साम्प्रदायिक ताकतों के निशाने पर हैं युवा
चुनाव के दौर में अक्सर धर्म के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण किए जाने की कोशिश होती है. लेकिन अब देश में धर्म के नाम पर युवाओं का ध्रुवीकरण भी किया जा रहा है.
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चुनाव के दौर में अक्सर धर्म के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण किए जाने की कोशिश होती है. लेकिन अब देश में धर्म के नाम पर युवाओं का ध्रुवीकरण भी किया जा रहा है. ज्यादा पुरानी बात नहीं है, फरवरी माह में एक तस्वीर सोशल मीडिया में वाइरल हुई. तस्वीर में एक स्कूली छात्र अपनी कक्षा में ही चार छात्राओं की गोद में लेटा हुआ दिख रहा था. मगर इन छात्रों ने कभी सोचा नहीं था कि स्कूल की हंसी-मजाक का खामियाजा उन्हें एक बड़े विवाद के रूप में भुगताना पड़ेगा.
तस्वीर के वायरल होने के कुछ दिन बाद छात्राओं की गोद में लेट कर तस्वीर खिंचाने वाले छात्र के घर पर कुछ लोगों ने धावा बोल दिया. वो उस छात्र को उठा ले गए और जमकर उसकी पिटाई की. बाद में उसे चेतावनी देकर शहर के बाहर फेंक दिया गया. दरअसल माजरा ये था कि छात्राओं की गोद में लेटकर तस्वीर खिंचवाने वाला छात्र मुस्लिम था और चारों छात्राएं हिंदू. छात्र को सजा देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदार थे. स्कूलों में अक्सर छात्र-छात्राएं हंसी मजाक करते हैं. लेकिन अब उनके लिए ऐसा करना आसान नहीं लगता.
तस्वीर वाली ये घटना केवल बानगीभर है. सियासत के गलियारों में चलने वाली साम्प्रदायिकता की ज़हरीली हवा समाज में इस कदर घुल रही है कि इसका असर युवाओं पर भी हो रहा है. दोनों तरफ के मजहबी और सियासी रहनुमा इस बात को अच्छे से जानते हैं कि नौजवान पीढ़ी के बीच ध्रुवीकरण का बीज बोने से आने वाले वक्त में उनकी सियासी फसल बेहतर हो सकती है. अब हालात ये हो गए हैं कि युवाओं के बीच धार्मिक लोगों की आवाजाही बढ़ रही है. दक्षिण भारत का कर्नाटक हो या फिर उत्तर प्रदेश. सभी राज्यों में अचानक इस तरह की घटनाएं बढ़ गई हैं जिनके पीछे साम्प्रदायिक ताकतों का हाथ होता है.
शिक्षण संस्थाओं के बाहर और सार्वजिनक कार्यक्रमों में मजहब के ठेकेदार अपना काम कर रहे हैं. युवाओं में एक-दूसरे के प्रति नफरत बढ़ाने का काम किया जा रहा है. छोटी-छोटी बातों पर दंगे-फसाद हो रहे हैं. मामला कोई भी हो उसे धर्म से जोड़कर देखा जाता है. एक तरफ दक्षिण भारत में बजरंग दल समेत कई भगवा संगठन अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपनी आक्रमक कार्रवाई को तेज करते नजर आते हैं, तो दूसरी तरफ हैदराबाद के विवाविद नेता भड़काऊ बयान देकर उत्तर प्रदेश के मुसलमानों के बीच जगह बनाने के लिए नई सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं.
सोशल मीडिया का इस्तेमाल समाज में जहर फैलाने के लिए किया जा रहा है. आए दिन कोई न कोई विवादित पोस्ट समाज में साम्प्रदायिक तनाव की वजह बन जाती है. फेक आईडी बनाकर फेसबुक और ट्वीटर पर धार्मिक उन्माद भड़काने की कोशिशें की जा रही है. देश का युवा वर्ग सोशल मीडिया पर खास सक्रिय है. वो इससे कहीं न कहीं प्रभावित होता है. सरकार हर घटना के पीछे सियासी फायदा तो तलाशती है. लेकिन कार्रवाई करने में अक्सर देरी करती नजर आती है.
दरअसल, मजहबी और सियासी ठेकेदारों की ये कोशिश समाज में एक बड़ा ध्रुवीकरण करने के लिए हो सकती है. लेकिन देश की जनसंख्या का एक बड़ा भाग आज भी साम्प्रदायिकता में विश्वास नहीं रखता. इसलिए ज़रूरत केवल ठंडे दिमाग से पूरे हालात पर सोच विचार करने की है.
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