रियो ओलंपिक: सलमान खान का विरोध क्यों, उनका तो स्वागत कीजिए
सलमान को भारत की ओर से रियो ओलंपिक का गुडविल एंबेसडर बनाए जाने पर विवाद शुरू हो गया है. लेकिन सवाल है कि ये विरोध क्यों? हम ही तो आरोप लगाते रहते हैं कि इस देश में केवल क्रिकेट को तवज्जो मिलती है. दूसरे खेलों को कोई पूछता भी नहीं.
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सलमान खान और विवाद. दोनों एक-दूसरे को छोड़ दें, ऐसा कहां संभव है. सलमान को भारत की ओर से रियो ओलंपिक का गुडविल एंबेसडर बनाए जाने पर विवाद शुरू हो गया है. लेकिन सवाल है कि ये विरोध क्यों? क्या हो गया अगर बॉलीवुड का कोई शख्स या कोई सेलिब्रिट्री रियो ओलंपिक से जुड़ता है. विरोध की पहली आवाज लंदन ओलंपिक में कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले योगेश्वर दत्त ने उठाई. उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट कर सलमान को एंबेसडर चुने जाने पर विरोध जताया.
Ambassador का क्या काम होता है कोई मुझे बता सकता है क्या. क्यूँ पागल बना रहे हो देश कि जनता को.???? https://t.co/vtjb0XWdP8
— Yogeshwar Dutt (@DuttYogi) 23 April 2016
PT Usha,Milkha Singh jaise bade sports star hai jinhone kathin samay me desh ke liye mehnat ki. Khel ke kshetra me Es ambassador ne Kya kiya
— Yogeshwar Dutt (@DuttYogi) 23 April 2016
ambassador बनाने से होगा क्या पदक ज़्यादा आ जाएँगे क्या ये नाटक ही करना था तो किसी खिलाड़ी को ही बना देते #जयहिंद https://t.co/8Urgge2KwT
— Yogeshwar Dutt (@DuttYogi) 24 April 2016
योगेश्वर के इन सभी ट्वीट के बाद मिल्खा सिंह भी सामने आए और भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को सलमान को ब्रांड एंबेसडर चुने जाने के फैसले पर दोबार विचार करने की बात कही.
IOA has taken wrong decision.We don't need any ambassador.Sportsmen representing nation in #RioOlympics2016 are our ambassador: Milkha Singh
— ANI (@ANI_news) April 24, 2016
सलमान का खेलों से क्या कनेक्शन?
चलिए बात वहीं से शुरू करते हैं कि जो ज्यादातर लोग उठा रहे हैं. वो ये कि फिल्म स्टार सलमान का भला खेलों और ओलंपिक से क्या कनेक्शन? एक हद तक बात सही भी है कि सलमान और ओलंपिक का संबंध कैसा? फिर भी आप सलमान को एकदम से इग्नोर नहीं कर सकते. वो इसलिए कि आप मानें या नहीं, हमारे समाज को बदलने में फिल्मों ने एक बड़ी भूमिका निभाई है. वो बदलाव नकारात्मक भी है और उसके सकारात्मक पहलू भी हैं.
याद कीजिए 1990 का दौर जब फिल्म 'मैंने प्यार किया' आई थी. वो फिल्म जबर्दस्त हिट रही. लोगों ने खूब पसंद किया. लेकिन उस फिल्म की एक और बड़ी बात जो थी वो ये कि उसने हिंदी फिल्मों के हीरो के लुक्स को बदलने का काम किया. फिट बॉडी वाले मेल ऐक्टर्स की मांग होने लगी. अक्षय कुमार से लेकर संजय दत्त और फिर सुनील शेट्टी इस कड़ी में आगे आए और देखते ही देखते देश भर में कई जिम खुलने लगे. जिम जाने वालों की लाइन लग गई.
फिटनेस की जागरूकता को लेकर एक गजब का बदलाव हुआ. और ये तो सब मानेंगे कि कम से कम फिटनेस और खेल का तो कोई न कोई कनेक्शन है ही. कई लोग कह रहे हैं कि सलमान की फिल्म 'सुल्तान' आ रही है. यह फिल्म कुश्ती को लेकर है. ओलंपिक से जुड़ने का एक बड़ा कारण फिल्म का प्रोमोशन हो सकता है. जरूर हो सकता है, लेकिन इस पर सवाल क्यों? सलमान अपना बिजनेस संभाल रहे हैं. खेलों को अपना बिजनेस चाहिए. दोनों एक-दूसरे के लिए फायदेमंद ही साबित होंगे.
सलमान खान- रियो ओलंपिक के गुडविल एंबेसडर |
खेलों में आपकों स्पॉनसर्स तो चाहिए. सलमान का चेहरा ही उन्हें खींच लाए तो बुरा क्या है. वे सुपरस्टार हैं. उनके लाखों फैंस हैं. अगर वे ओलंपिक जैसे आयोजनों से जुड़ेंगे तो अच्छी पब्लिसिटी मिलेगी और इससे फायदा खेल को ही होगा.
किसी भी खेल की बात कर लीजिए. अगर उसे आगे बढ़ाना है तो पैसा चाहिए. योगेश्वर कहते हैं, 'एंबेसडर बनाने से क्या पदक ज्यादा आ जाएंगे. ये नाटक करना ही था तो किसी खिलाड़ी को ही बना देता. देश को स्पॉनसर नहीं पदक चाहिए'. सच बात है पदक तो चाहिए, लेकिन उससे भी बड़ा सच ये है कि पैसा चाहिए. लोगों का समर्थन चाहिए. देश में वो पागलपन चाहिए कि जब ओलंपिक में कोई अहम स्पर्धा हो रही हो तो करोड़ लोगों की नजरें टीवी स्क्रीन पर टिक जाए. मानो क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल चल रहा हो. माना कि सलमान के आने से ये रातों-रात संभव नहीं हो जाएगा. अभी से सपना देखने की जरूरत भी नहीं लेकिन जब सलमान जैसे कई और चेहरे जुड़ेंगे तो फर्क आएगा. लोगों की और खासकर युवाओं की दिलचस्पी बढ़ेगी और यही तो हमें चाहिए.
और फिर हम ही तो आरोप लगाते रहते हैं कि इस देश में केवल क्रिकेट को तवज्जो मिलती है. दूसरे खेलों को कोई पूछता भी नहीं. IOA की ओर से कहा गया है कि सलमान ने एंबेसडर बनने के लिए कोई राशि नहीं ली है. तो स्वागत कीजिए न! सलमान आए हैं तो और लोगों को भी बुलाइए. सबको जोड़िए. तभी बात बनेगी...
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