आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रिसर्च रोकने के लिए जमा हो गए टेक और दुनिया के दिग्गज!
2,600 से अधिक लोगों जिनमें एक बड़ी आबादी टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स और शोधकर्ताओं ने एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. इन लोगों ने AI को समाज और मानवता के लिए बड़ा खतरा माना है और इसके विकास पर अस्थायी 'विराम' का आग्रह किया है.
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भले ही लोग AI और उसकी बारीकियों से गाफिल हों लेकिन बावजूद इसके कहीं पर Chat gpt का जिक्र बस हो जाए लोगों की मिली प्रतिक्रियाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी. तमाम लोग हैं जिनका मानना है कि रिसेशन जैसी बातें तो बस लोगों को नौकरी से निकालने का बहाना है लोगों को उनकी नौकरी से बाहर करने का असल मकसद इंसानों की जगह मशीनों को बैठाना है. सच क्या है? इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी है लेकिन आपकी हमारी तरह कई विशेष लोग भी हैं जिन्हें दिख गया है कि AI या ये कहें कि Chat gpt जैसी सुविधाएं आने वाले वक़्त के लिए एक बड़ा खतरा है.
देश दुनिया में तमाम लोग हैं जो एआई को भविष्य की एक बड़ी चुनौती की तरह देख रहे हैं
दरअसल 2,600 से अधिक लोगों जिनमें एक बड़ी आबादी टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स और शोधकर्ताओं ने एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. बात बस इतनी है कि इन लोगों ने AI को समाज और मानवता के लिए बड़ा खतरा माना है और इसके विकास पर अस्थायी 'विराम' का आग्रह किया है.
टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क, ऐप्पल के सह-संस्थापक स्टीव वोज्नियाक का शुमार उन लोगों में है जिन्होंने चिट्ठी पर हस्ताक्षर किये हैं. बताते चलें कि इस खत को युक्त राज्य अमेरिका के थिंक टैंक फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट (एफओएलआई) ने 22 मार्च को लिखा था. संस्थान ने सभी एआई कंपनियों को कम से कम छह महीने के लिए जीपीटी-4 से अपग्रेड को 'तत्काल विराम' देने का आह्वान किया है.
चिंता चिंता व्यक्त की गई कि ह्यूमन कॉम्पिटिटिव इंटेलिजेंस मानवता के साथ साथ समाज के लिए जोखिम पैदा कर सकती है. शायद आपको जानकर हैरानी हो जिस चिट्ठी में हस्ताक्षर हुए हैं उनमें हस्ताक्षरकर्ता केवल बड़ी बड़ी कंपनियों के सीईओ या शोधकर्ता नहीं हैं. बल्कि कई डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट, लेखक भी ऐसे हैं जिन्होंने इस चिट्ठी पर साइन किया है और इसे समाज और मानवता के लिए खतरा माना है.
जिक्र अगर चिट्ठी का किया तो इसमें कहा ये भी गया है कि उन्नत एआई पृथ्वी पर जीवन के इतिहास में एक गहन परिवर्तन का प्रतिनिधित्व कर सकता है, और इसके लिए योजना बनाई जानी चाहिए और उचित देखभाल और संसाधनों के साथ प्रबंधित किया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से, इस स्तर की योजना और प्रबंधन नहीं हो रहा है.
वहीं FOCL ने इस बात पर भी बल दिया है कि अधिक शक्तिशाली एआई विकसित करने के लिए एआई फर्मों के बीच एक 'आउट-ऑफ-कंट्रोल रेस' है जिसे मौजूदा वक़्त में समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
ध्यान रहे चाहे वो चैट जीपीटी हो या और कुछ सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया की एक बड़ी आबादी है जो इसके दुष्परिणामों से डरी हुई है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं और इसमें भी दिलचस्प ये है कि AI सहारा आज लगभग सभी जगहों पर लिया जा रहा है. वर्तमान में जैसे हालात बने हैं इस बात में कोई शक नहीं है कि कल की तारीख में दुनिया कई मुख्य सेक्टर्स में AI को विराजमान देखेगी.
इंसान और इंसानी बुद्धि इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं इसका जवाब तो वक़्त देगा लेकिन जो वर्तमान है वो स्वतः इस बात की तस्दीख कर देता है कि आने वाला वक़्त तकनीक के लिहाज से खासा मुश्किल है.
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