Chandrayaan-2 मिशन की कामयाबी एक कदम दूर...
Chandrayaan-2 मिशन की कामयाबी को लेकर आत्मविश्वास से भरे ISRO चीफ के सिवन स्पष्ट करते हैं कि इस कॉन्फिडेंस का कारण पहले नाकाम हुए मिशन से मिली सीख है. यह मिशन भारत ही नहीं चंद्रमा से पृथ्वी के रिश्ते का नई दिशा देगा.
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Chandrayaan-2 के लिए सोमवार का दिन बेहद अहम रहा. चंद्रयान-2 सैटेलाइट दोपहर 1.15 मिनट पर दो भागों में बंट गया. ऑर्बिटर (यह चंद्रमा की परिक्रमा करता रहेगा) और Lander Vikram (यह सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंड करेगा). इस पूरे मिशन में सबसे मुश्किल काम लैंडर का ऑर्बिटर से अलग होना और चांद की सतह पर लैंड करना ही माना गया है. ऐसे में सबसे कठिन चुनौती इस मिशन का अगला पड़ाव है. लैंडर को चंद्रमा पर उतारने में 15 मिनट का वक्त लगेगा. इसरो के वैज्ञानिकों के लिए ये 15 मिनट सबसे चुनौतीपूर्ण हैं. चंद्रमा पर उतरने के बाद 1.4 टन वजनी लैंडर से 27 किलो का रोवर निकलेगा और चांद की सतह का मुआयना करेगा. आपको बता दें कि भारत पहली बार चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा रहा है. अभी तक ऐसा सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ने ही किया है. यही वजह है कि इन 15 मिनट को वैज्ञानिकों ने हर सेकेंड के हजारवें हिस्से तक प्लान किया है, ताकि कोई गड़बड़ ना हो. लेकिन इस महत्वाकांक्षी मिशन में एक छोटी सी गलती से भी बड़ा नुकसान हो सकता है, इसलिए सभी की धड़कनें बढ़ना लाजमी है. इसरो चीफ के सिवन से जब पूछा गया कि इस तरह की लैंडिंग कराने में कामयाबी का प्रतिशत कितना है? तो उन्होंने जवाब दिया कि 37 फीसदी. लेकिन अगले ही पल उन्होंने सभी भरोसा दिलाया कि इसरो ने फूलप्रुफ तैयारी की है. अपनी कामयाबी को लेकर आत्मविश्वास से भरे सिवन स्पष्ट करते हैं कि इस कॉन्फिडेंस का कारण पहले नाकाम हुए मिशन से मिली सीख है.
चंद्रयान-1 ने चांद पर सिर्फ पानी का पता लगाया था, जबकि चंद्रयान-2 कई सारे परीक्षण करेगा.
पानी ढूंढने के अलावा भी करेगा कई परीक्षण
सिवान के अनुसार विक्रम की लैंडिंग होने के बाद लैंडर के दरवाजे खुलेंगे और इसमें से रोवर बाहर निकलेगा. रोवर को लैंडर से बाहर निकलने में करीब 4 घंटे का समय लग सकता है. उन्होंने बताया कि रोवर चांद की सतर पर 500 मीटर तक घूमेगा और परीक्षण करेगा. इसरो प्रमुख के सिवान ने साफ किया कि क्यों ये मिशन बेहद अहम है. उन्होंने साफ किया कि चंद्रयान-1 ने चांद पर सिर्फ पानी का पता लगाया था, जबकि चंद्रयान-2 कई सारे परीक्षण करेगा. परीक्षणों में मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, मिनरल, हीलियम, पानी और पर्यावरण के बारे में पता लगाया जाएगा.
#ISROVikram Lander Successfully separates from #Chandrayaan2 Orbiter today (September 02, 2019) at 1315 hrs IST.
For details please visit https://t.co/mSgp79R8YP pic.twitter.com/jP7kIwuZxH
— ISRO (@isro) September 2, 2019
जहां कोई नहीं गया, वहां उतरेगा लैंडर
इस मिशन की सबसे अहम बात ये है कि ये लैंडर वहां लैंड कर रहा है, जहां पर अभी तक कोई नहीं गया. यानी आज तक किसी भी देश से कोई मिशन उस जगह पर नहीं किया गया है, क्योंकि वहां लैंड करना बहुत ही मुश्किल है. जहां पर लैंडिंग होने वाली है वह एक शैडो रीजन है. यानी अगर सब कुछ सही रहा, जिसकी उम्मीद है, तो चंद्रयान-2 इतिहास रचने वाला काम करेगा.
भविष्य की योजनाएं भी बताईं
चंद्रयान-2 को भले ही लोग ये मान रहे हों कि वह सरकार और इसरो का प्लान है, लेकिन ये पूरी तरह सही नहीं है. के सिवान ने बताया कि दुनियाभर की करीब 500 कंपनियों ने भी चंद्रयान-2 के लिए पैसे लगाए हैं. चंद्रयान-2 मिशन की करीब 80 फीसदी लागत कंपनियों ने ही दी है. उन्होंने भविष्य के इसरो के प्लान भी बताए.
- आने वाले समय में सूरज पर भी एक मिशन होगा, जो सूरज के करोना की स्टडी करेगा. उन्होंने बताया कि अर्थ सन सिस्टम के लिबरेशन प्वाइंट 1.5 पर एक सैटेलाइट रखा जाएगा, जो धरती से करीब 1.5 अरब किलोमीटर दूर है. ये सैटेलाइट सूरज की हर गतिविधि पर हर समय नजर रखेगा और धरती की तरह की सूरज के चारों ओर घूमेगा.
- सूरज पर मिशन होने के बाद वीनस पर भी एक मिशन किया जाएगा. वीनस बहुत ही गर्म है. इस पर हुए अधिकतर मिशन फेल हो गए हैं, लेकन इसरो इस बार सफल होने की उम्मीद के साथ योजना बनाएंगे. ये मिशन 2-3 साल बाद करने की योजना है, जिसके तहत वीनस के पर्यावरण की जांच की जाएगी.
- के सिवान ने पीएम मोदी की उस घोषणा की भी याद दिलाई, जिसमें उन्होंने भारत के अपने रॉकेट से चांद पर इंसान भेजे जाने को लेकर घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि आजादी की 75वीं सालगिरह से पहले चांद पर अपने खुद के रॉकेट से इंसान को भेजा जाएगा. इसमें करीब 3 लोग भेजे जाएंगे, उम्मीद है कि इनमें महिला भी हो, जो भारत की ओर से चांद पर भेजी जाने वाली पहली महिला एस्ट्रोनॉट बनेगी. उन्होंने बताया कि ये मिशन गगनयान कहलाएगा, जिसे दिसंबर 2021 से पहले किया जाएगा. किसी इंसान को चांद पर भेजने से पहले अगले साल दिसंबर में बिना इंसान का यान भेजा जाएगा और फिर 6 महीने बाद दोबारा ऐसा ही किया जाएगा. जब पूरी तरह से सब कुछ सुनिश्चित हो जाएगा तो दिसंबर 2021 तक 3 एस्ट्रोनॉट के साथ यान चांद पर भेजा जाएगा और 7 दिन तक वहां रुकेगा.
उन्होंने ये भी बताया कि वहां भेजे जाने वाले क्रू के लिए इसरो का पहले ही भारतीय सेना के साथ करार है, जिससे क्रू का सेलेक्शन होगा. शुरुआती ट्रेनिंग भारत में होगी और फिर आगे की ट्रेनिंग के लिए विदेश जाना होगा. भारत में सारी फैसिलिटी नहीं है और इतनी जल्दी सुविधाएं शुरू नहीं की जा सकती हैं, इसलिए ट्रेनिंग के लिए विदेश ही जाना होगा.
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