घातक गार्डियन ड्रोन के भारत आने के मायने
ये पहला हाई-टेक मानवरहित ड्रोन होगा जो भारत और पाकिस्तान जैसे टेंशन वाले इलाके में भी काम कर पाएगा और इससे किसी की जान को खतरे में डाले बगैर ही निगरानी का काम और स्ट्राइक की जा सकेगी.
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भारत और अमेरिकी रिश्तों को अब एक नई डील से और मजबूत किया जा सकता है. अमेरिका अब भारत को मारक क्षमता वाला गार्डियन ड्रोन दे सकता है. पिछले साल ही इस बात पर चर्चा हो गई थी कि भारत अमेरिका से 22 बिना हथियार वाले ड्रोन खरीद सकता है. इसे अमेरिकी कांग्रेस के स्वीकार करने तक के लिए आधिकारिक नहीं किया गया था. लेकिन अब खबरों की मानें तो अमेरिका हथियारों से लेस ड्रोन अब भारत को दिया जाएगा.
अभी इस बारे में कोई आधिकारिक चर्चा या घोषणा नहीं हुई है, लेकिन Reuters के मुताबिक अमेरिका इस बारे में विचार कर रहा है.
अगर ये डील हो जाती है तो ऐसा पहली बार होगा कि NATO (North Atlantic Treaty Organization) के बाहर अमेरिका किसी देश को इतना बड़ा हथियारों वाला ड्रोन बेचेगा.
ये पहला हाई-टेक मानवरहित ड्रोन होगा जो भारत और पाकिस्तान जैसे टेंशन वाले इलाके में भी काम कर पाएगा और इससे किसी की जान को खतरे में डाले बगैर ही निगरानी का काम और स्ट्राइक की जा सकेगी.
अप्रैल में ट्रंप सरकार ने अपनी आर्म्स एक्सपोर्ट पॉलिसी में बदलाव किए थे ताकि हथियारों का लेनदेन संभव हो सके.
क्यों ये होगा महत्वपूर्ण?
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव शुरू से ही बना हुआ है. एक घातक ड्रोन अगर भारत की सेना के पास आ जाता है तो सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मिशन करने के लिए भारत को किसी सिपाही की जान खतरे में नहीं डालनी होगी.
अमेरिका में जो पॉलिसी बदली गई है वो घातक ड्रोन जो मिसाइल दाग सकते हैं और ऐसे ड्रोन जो निगरानी के लिए बेहतर साबित हो सकते हैं उन्हें अपने करीबी देशों को बेचा जाएगा.
हालांकि अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि इस डील के रास्ते में एक प्रशासनिक रोड़ा भी मौजूद है. अधिकारी के मुताबिक इस डील को हासिल करने के लिए भारत को एक कम्युनिकेशन फ्रेम वर्क को स्वीकार करना होगा.
पिछले साल हुई थी ये बात..
भारत और अमेरिका के बीच पिछले साल भी इसे लेकर बात हुई थी. ड्रोन बनाने वाली कंपनी जनरल एटोमिक्स ने ये भी बताया था कि अमेरिकी सरकार ने नौसेना के इस्तेमाल वाले ड्रोन को बेचने की अनुमति दे दी है. पर पिछले साल तक ये सिर्फ निगरानी करने वाले ड्रोन थे और अब मारक क्षमता वाले ड्रोन भी दिए जाएंगे. इसकी कीमत दो अरब डॉलर (13600 करोड़ रुपए) के आस-पास हो सकती है. गौरतलब है कि इसके बारे में अभी कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं आई है.
अभी इस विमान के भारत आने में कई दांव-पेंच हैं. इसके लिए अमेरिकी सरकार एक लीगल कम्युनिकेशन फ्रेमवर्क साइन करने को कह रही है जो दिल्ली को अपने कार्यक्षेत्र में दखलअंदाज़ी जैसा लग सकता है.
क्या खास है इस ड्रोन में...
इसे गार्डियन यानी रक्षा करने वाला ड्रोन कहा जा रहा है, लेकिन असल में इसका नाम MQ-9A Reaper (रीपर) (कभी-कभी प्रेडेटर B) भी कहा जाता है. ये एक मानवरहित विमान है जिसे किसी भी जगह से कंट्रोल किया जा सकता है. इसे जनरल एटोमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम ने अमेरिकी एयरफोर्स के लिए बनाया था. MQ-9 और बाकी UAV (unmanned automatic vehicles) काफी बेहतरीन हैं. MQ-9 पहला मारक क्षमता वाला मानवरहित विमान है जिसे निगरानी के लिए रखा गया था.
MQ-9 बड़ा, भारी और ज्यादा कार्यशील एयरक्राफ्ट है. इसके पहले वाली सीरीज में ये सुविधाएं नहीं थी. रीपर में 950 शाफ्ट हॉर्सपावर (712KW) का टर्बोपावर इंजन है. इसके पहले वाले ड्रोन में सिर्फ 115 हॉर्सपावर का इंजन था. अब ज्यादा पावर के साथ ये विमान 15 गुना ज्यादा हथियार ले जा सकता है और करीब तीन गुना ज्यादा स्पीड पा सकता है. ये एयरक्राफ्ट ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (GCS) से कंट्रोल किया जाता है. अभी सिर्फ ये उम्मीद ही लगाई जा सकती है कि जिस ड्रोन को खरीदने की बात हो रही है वो यही है.
अगर भारत आ गया ये ड्रोन तो?
अमेरिका और ब्रिटेन ने जिस तरह से अफगानिस्तान पर हमला किया था उस तरह का हमला भारत करने के योग्य हो जाएगा. 2014 में मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने ये डेटा जारी किया था कि ब्रितानी रॉयल एयरफोर्स अमेरिकी मानवरहित मारक ड्रोन का इस्तेमाल कर अफगानिस्तान में 39 मिसाइल दाग चुके हैं.
2006 से 2012 के बीच में अमेरिकी रीपर और प्रेडेटर ड्रोन का इस्तेमाल कर अफगानिस्तान पर 2150 बार स्ट्राइक की गई थी. यानी लगभग हर दिन एक. भारत में अगर इस तरह का ड्रोन आता है तो सैन्स शक्ति बिना किसी शक के बहुत बढ़ जाएगी और साथ ही साथ भारत अपने दुश्मनों से एक कदम आगे रह सकेगा.
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