चंद्रयान-2 लॉन्च टला लेकिन 6 सबक दे गया
रॉकेट में एक छोटी सी खामी की वजह से चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग रोक दी गई. लेकिन ऐसा क्यों किया गया और इसे करने के बाद इसरो को और क्या क्या संघर्ष दोबारा झेलने होंगे वो जानकर आप इसरो पर एक बार फिर गर्व करेंगे. सही मायने में तो चंद्रयान का रोक दिया जाना आपको जीवन की सीख ही देगा.
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वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन,
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा....
कहने को तो ये एक शेर है लेकिन जीवन को जीने की सीख देता है. आज ये शेर मिशन चंद्रयान-2 की स्थिति पर एक दम सही बैठता है. पूरी दुनिया जब इसरो के मून मिशन चंद्रयान-2 को उड़ान भरते देखने के लिए तैयार बैठी थी, तभी लॉन्च के 56.24 मिनट पहले इस मिशन के रोक दिए जाने की खबर आई. ये निराश कर देने वाली खबर थी क्योंकि करोड़ों आंखों ने इस यान की सफलता के ख्वाब सजा रखे थे. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी अपने देश की सफलता के साक्षी बनने के लिए श्रीहरि कोटा पर मौजूद थे.
लेकिन कुछ ख्वाबों को पूरा करने के लिए थोड़ी निराशाएं भी झेलनी होती हैं. रॉकेट में एक छोटी सी खामी की वजह से लॉन्चिंग रोक दी गई, क्योंकि इस खामी के साथ इसे अंजाम तक पहुंचाया नहीं जा सकता था. लॉन्च की दूसरी तारीख भी अभी तक नहीं दी गई है. लेकिन ऐसा क्यों किया गया और इसे करने के बाद इसरो को और क्या क्या संघर्ष दोबारा झेलने होंगे वो जानकर आप इसरो पर एक बार फिर गर्व करेंगे. सही मायने में तो चंद्रयान का रोक दिया जाना आपको जीवन की सीख ही देगा.
चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाना था लेकिन 56.24 मिनट पहले काउंटडाउन रोक दिया गया. इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने कहा कि GSLV-MK3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोक दी गई है. लॉन्चिंग की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी.
A technical snag was observed in launch vehicle system at 1 hour before the launch. As a measure of abundant precaution, #Chandrayaan2 launch has been called off for today. Revised launch date will be announced later.
— ISRO (@isro) July 14, 2019
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है
जीवन हमें यही सिखाता है कि कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है. इस मिशन पर वैज्ञानिक पिछले 11 सालों से मेहनत कर रहे थे. इसके लिए बहुतों ने अपनी रातों की नींद गंवाई होगी. इसे किसी भी कीमत पर कर दिखाने के लिए वैज्ञानिकों ने न जाए क्या-क्या खोया होगा. और जब दिन आया तो इस छोटी सी खामी ने उनकी सालों की मेहनत को एक और चुनौती दे दी.
कोई भी परफेक्ट नहीं होता
चंद्रयान का रोक दिया जाना ये भी बताता है कि कोई भी परफेक्ट नहीं होता. इसरो के वैज्ञानिक सबसे श्रेष्ठ हैं और अब तक के ज्यादातर मिशन में वो सफल हुए हैं. इसरो को कम लागत में सफल लॉन्च करने के लिए ही जाना जाता है. फिर भी चंद्रयान के लॉन्च से पहले उन्होंने अपनी ही रचना में कमी खोज ली. इस लॉन्च को लेकर हर कोई आश्वस्त था कि ये सफल होगा. कुछ अखबार तो इतने आश्वस्त थे कि इसके सफल होने का ऐलान भी अखबारों में कर दिया था.
According to this news paper #Chandrayaan2 is a super success n it created history. Thank u pic.twitter.com/mjIFwBW2qQ
— Nellutla Kavitha (@iamKavithaRao) July 15, 2019
So according to today's Malayala Manorama and Kerala Kaumudi, Chandrayaan - 2 was launched 7 hours ago and the journey is expected to take 54 days. A number of Malayalam newspapers carried lead stories on Chandrayaan-2 as though it had launched on Monday morning. #Chandrayaan2 pic.twitter.com/BnDZDclWUC
— Harneet Singh (@singhaliyan) July 15, 2019
लेकिन हमेशा सफल होने का मतलब ये नहीं कि उनसे गलती नहीं हो सकती. अंतिम क्षणों में यह तकनीकि कमी खोज लेना असफलता नहीं बल्कि एक बड़ी सफलता है. क्योंकि अगर इस कमी के साथ रॉकेट छूट जाता तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता था. यह वैज्ञानिकों की महारथ है कि उन्होंने गलती सही समय पर खोज ली.
दुर्घटना से देर भली
चंद्रयान को भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV-MK3 लेकर जा रहा था. इसीलिए इसे बाहुबली भी कहा जा रहा है. इसमें आई खामी को तो एक घंटा पहले ही खोज लिया गया. लेकिन GSLV-MK2 के एक लॉन्च के वक्त सिर्फ लॉन्च से एक सेकण्ड पहले कमी का पता चला था और लॉन्च को रोका गया था. तब इसे ISRO का naughty boy नाम मिला था. यानी इसरो का बिगड़ैल लड़का. लेकिन इसके बाद GSLV-MK2 ने जो भी लॉन्च किए वो सफल रहे. यानी कमी कोई भी हो उसे खोज लेने के बाद लॉन्च में देर भले ही हो जाए, लेकिन वही कमी अगर किसी दुर्घटना का कारण बने तो इससे अच्छा है कि लॉन्च को रोक ही दिया जाए.
लॉन्च की अगली तारीख नहीं दी गई है
छोटी-छोटी चीजों की भी अहमियत होती है
इसरो अपनी फील्ड का मास्टर है और बाकी देश भी अपने सैटेलाइट लॉन्च के लिए इसरो के बनाए रॉकेट की मदद लेते हैं. एक बार में सबसे ज्यादा सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में पहुंचाने का रिकॉर्ड इसरो के ही पास है. लेकिन इसरो बेस्ट है ये सोचकर अगर इस छोटी सी खामी को नजरअंदाज कर दिया जाता तो ये गलती इसरो को बहुत भारी पड़ सकती थी. चंद्रयान2 के लॉन्च से कुछ मिनट पहले ही क्रायोजेनिक इंजन में लिक्विड हाइड्रोजन भरा गया था. क्रायोजेनिक इंजन और चंद्रयान-2 को जोड़ने वाले हिस्से को लॉन्च व्हीकल कहते हैं. इसी हिस्से में प्रेशर लीकेज था. जो तय सीमा पर स्थिर नहीं हो रहा था. लॉन्च के लिए जितना प्रेशर होना चाहिए वह नहीं मिल रहा था. वो लगातार घटता जा रहा था. इसलिए मून मिशन को टाला गया.
कुछ करते वक्त झिझकना नहीं चाहिए
ये वो समय था जब न सिर्फ भारत बल्कि सभी देश की नजरे भारत पर टिकी हुई थीं. इसरो पर काफी दबाव भी था कि उसे चंद्रयान को सफलतापूर्वक लॉन्च करना है. इतने बड़े मिशन देश की प्रतिष्ठा का सवाल भी होते हैं. और ऐसे में उसे ऐन वक्त पर रोक दिया गया. लेकिन वैज्ञानिकों ने अपनी प्रतिष्ठा की फिक्र न करते हुए भी इसे रोक देने का निर्ण य लिया. वो जरा भी नहीं झिझके क्योंकि इसके पीछे उनकी सालों की मेहनत, करोड़ों रुपए और सफल होने की आस छिपी थी. और इसे असफल देखने से बेहतर था कि इसे रोक दिया जाए. तैयारी हमेशा मजबूत होनी चाहिए. क्योंकि वही सफलता की नींव होती है.
एक बार में सबसे ज्यादा सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में पहुंचाने का रिकॉर्ड इसरो के ही पास है
अभी देर नहीं हुई है..
चंद्रयान-2 के लॉन्च के लिए 15 जुलाई तड़के 2.51 का समय चुना गया था. और ये समय बहुत महत्वपूर्ण था. इसरो के चेयरमैन के सिवन का कहना है कि- पूरे जुलाई महीने के लिए उन्हें लॉन्च विंडो मिला हुआ है. 9 से 16 जुलाई तक उन्हें प्रतिदिन 10 मिनट के लिए लॉन्च विंडो मिला हुआ था. बाकी दिनों में ये केवल एक मिनट का विंडो है. और अगर 16 जुलाई का विंडो मिस कर दिया गया तो केवल 1 मिनट का विंडो ही मिल सकेगा. सामान्य शब्दों में समझ सकते हैं कि किसी भी यान को जब अंतरिक्ष में भेजा जाता है तो अंतरिक्ष में ढेर सारे सैटेलाइट्स मौजूद होते हैं जो रॉकेट की राह में आ सकते हैं. और किसी भी एक से टकराव पूरे मिशन को खत्म कर सकता है. इसलिए अपने रास्ते में आने वाले ट्रैफिक से बचने के लिए उन देशों से भी इजाज़त लेनी होती है जिनके सैटेलाइट्स ऊपर बने हुए हैं. वो रास्ता देंगे तभी बिना किसी विघ्न के रॉकेट मंजिल तक पहुंचेगा. और एक सेफ पाथ को ही लॉन्च विंडो कह सकते हैं जो 16 जुलाई तक के लिए 10 मिनट के लिए चंद्रयान को मिलती. अभी अगली तारीख की घोषणा नहीं हुई है, हो सकता है कि इन सारी अनुकूल उपलब्धताओं के देखते हुए आगे की तारीख कुछ दिन बाद या फिर कुछ महीने बाद की हो. लेकिन जब भी होगा, वही सह समय होगा.
सफल लॉन्च करने के लिए इसरो ने जो नाम कमाया है वो उसे यूं ही नहीं मिला है. और इस नाम इस प्रतिष्ठा को वो किसी भी छोटे से कारण की वजह से जाया नहीं होने दे सकते. वो दिन जल्द ही आएगा और चंद्रयान-2 पर की गई 11 सालों के कड़ी मेहनत रंग दिखाएगी.
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