अगर आपको नया फोन लेना है तो एक बार इसके बारे में पढ़ लें...
क्या आपने कभी सोचा है कि 4GB रैम में तो लैपटॉप चल जाता है फिर आखिर फोन में इसका क्या काम? कई लोगों का ये मानना होता है कि अगर रैम ज्यादा है या फिर मेगापिक्सल ज्यादा है तो आपके लिए बेहतर फोन है, लेकिन क्या ये वाकई सच है?
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8MB, 224MB, 512MB, 1GB, 2GB, 3GB, 4GB, 6GB और अब 8GB... ये सब रैम के साइज ही हैं. पिछले 20 सालों में फोन और उसके पुर्जे और फीचर्स सब कुछ बदल गया है. मेगापिक्सल भी देखें तो पहले जहां 1.2 मेगापिक्सल के नोकिया कैमरे से भी हम खुश हो जाते थे वहीं अब 30 मेगापिक्सल भी कम लगता है. क्या आपने कभी सोचा है कि 4GB रैम में तो लैपटॉप चल जाता है फिर आखिर फोन में इसका क्या काम? कई लोगों का ये मानना होता है कि अगर रैम ज्यादा है या फिर मेगापिक्सल ज्यादा है तो आपके लिए बेहतर फोन है, लेकिन क्या ये वाकई सच है? चलिए देखते हैं...
ज्यादा रैम है तो भी हैंग नहीं होगा फोन...
अब ये भी गलत धारणा है. अगर ज्यादा रैम है तो भी फोन में बेहतर प्रोसेसर होना चाहिए. आईफोन की ही बात कर लीजिए. आईफोन में दो साल पहले तक 1GB रैम ही आती थी फिर भी कई एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स से आगे रहता था वो. अब अगर यहीं बात की जाए 4GB रैम वाले स्मार्टफोन की तो वो भी हैंग होता है. अगर आपके स्मार्टफोन में रैम ज्यादा है और प्रोसेसर ही कमजोर है तो ज्यादा रैम का इस्तेमाल भी आप ठीक से नहीं कर पाएंगे.
ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बेहतर कैमरा
मेरे पास तो 21 मेगापिक्सल का फोन है, लेकिन पता नहीं फोटो क्यों सही नहीं आ रही, शायद सेटिंग में कोई गड़बड़ है. ऐसा शायद आपने भी सुना हो. ये स्मार्टफोन यूजर्स के द्वारा माना जाने वाला आम मिथक है जो सच नहीं है. ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बड़ा फोटो साइज. फोटो क्वालिटी असल में कैमरा सेंसर की वजह से आती है. यही वजह है कि एंड्रॉइड फोन का 21 मेगापिक्सल भी आईफोन के 8 मेगापिक्सल से फीका हो जाता है.
पावरफुल प्रोसेसर से हैंग नहीं होगा फोन
अगर आपके फोन में ऑक्टा-कोर प्रोसेसर है और आप ये सोच रहे हैं कि अब तो फोन हैंग होगा ही नहीं तो जनाब आपको सोच बदलने की जरूरत है. अगर 2GB रैम वाले फोन में ऑक्टा-कोर प्रोसेसर है तो वो हाई मेमोरी गेम्स खेलने में भी हैंग हो सकता है. कोई बड़ी बात नहीं कि आपका नया फोन आपको ऐसे परेशान करे. प्रोसेसर की पावर डबल कर लेने से फोन की पावर डबल नहीं होती. फोन की वर्किंग के लिए सॉफ्टवेयर भी उतना ही जिम्मेदार है.
ज्यादा फीचर्स मतलब अच्छा फोन
क्या आपके किसी दोस्त ने भी आपसे ये कहा है? फलां व्यक्ति के फोन में 2.5Ghz का प्रोसेसर है, इतने मेगापिक्सल कैमरा है, ऐसी स्क्रीन है, फोन में इतने सारे फीचर्स है और भी बहुत कुछ. मार्केट में हर साल कई फोन्स आते हैं. उनमें से कई के ऑन पेपर फीचर्स काफी अच्छे होते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वो हैंडसेट भी अच्छा ही हो. इसका सीधा उदाहरण गैलेक्सी नोट 7 है. फोन लेने से पहले ये ध्यान रखें कि आपकी जरूरत क्या है, कैमरा, स्क्रीन, पावर या फिर गेम्स उसी हिसाब से फोन खरीदें.
तो अब जब भी आपको नया फोन लेना हो पहले फीचर्स देखें और कम्पेयर करें. अगर अच्छा प्रोसेसर नहीं तो आपके लिए ज्यादा रैम होने का भी कोई फायदा नहीं. ज्यादातर स्मार्टफोन्स में स्नैपड्रैगन प्रोसेसर है. अगर रेंज 400 तक है जैसे स्नैपड्रैगन 420,435 आदि तो आपके लिए 2-3GB रैम काफी है. अगर 600 की रेंज में है जैसे स्नैपड्रैगन 625,630 तो आप 4GB तक रैम वाला स्मार्टफोन ले सकते हैं. अगर उससे ऊपर है तो 4GB और 6GB और 8GB स्मार्टफोन तक का मजा उठा सकते हैं.
ये सही है कि ज्यादा फीचर्स वाले स्मार्टफोन्स अच्छे लगते हैं, लेकिन कई बार बहुत ज्यादा कॉम्प्लेक्स स्मार्टफोन लेने से आपके पैसे ही बर्बाद होते हैं. अगर आप फोन के 70% फीचर्स इस्तेमाल ही नहीं कर रहे हैं तो ऐसा फोन लेने में मेरे हिसाब से आपका नुकसान ही है.
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