कितना सुरक्षित है ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम
लंदन में की गई एक रिसर्च के मुताबिक मात्र 6 सेकंड में ही किसी भी डेबिट/क्रेडिट कार्ड को हैक किया जा सकता है और इस चोरी का पता लगाना बैंक और नेटवर्क दोनों के लिए ही मुश्किल है.
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देश में नोटबंदी के बाद से ही सरकार कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने में लगी है. सरकार के इस फैसले को अमल में लाने के लिए कई राज्यों ने घोषणा भी कर दी है कि वो अब कैशलेस इकॉनमी के लिए पहल करेंगे. अभी कल ही खबर आई कि सरकार आधार कार्ड के जरिये पेमेंट सिस्टम को शुरू करने की तैयारी कर रही है. और यदि सरकार की यह योजना सफल हो जाती है तो आप आधार कार्ड को डेबिट कार्ड की तरह इस्तेमाल कर सकेंगे. सरकार देश की जनता को ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का उपयोग करने का बढ़ावा दे रही है. मगर इन सब के बीच एक सवाल जो उठता है, क्या हमारे बैंक के इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम इतने सुरक्षित है?
रिसर्च की मानें तो मात्र 6 सेकंड में ही किसी भी डेबिट/क्रेडिट कार्ड को हैक किया जा सकता है |
इस सवाल का जवाब इसलिए भी जरुरी है क्योकि पिछले ही महीने बहुत बड़े स्तर पर एटीएम कार्ड के सुरक्षा में सेंध का मामला सामने आया था. यह सुरक्षा चूक हिताची पेमेंट्स सर्विसेज की प्रणाली में एक मालवेयर के जरिए हुई थी. इस सुरक्षा चूक के कारण देश भर के लगभग 32 लाख डेबिट कार्ड के डेटा चोरी की आशंका जताई जा रही थी. इसे देखते हुए बैंकों ने अपने ग्राहकों के 32 लाख से अधिक डेबिट कार्ड या तो ब्लॉक कर दिए हैं या वापस मंगवाए थे, एसबीआई जैसे कई बैंकों ने लगभग छह लाख कार्ड वापस मंगवाए. वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक, सेंट्रल बैंक व आंध्रा बैंक ने एहतियाती कदम के रूप में डेबिट कार्ड बदले जबकि आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक व यस बैंक ने अपने ग्राहकों से एटीएम पिन बदलने को कहा. कई बैंकों ने अपने ग्राहकों को सलाह दी कि वे किसी भी लेनदेन के लिए केवल अपने बैंक के एटीएम का ही इस्तेमाल करें.
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डेबिट कार्ड फ्रॉड से जुड़ा यह मामला भारत में पहला नहीं है, इससे पहले भी कई अवसरों पर बैंक के डेटा हैकिंग की घटना सामने आती रही हैं. अगस्त के महीने में ही बैंगलोर के कैनरा बैंक की एक शाखा में पाकिस्तानी हैकर द्वारा बैंक के ई-पेमेंट को ठप करने का मामला सामने आया था. इससे पहले यूनियन बैंक ने भी अपने विदेशी खातों के कुछ गड़बड़ी पाए जाने की बात मानी थी. ये तो कुछ मामले हैं जो यह दिखाने के लिए काफी हैं कि भारत में ई-पेमेंट व्यवस्था में सुरक्षा उस स्तर की नहीं है जो एक कैशलेस इकॉनमी के लिए जरुरी है. अगस्त में रिज़र्व बैंक के एक कार्यक्रम में बोलते हुए तत्कालीन RBI प्रमुख रघुराम राजन ने भी बैंको की साइबर सिक्योरिटी पर चिंता जताते हुए बैंको को इसे बेहतर करने के निर्देश भी दिए थे.
अभी हाल ही में न्यूकैसल यूनिवर्सिटी, लंदन की एक रिसर्च में वीसा पेमेंट सिस्टम की खामियों पर चर्चा की गयी है और रिसर्च में कहा गया है कि मात्र 6 सेकंड में ही किसी भी डेबिट/क्रेडिट कार्ड को हैक किया जा सकता है और इस चोरी का पता लगाना बैंक और नेटवर्क दोनों के लिए ही मुश्किल है. रिसर्च के अनुसार कार्ड का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हैकिंग को और भी आसान बना देती है. हालांकि रिसर्च में मास्टरकार्ड को सुरक्षा के लिहाज से बेहतर पाया गया.
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ये आंकड़े यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि सुरक्षा के लिहाज से ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम में अभी भी काफी कुछ किया जाना बाकि है. ऐसे में जब बात पूरे देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस में बदलने की हो तो इस व्यवस्था की सुरक्षा एक बहुत ही गंभीर विषय बन जाती है, क्योंकि जरा सी चूक करोड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई को बट्टा लगा सकती है. ऐसे में उम्मीद यही है कि कि कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने में जुटी सरकार इसके सुरक्षा को लेकर भी उतना ही गंभीर होगी.
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