चोर से 'पुलिस' बने शख्स ने बताया क्यों डेबिट कार्ड है खतरनाक और कैसे बचाएं खुद को !
अगर डेबिट कार्ड का इस्तेमाल आप ऑनलाइन शॉपिंग के लिए कर रहे हैं, तो ऐसा करना आज ही बंद कर दीजिए और तय कीजिए कि आगे से आप ऐसा नहीं करेंगे. इसकी चेतावनी खुद एक लोकप्रिय साइबर अपराधी ने दी है, जो आज पुलिस के साथ काम करता है.
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क्या आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं? बेशक करते ही होंगे. इसके फायदे जो इतने सारे हैं. बहुत सारी वैराएटी मिलती है, दूसरे प्रोडक्ट्स से तुलना कर सकते हैं, डिस्काउंट और ऑफर्स मिलते हैं और सबसे बड़ी बात तो ये है कि घर बैठे सामान आपके पास डिलीवर हो जाता है. एक सवाल और... आप पेमेंट कैसे करते हैं? कैश या कार्ड? अगर कार्ड तो कौन सा कार्ड? डेबिट या क्रेडिट? अगर क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं तब तो ठीक है, लेकिन अगर डेबिट कार्ड का इस्तेमाल आप ऑनलाइन शॉपिंग के लिए कर रहे हैं, तो ऐसा करना आज ही बंद कर दीजिए और तय कीजिए कि आगे से आप ऐसा नहीं करेंगे. सुनिश्चित कीजिए कि डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कम से कम करेंगे और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन्स के लिए तो बिल्कुल नहीं करेंगे. अब आप इसकी वजह जानना चाहते होंगे, लेकिन वजह जानने से पहले एक शख्स की कहानी सुनिए, जो कभी खुद एक साइबर अपराधी था, लेकिन आज पुलिस के साथ फ्रॉड के मामले में मदद करता है, तब आप समझेंगे कि डेबिट कार्ड इस्तेमाल करना कितना खतरनाक है.
ये कहानी है अमेरिका के फ्रैंक एबैगनेल की. वो शख्स, जो किसी जमाने में खुद ऑनलाइन ठगी करता था. खैर, आज ये शख्स FBI और अन्य फाइनेंशियल संस्थाओं के साथ जुड़कर साइबर सिक्योरिटी से जुड़े मामलों में उनकी मदद करता है. फ्रैंक की मदद से सरकारी एजेंसियों और पुलिस को साइबर अपराधियों को पकड़ने में आसानी होती है. फ्रैंक कहते हैं कि करीब 50 साल पहले वह खुद ठगी करना और लोगों के पैसे चोरी कर के उन्हें दुखी करते थे, लेकिन उन्हें खुद को बदलने का जो मौका मिला, उसके लिए वह सरकारी एजेंसियों के शुक्रगुजार हैं. फ्रैंक ने 1980 में अपना एक संस्मरण लिखा था, जिसका नाम था Catch Me If You Can, यानी मुझे पकड़ सकते हो तो पकड़ लो. वह कहते हैं कि उनके इस संस्मरण ने ठगी से बचने के तरीके लोगों को बताने में उनकी मदद की और बहुत सारे ऑडिएंस दिए.
डेबिट कार्ड का इस्तेमाल आप ऑनलाइन शॉपिंग के लिए बिल्कुल ना करें.
भारत में तो अधिकतर लोग डेबिट कार्ड वाले ही हैं !
भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2019 तक भारत में 92.50 करोड़ डेबिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जबकि सिर्फ 4.7 करोड़ क्रेडिट कार्ड जारी हुए हैं. यानी डेबिट कार्ड की संख्या क्रेडिट कार्ड की तुलना में करीब 20 गुना अधिक है. बल्कि डेबिट कार्ड के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर का देश है, जहां सबसे अधिक डेबिट कार्ड हैं. ऐसे में भारत जैसे देश के लोगों के लिए ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि उन्हें डेबिट कार्ड कहां और कितना इस्तेमाल करना चाहिए. वरना आपको पता भी नहीं चलेगा और आपकी पहचान चुराकर कोई आपके पैसे चुरा लेगा.
अपनी पहचान बचाना सबसे जरूरी
साइबर क्रिमिनल आपकी पहचान को चुराने की कोशिश करते हैं. वह आपका नाम, पता, बैंक अकाउंट की डिटेल्स आदि चुराकर उसका इस्तेमाल करते हुए आपके खाते से पैसे निकालने की कोशिश करते हैं या फिर आपकी प्रॉपर्टी आदि को चोरी करने की कोशिश करते हैं. जब कोई आपके पैसे चुरा ले और प्रॉपर्टी बेच दे, वो वक्त सबसे बुरा होता है. फ्रैंक के गूगल के एक एक्सपीरिएंस से ये बात अच्छे से समझी जा सकती है. उन्होंने कहा- 'गूगल में बात करने के दौरान एक नौजवान ने मुझसे पूछा था कि आज जैसी एडवांस तकनीक के संदर्भ में देखें तो क्या आज के जमाने में साइबर क्रिमिनल्स के लिए किसी की पहचान चोरी करना 1960 के दशक की तुलना में मुश्किल है? तब फ्रैंक ने जवाब दिया था कि आज आसान है, बल्कि आज के समय में 1960 के दशक की तुलना में करीब 4000 गुना आसान है.'
पहचान पर इतना जोर क्यों?
यहां पहला सवाल ये उठता है कि आखिर पहचान को चोरी होने से बचाने पर इतना जोर क्यों? आपको बता दें कि साइबर क्रिमिनल्स को तकनीक इसीलिए अच्छी लगती है, क्योंकि ये आपकी जिंदगी से जुड़ी जानकारियों तक पहुंचने का रास्ता देती है. जरा सोचिए अगर आपके क्रेडिट कार्ड का नंबर, रिपोर्ट, बैंक खातों का नंबर और निजी और फैमिली की जानकारी महज एक क्लिक भर दूर हो. यहां आपको ये समझना जरूरी है कि साइबर क्रिमिनल्स ऐसी जानकारियां खोज निकालने में बहुत अच्छे होते हैं. आज की तकनीक के साथ तो किसी भी चोर को सिर्फ ऑनलाइन जाना है और आपके नाम और खाते नंबर का एक चेक प्रिंट करना है. इससे पहले आपने कोई चेक तो पोस्ट ऑफिस बॉक्स के जरिए भेजा होगा, जिसकी जानकारी वह आपके खाते से निकाल लेगा.
पुराने जमाने में तो फिर भी फ्रॉड करना मुश्किल था. आज के समय में सिर्फ ऑनलाइन जाकर कंपनी की वेबसाइट से उसका लोगो लेना है और फिर बैंक की वेबसाइट पर जाकर उसका लोगो चुराना है. इसके बाद कंपनी के अकाउंट्स डिपार्टमेंट में एक फोन करना है, जिसकी जानकारी चुरानी है. वहां से चेक से जुड़ी राइटिंग इंस्ट्रक्शन मिल जाएंगी. इसके बाद जरूरत होगी कंपनी के अकाउंट नंबर की और उसके बैंक की. फिर ऑनलाइन जाकर कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट चेक करनी होगी. रिपोर्ट से चेयरमैन और सीईओ के हस्ताक्षर मिल जाएंगे, जिन्हें मैं चेक पर छाप कर खाते से पैसे चुराए जा सकते हैं. हालांकि, ये इतना भी आसान नहीं, लेकिन हैकर्स के इसके लिए पूरा जाल बिछाते हैं और तकनीक की मदद से पैसे लूट लेते हैं.
डेबिट कार्ड का कभी ना करें इस्तेमाल
अगर आप अपनी पहचान बचाए रखना चाहते हैं तो डेबिट कार्ड का इस्तेमाल बंद कर दें. कभी भी डेबिट कार्ड इस्तेमाल ना करें. आप जितनी बार डेबिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं, उतनी बार अपने पैसे और अपने बैंक की जानकारियों को खतरे में डालते हैं. किसी फ्रॉड ट्रांजेक्शन की सूरत में आपके खाते से आपके पैसे देखते ही देखते उड़ाए जा सकते हैं. तो सवाल ये है कि आखिर इससे बचा कैसे जाए? डेबिट कार्ड नहीं तो फिर क्या इस्तेमाल करें? कैसे शॉपिंग करें?
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना ही समझदारी
डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करने के बजाय क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें. इसके कई फायदे हैं.
- पहला तो ये कि इसकी कुछ ना कुछ लिमिट होती है, यानी इससे एक सीमा तक ही खर्च किया जा सकता है, जबकि डेबिट कार्ड पूरा बैंक अकाउंट खाली कर सकता है.
- इसका दूसरा बड़ा फायदा ये है कि आपको क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने के बाद कई दिनों का वक्त मिलता है उस पैसे का भुगतान करने के लिए. इतने दिनों तक आपका पैसा बैंक में पड़ा-पड़ा आपके लिए ब्याज कमाएगा और ऊपर से क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के बदले बैंक आपको रिवॉर्ड प्वाइंट्स भी देगा.
- तीसरा फायदा ये है कि अगर आपके कार्ड से कोई फ्रॉड ट्रांजेक्शन हो जाता है तो क्रेडिट कार्ड के मामले में एक सीमा तक ही पैसे खर्च किए जा सकेंगे. साथ ही ऐसी ट्रांजेक्शन को तुरंत बैंक को फोन कर के रोका जा सकता है या कार्ड ब्लॉक किया जा सकता है. वैसे कार्ड ब्लॉक तो डेबिट कार्ड में भी हो सकता है, लेकिन इस केस में आपके खाते से पैसे जा चुके होंगे, जबकि क्रेडिट कार्ड के मामले में पैसे आपके नहीं, बल्कि बैंक के खाते से जाएंगे, क्योंकि क्रेडिट कार्ड से खर्च करने का मतलब ही होता है बैंक के पैसे खर्च करना और ड्यू डेट तक उन पैसों का भुगतान करना.
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