती हूं. जब हमें हाईकोर्ट निर्देश देगा तो हम सभी सबूत देंगे. वहीं विनेश ने खिलाड़ियों को मिलने वाली किट पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि जो किट खिलाड़ियों को मिलती है वो बेहद घटिया क्वालिटी की होती है.
वहीं साक्षी मलिक का आरोप है कि इवेंट के अगले ही दिन टूर्नामेंट रख दिया जाता है और हमें प्रताड़ित किया जा रहा है. साक्षी ने दावा किया कि अगर कोई खिलाड़ी किसी वजह से टूर्नामेंट मिस कर देता है तो उसे बैन कर दिया जाता है. खिलाड़ियों के इन आरोपों पर ब्रज भूषण सिंह का पूरे कॉन्फिडेंस से इस बात को कहना कि वो किसी भी जांच के लिए तैयार हैं अपने आप में कई सवाल खड़े करता है.
हो सकता है कि वाक़ई ब्रज सही हों और कुश्ती में सही काम करना चाहते हों और उनका ये अंदाज खिलाड़ियों को बुरा लग गया हो.या ये भी हो सकता है कि वाक़ई महिला पहलवानों का शोषण हुआ हो. जो भी हो क्योंकि बात देश की है और इस मामले पर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर है तो इसकी विस्तृत जांच हो और खिलाड़ियों से लेकर ब्रज भूषण सिंह तक जो भी गलत हो उसे सख्त से सख्त सजा मिले।
बाकी बात देश के लिए मैडल लाने वाले खिलाड़ियों की है तो लाने को तो पहलवान सुशील कुमार भी देश के लिए मेडल लाए थे लेकिन आज वो कहां हैं पूरा देश जानता है. इस मामले में हम किसी का भी पक्ष नहीं लेंगे लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि सही जांच ही वो तरीका है जिससे इस बेहद पेंचीदा मसले से जुड़े राज परत दर परत हटाए जा सकते हैं.
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