कैसे चूका गूगल, महज 12 डॉलर में बिका!
अगर कोई आपसे कहे कि टेक्नोलॉजी के मामले में दुनिया की सबसे बेहतरीन कंपनी गूगल.कॉम को किसी शख्स ने महज 720 रुपये (12 डॉलर) में खरीद लिया तो आप शायद यकीन नहीं कर पाएंगे, लेकिन...
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अगर कोई आपसे कहे कि टेक्नोलॉजी के मामले में दुनिया की सबसे बेहतरीन कंपनी गूगल.कॉम को किसी शख्स ने महज 720 रुपये (12 डॉलर) में खरीद लिया तो आप शायद यकीन नहीं कर पाएंगे. लेकिन ये सच है, जी हां एक भारतीय वेद मलिक ने गूगल के एक बग का फायदा उठाते हुए वह करिश्मा कर दिखाया जोकि असंभव लगता है. आइए जानें कैसे सबसे फूलप्रूफ कंपनियां भी कई बार तकनीकी मामलों में इतनी बड़ी भूल करती हैं कि यह कहना ही पड़ता है कि पूरी दुनिया को खोजने वाले गूगल को खुद की कमियों को खंगालने और उसे दूर करने की जरूरत है...
वेद ने महज 12 डॉलर में खरीदा google.com:गगूल के पूर्व कर्मचारी रह चुके संवय वेद ने नेट सर्फिंग के दौरान उत्सुकतावश google.com का डोमेन खरीदने के लिए उसे सर्च किया और यह देखकर हैरान रह गए कि यह डोमेन नेम खरीदने के लिए उपलब्ध है. पहले उन्हें लगा कि ऐसा शायद किसी तकनीकी गलती के कारण हुआ होगा लेकिन जब उन्हें उसे खरीदने के लिए पेमेंट का ऑप्शन भी मिल गया तो वे समझ गए कि यह हकीकत है. वेद ने इसके बाद 12 डॉलर में google.com का डोमेन खरीद लिया. हालांकि वेद की यह खुशी महज एक मिनट के लिए ही रही क्योंकि गूगल ने इसके बाद इस डोमेन की बिक्री को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इस डोमेन नेम को पहले ही लिया जा चुका है. साथ ही वेद को उनका 12 डॉलर भी लौटा दिया गया.
एक मिनट के लिए google.com के मालिक बने वेदः
हालांकि वेद गूगल डॉट कॉम को महज एक मिनट के लिए अपने पास रख पाए लेकिन इस बात से वह काफी उत्साहित हैं और कहते हैं, कम से कम अब मैं यह कह सकता हूं कि मैं वह व्यक्ति हूं जो एक मिनट के लिए google.com का मालिक था.
गूगल के बग से ऐसा हुआ!
गूगल के डोमेन नेम को वेद शायद गूगल के किसी बग के कारण ही खरीदने में सफल हो गए. या फिर इसकी वजह कंपनी द्वारा तय समयसीमा के भीतर अपना डोमेन नेम रिन्यू न कराने के कारण हो सकता है. गूगल के प्रवक्ता ने कहा कि वह इस मामले को देख रहे हैं लेकिन उन्होंने इसे गंभीर समस्या नहीं माना. ऐसा ही मामला 2003 में एक और दिग्गज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के साथ भी हो चुका है. जब इसके Hotmail.co.uk वेब एड्रेस को रिन्यू कराने में असफल रहने पर किसी और ने इसे खरीद लिया था. गूगल के मामले में इसे खुद गूगल से ही खरीदा गया था और गूगल ने खुद ही इसे रद्द भी कर दिया जबकि माइक्रोसॉफ्ट के मामले में कंपनी को खुद खरीददार को इसे लौटाने के लिए कहना पड़ा था.
इस घटना से दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों द्वारा की जाने वाली चूक उजागर होती है, फिर चाहे वह गूगल हो या माइक्रोसॉफ्ट, सुधार की गुंजाइश सबमें है. बहरहाल गूगल के डोमेन के महज 12 डॉलर में बिकने की वजह जो भी हो खरीदने वाले के लिए यह जिंदगी भर न भुलाने वाला अनुभव बन गया.
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