ऑनलाइन गेम के लिए शशि थरूर का बिल फायदे का सौदा है या नुकसान की खाई?
अगर कोई बच्चा गेम खेलता है तो सबसे पहले उसके माता-पिता और रिश्तेदार यही कहते हैं कि इससे बच्चा बिगड़ जाएगा. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ऑनलाइन गेम खेलकर बच्चा आपका और देश का नाम भी रोशन कर सकता है?
-
Total Shares
शशि थरूर ने लोकसभा में वो प्रस्ताव रखा है, जिसे लेकर आम धारणा ये है कि उससे बच्चे बिगड़ते हैं. ये प्रस्ताव है गेम खेलने का. थरूर चाहते हैं कि ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट किया जाए, जिसके लिए उन्होंने लोकसभा में स्पोर्ट्स (ऑनलाइन गेमिंग एंड प्रिवेंशन ऑफ फ्रॉड) बिल पेश किया है. अगर कोई बच्चा गेम खेलता है तो सबसे पहले उसके माता-पिता और रिश्तेदार यही कहते हैं कि इससे बच्चा बिगड़ जाएगा, उसे बुरी लत लग जाएगी. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ऑनलाइन गेमिंग और वीडियो गेम्स को जल्द ही एशियन गेम्स में भी जगह मिलने वाली है? 2018 के एशियन गेम्स में उनका डेमो भी हो चुका है और 2022 के एशियन गेम्स में कंप्यूटर गेम्स खेलकर भी गोल्ड मेडल जीते जा सकेंगे. यानी गेम खेलकर बच्चा आपका और देश का नाम भी रोशन कर सकता है.
थरूर ने जो बिल पेश किया है, उसमें उसके जरिए ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट किया जाएगा. इसके तहत ऑनलाइन गेम खिलाने वाली कंपनियों को पहले लाइसेंस लेना होगा. इस बिल का फायदा ये होगा कि इससे किसी संदिग्ध गेम और किसी ऑनलाइन गेम में होने वाली संदिग्ध गतिविधि को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा. भले ही माता-पिता बच्चों को वीडियो गेम और ऑनलाइन गेम खेलने से रोकते हों, लेकिन भारत में गेमिंग का बाजार बहुत बड़ा है. ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के मुताबिक भारत में करीब 12 करोड़ गेम खेलने वाले हैं और पिछले तीन सालों से इनकी संख्या में 30 फीसदी से भी अधिक की ग्रोथ देखी जा रही है. ऐसे में ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करना वाकई जरूरी है.
ऑनलाइन गेम खेलकर बच्चा आपका और देश का नाम भी रोशन कर सकता है.
क्यों जरूरी है रेगुलेशन?
ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने से सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि ब्लू व्हेल जैसे जानलेवा गेम से आसानी से निपटा जा सकेगा. कई बार गेम के जरिए अवैध रूप से सट्टेबाजी चलती है या कुछ गेम लोगों की निजी जानकारियां चुराने का काम करते हैं, उन सब पर लगाम लगाई जा सकेगी. ये बिल गेमिंग के जरिए पैदा होने वाले काले धन को भी ट्रैक करने में मददगार साबित होगा. आपको बता दें कि लॉ कमीशन ऑफ इंडिया की 276वीं रिपोर्ट के अनुसार भारत में गेमिंग इंडस्ट्री 2021 तक करीब 7100 करोड़ रुपए की हो जाएगी. मौजूदा समय में इसकी वैल्यू करीब 2570 करोड़ रुपए है.
समझिए गेमिंग के नुकसान
गेमिंग का शौक अधिकतर बच्चों को ही होता है और वह गेम खेलने वक्त अपना भला-बुरा नहीं समझ पाते. बच्चों को गेम खेलने से रोकना इसका उपाय नहीं है, बल्कि बच्चों को गेम के फायदे और उनसे होने वाले नुकसान के बारे में आगाह करना जरूरी है, ताकि इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके. आइए एक नजर डालते हैं इसके नुकसान पर-
- सबसे पहली बात तो ये है कि ऑनलाइन गेमिंग में कई बार लुभावने गेम्स के साथ-साथ मालवेयर और वायरस भी कंप्यूटर में डाउनलोड हो जाते हैं, जो आपकी निजी और संवेदनशील जानकारियां कंप्यूटर से चुरा सकते हैं. बच्चों को ये सिखाएं कि कौन से गेम सही हैं, बल्कि हो सके तो आप खुद ही गेम डाउनलोड करें, जांच परख कर. बच्चों को ये भी बताएं कि अपनी कोई निजी जानकारी किसी भी गेम में शेयर ना करें.
- कई ऐसे गेम होते हैं जो सट्टेबाजी का खेल खेलते हैं. इसमें आपको पैसे लगाने होते हैं और गेम खेलकर आप पैसे कमा भी सकते हैं. बच्चों को इस तरह के गेम्स से दूर रहने की सलाह देनी चाहिए. शशि थरूर जिस स्पोर्ट्स बिल को लेकर आए हैं, वह बिल ऐसे गेम्स खिलाने वालों से भी निपटेगा. अगर इस तरह के गेम के जरिए किसी से धोखा होता है या किसी के साथ कोई फ्रॉड किया जाता है तो उससे भी स्पोर्ट्स बिल निपटने में मददगार साबित होगा.
नुकसान ही नहीं फायदे भी हैं गेमिंग के
आम धारणा है कि गेम खेलने से बच्चे बिगड़ते हैं. एक हद तक ये बात सही भी है, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है. अगर गेम को एक खेल की तरह खेला जाए, ताकि उसकी लत ना लगे तो ये बच्चों के विकास में एक अहम रोल अदा करता है. आइए जानते हैं इसके कुछ फायदे-
- गेम खेलने से बच्चों का दिमाग तेज होता है और एकाग्रता बढ़ती है. इस तरह वह किसी काम को अधिक ध्यान लगाकर कर सकते हैं.
- ऑलनाइन गेमिंग में अक्सर एक टीम बनाकर गेम खेला जाता है, जिससे बच्चों में टीम में काम करने की स्किल्स भी डेवलप होती हैं.
- अगला कदम क्या होना चाहिए, इसके लिए काफी सोचना पड़ता है. ऐसे में गेमिंग बच्चों की प्लानिंग को भी बेहतर बनाता है.
- कई बार बच्चे पढ़ाई से काफी थक जाते हैं, ऐसे में गेम्स उनके लिए तनाव दूर करने और मनोरंजन का साधन भी हो सकते हैं.
मौजूद समय में गेम की लत की वजह से बहुत से बच्चों की तबीयत तक खराब होने की खबरें आ रही हैं. जम्मू में एक फिटनेस ट्रेनर ऑनलाइन गेम के चक्कर में अपनी सुध-बुध तक खो बैठा, जिसके बाद उसके अस्पताल ले जाना पड़ा. कुछ समय पहले ही अमृतसर के दो निजी अस्पतालों में भी गेमिंग की लत के शिकार बच्चे भर्ती किए जाने की खबर आई थी. ऐसे में शशि थरूर के बिल से बच्चों के माता-पिता थोड़ा घबरा जरूर सकते हैं, लेकिन यही बिल है जो उनके लिए मददगार भी साबित होगा. बच्चों को लत इसलिए लग रही है, क्योंकि माता-पिता उन्हें गेम की अच्छी और बुरी बातें नहीं समझा पा रहे, बल्कि उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे में बच्चे रात-रात भर जागकर चुपके-चुपके गेम्स खेल रहे हैं. तभी तो भारत में गेमिंग का बाजार हर साल करीब 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है.
ये भी पढ़ें-
गधी के दूध से बना साबुन क्या उसके श्रमिक जीवन में परिवर्तन लाएगा?
जब तकनीक की अति हो जाए तब आते हैं स्मार्ट टॉयलेट
पुरुषों की आवाज़ न सुन पाने वाली इस महिला की कमजोरी से कई लोगों को जलन होगी
आपकी राय