फेसबुक के 30 लाख यूजर्स का डेटा खतरे में, तो क्या अब संभलने की जरूरत है?
अभी कुछ ही समय बीता है केम्ब्रिज वाले मामले को और एक बार फिर ऐसी खबरें आने लगी हैं कि एक पर्सनालिटी क्विज के जरिए यूजर्स का डेटा चोरी होने के आसार नजर आने लगे हैं. इस बार 30 लाख लोगों का डेटा खतरे में है.
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वो समय याद है आपको, जब मार्क जकरबर्ग अमेरिकी सिनेट में बैठे हुए थे और उनके आस-पास फोटोग्राफर कैमरा लिए खड़े थे.
यूएस सिनेट में मार्क जकरबर्ग
ये उस केस की सुनवाई थी जहां केम्ब्रिज एनालिटिका वाले मामले में फेसबुक की क्लास ली जा रही थी और मार्क जकरबर्ग अपनी सफाई देने पहुंचे थे. मामला था डेटा ब्रीच का. 44 सांसदों के सामने पेश हुए जकरबर्ग से एक के बाद एक कई सवाल पूछे गए. जकरबर्ग जवाब देते समय हकलाते नजर आए और थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहे. जकरबर्ग का कॉन्फिडेंस और आवाज दोनों ही लड़खड़ाते दिख रहे थे. सोचिए एक केम्ब्रिज एनालिटिका वाला मामला इतना उत्पात मचा गया तो अगर दोबारा फिर वैसा ही कुछ हो जाए तो?
अभी कुछ ही समय बीता है केम्ब्रिज वाले मामले को और एक बार फिर ऐसी खबरें आने लगी हैं कि एक पर्सनालिटी क्विज के जरिए यूजर्स का डेटा चोरी होने के आसार नजर आने लगे हैं. इस बार 30 लाख लोगों का डेटा खतरे में है.
newscientist.com में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक ये क्विज एक रिसर्च प्रोजेक्ट था जो एक तरह का साइकोलॉजी टेस्ट ही था. इसका नाम ‘myPersonality’ था. इस क्विज को करीब 60 लाख लोगों ने खेला और उनमें से कम से कम आधे लोगों ने अपना डेटा शेयर करने की इजाज़त भी दे दी. ये एक तरह का टेस्ट प्रोजेक्ट था.
समस्या ये है कि इससे लोगों का सिर्फ वही डेटा मिलना था जो वेबसाइट द्वारा पब्लिश किया जाता, लेकिन वैज्ञानिकों को आसानी से सिर्फ एक गूगल सर्च के जरिए उनका यूजरनेम और पासवर्ड भी मिल गया. क्विज़ का प्रोटेक्शन इतना खराब था कि एक गूगल सर्च 1 मिनट से कम वक्त में ही सारा डेटा सामने लाकर दे रही थी.
हां, इसमें फेसबुक यूजर्स का नाम नहीं था, लेकिन उनकी उम्र, जेंडर, रिलेशनशिप स्टेटस आदि शामिल था. ये डेटा उन लोगों का था जिन्होंने भूल से क्विज द्वारा मांगी गई सभी परमीशन के लिए हां कर दी थी. इसमें लोगों के स्टेटस अपडेट तक शामिल थे.
अभी तक इस बारे में जानकारी नहीं है कि क्या किसी ने उस डेटा का गलत इस्तेमाल किया है? पर अगर ऐसा हो भी गया है तो उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है. इस डेटा का एक्सेस पाने के लिए कुछ 280 लोगों ने साइन अप किया है जिसमें वैज्ञानिक, रिसर्च टीम और फेसबुक के कर्मचारी शामिल हैं. ये डेटा इंटरनेट पर ही है और इसे थोड़ी सी जानकारी के साथ आसानी से चुराया जा सकता है. अच्छी बात ये है कि कम से कम इसके बारे में समय रहते पता चल गया है.
ये बुरी बात है कि ऐसा ही एक केस केम्ब्रिज एनालिटिका के मामले में सामने आया था. उस समय केम्ब्रिज एनालिटिका ने जानबूझकर डेटा लिया था और अभी बस एक ऐसा क्विज़ खेला गया है जिसमें सुरक्षा के साधन कम थे और डेटा लीक होने का खतरा ज्यादा. पर क्या ये ध्यान नहीं देना चाहिए कि भविष्य बताने वाले क्विज़, नाम, पहचान, पर्सनालिटी बताने वाले क्विज भारत में कितने ज्यादा लोकप्रिय हैं और अगर उनपर इसी तरह की जांच हुई तो न जाने क्या नतीजा निकल कर आए.
साफ है कि फेसबुक का एप्स को अपने प्लेटफॉर्म में जगह देने का जो तरीका है वो सही नहीं है और इससे लोगों का डेटा चोरी होने का खतरा बढ़ रहा है. ये क्विज पुराना है और इस क्विज का हिस्सा केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का रिसर्चर एलेक्जेंडर कोघन भी बने थे जो केम्ब्रिज एनालिटिका के क्विज ‘thisisyourdigitallife’ बनाने के लिए एक हिस्सा बने थे.
केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का कहना है कि myPersonality उस समय बनाया गया था जब कोघन उनकी यूनिवर्सिटी का हिस्सा नहीं थे लेकिन 2014 में तो उन्होंने इस एप का इस्तेमाल किया था.
इतना पुराना एप अभी भी लोगों का डेटा लेने में सक्ष्म है. फेसबुक ने इस एप को 7 अप्रैल को ही अपने प्लेटफॉर्म से हटाया है और लगातार इस जैसे एप्स की खबरें आ रही हैं. फिलहाल फेसबुक सिर्फ यही कह रही है कि वो इस एप को बैन कर रहे हैं और ऐसे ही 200 अन्य एप्स हैं जो फेसबुक की बैन करने वाली लिस्ट में शामिल हैं.
अब ज़रा सोचिए वो 200 एप्स कुल कितने लोगों का डेटा चुरा पाने में कामियाब रहे होंगे?
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