ऐसे हटाएं अपने बैंक अकाउंट और फोन नंबर से अपनी आधार कार्ड डिटेल्स
सुप्रीम कोर्ट ने आधार से जुड़े ऐतिहासिक फैसले में इसकी अनिवार्यता खत्म कर दी है. अब दिक्कत ये है कि जिन्होंने नहीं करवाया वो तो ठीक, लेकिन जिन्होंने करवा लिया है वो अपनी डिटेल्स को सुरक्षित कैसे करें?
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सुप्रीम कोर्ट ने आधार से जुड़ा अपना फैसला सुना दिया है और अब हर सरकारी और गैर सरकारी मामले में इसकी अनिवार्यता खत्म कर दी है. बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर और डिजिटल वॉलेट से अब आधार कार्ड को लिंक करना जरूरी नहीं होगा. सिर्फ पैन कार्ड के लिए ये जरूरी होगा. सुप्रीम कोर्ट पर अपना फैसला तो सुना दिया और इससे कई लोगों ने राहत की सांस भी ली है, लेकिन इससे एक सवाल भी खड़ा हो गया है. वो ये कि जब आधार कार्ड जरूरी नहीं रहेगा तो जो लोग पहले से ही इसे हर जगह से लिंक कर चुके हैं उनका क्या होगा? ऐसे कितने लोग हमें आस पास ही मिल जाएंगे जो आधार कार्ड को फोन नंबर, मोबाइल वॉलेट और हर जरूरी सुविधा से लिंक करवा चुके हैं. अब दिक्कत ये है कि जिन्होंने नहीं करवाया वो तो ठीक, लेकिन जिन्होंने करवा लिया है वो अपनी डिटेल्स को सुरक्षित कैसे करें?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ये बात भी कही गई कि टेलिकॉम ऑपरेटर्स को अपने डेटा बेस से लोगों का आधार कार्ड नंबर डिलीट कर देना चाहिए. अगर याद हो तो रिलायंस जियो भारत में पहली टेलिकॉम कंपनी थी जिसने आधार कार्ड वेरिफिकेशन शुरू किया था. जियो ही ऐसी कंपनी है जिसका पूरा 100% डेटाबेस आधार कार्ड से वेरिफाइड है. अब देखना ये है कि रिलायंस और अन्य कंपनियां सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद क्या करती हैं.
कैसे हटाएं अपनी आधार डिटेल्स मोबाइल नंबर से?
इसे करना कोई मुश्किल काम नहीं है. दरअसल, यूजर्स को कुछ करने की जरूरत ही नहीं है. जैसा की सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कंपनियां जल्द ही खुद यूजर्स का डेटा डिलीट कर देंगी और ये पूरा प्रोसेस ऑटोमैटिक हो जाएगा. फिलहाल किसी भी कंपनी ने इसके बारे में स्टेटमेंट नहीं दिया है, लेकिन उम्मीद यही की जा रही है कि ये जल्द ही हो जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को आदेश दिया है कि यूजर्स की आधार कार्ड डिटेल्स का डेटाबेस सेव न किया जाए
अगर बैंक अकाउंट से आधार की डिटेल्स हटानी है तो?
अगर UIDAI की सभी टर्म्स और कंडीशन पढ़ें तो ये लिखा गया है कि आधार कार्ड धारक कभी भी अपनी डिटेल्स (किसी और के साथ शेयर की गईं) कभी भी हटा सकता है. यानी कभी भी कोई आधार कार्ड धारक वो परमीशन हटा सकता है जिसके तहत उसकी e-KYC डिटेल्स थर्ड पार्टी के साथ शेयर की गई हैं. उदाहरण के तौर पर e-KYC डिटेल्स जिन्हें बैंक के साथ शेयर किया गया है उसे हटाया जा सकता है. यानी किसी भी KUA (KYC User Agency) को आधार कार्ड धारक की डिटेल्स डिलीट करनी होंगी.
अगर कोई अपने बैंक अकाउंट से आधार कार्ड डिटेल्स हटाना चाहता है तो यूजर को अपने बैंक को एक आवेदन देना होगा जिसमें KYC हटाने की बात लिखी हो और साथ ही ये कारण भी लिखा हो कि ऐसा क्यों किया जा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शायद आधार कार्ड को डीलिंक करने का कोई आसान तरीका खोजा जाए और बैंकों की तरफ से इस प्रोसेस को थोड़ा तेज़ किया जाए.
डिजिटल वॉलेट से आधार कार्ड डिटेल्स हटानी हो तो-
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में फोन नंबर और बैंक अकाउंट डिटेल्स के साथ-साथ डिजिटल वॉलेट भी शामिल हैं. पेटीएम भारत में सबसे बड़ा डिजिटल वॉलेट है और इस एप को आधार कार्ड अनिवार्य करने की बात पर लोगों का गुस्सा भी झेलना पड़ा था. एक रिपोर्ट के मुताबिक पेटीएम ने करीब 98 मिलियन आधार कार्ड अपने डेटाबेस में सेव किए थे.
हालांकि, पेटीएम पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि से भी अपना यूजर वेरिफिकेशन करता है और नए यूजर्स बिना आधार कार्ड वेरिफिकेशन के अपना काम कर सकते हैं, लेकिन उनका क्या जिन्होंने आधार कार्ड पहले से ही लिंक कर लिया है?
तो इसका जवाब ये है कि अभी तक आधार कार्ड को पेटीएम से अनलिंक करने का कोई ऑप्शन नहीं है. हां, ‘my details are incorrect. Report’ जैसा ऑप्शन मिल सकता है और इसमें यूजर अपनी समस्या बता सकता है. साथ ही अगर यूजर चाहे तो वो पेटीएम कस्टमर केयर से बात कर सकता है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 26 सितंबर को ही आया है तो ये जरूरी नहीं कि सभी के आधार कार्ड जल्दी से अनलिंक हो पाएं, लेकिन फिर भी इस मामले में कस्टमर केयर से बात की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने अभी भी आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक करना अनिवार्य किया हुआ है. ये खास तौर पर करदाताओं के लिए है और पैन कार्ड और आधार को लिंक करना अभी भी जरूरी है अगर कोई आयकर भर रहा है तो. ये जरूरी इसलिए है ताकि सरकारी वेलफेयर स्कीम का लाभ लिया जा सके.
तो कुल मिलाकर अगर कोई चाहे कि उसे आधार कार्ड सभी जगह से अनलिंक करवाना है जैसे राशन कार्ड आदि तो संबंधित विभाग में आवेदन देना होगा. खैर, फिलहाल तो ये फैसला आज ही आया है और अब अगर कोई कंपनी ये कहती है कि उसे आधार कार्ड डिटेल्स चाहिए तो धारक इसके लिए मना कर सकता है.
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