तो इसलिए अपने आप धीमे हो रहे हैं iPhones...
आईफोन आखिर 1 साल के अंदर स्लो क्यों हो जाते हैं? इतना महंगा फोन क्या खराब होने लगता है? इस मामले में एपल कंपनी ने एक बड़ा खुलासा किया है...
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तकनीकी दुनिया की सभी खबरों के बीच आईफोन की खबर हमेशा सबसे अहम होती है. कारण सीधा सा है एपल कंपनी द्वारा बनाया गया आईफोन आखिर दुनिया का सबसे लोकप्रिय स्मार्टफोन है. एपल यूजर्स जितना अपने फीचर्स को फ्लॉन्ट करते हैं उतना ही एपल विवादों में रहता है. चाहें 1 लाख का आईफोन हो या फिर नई अपडेट से फोन स्लो होने का इल्जाम. एपल कंपनी को इससे कोई फर्क अभी तक तो नहीं पड़ा.
जो कंपनी अपने सीक्रेट के लिए हमेशा से चर्चित रही है अब अपना एक बड़ा सीक्रेट सबके सामने कर चुकी है. ऐसा कहा जा रहा था कि एपल कंपनी अपने पुराने आईफोन्स जान बूझ कर ही अपने फोन्स को स्लो यानि धीमा करती है. पिछले हफ्ते Reddit और geekbench.com पर अलग-अलग रिपोर्ट्स आईं. दोनों ही आईफोन के स्लो होने की बात कर रहे थे और इंटरनेट पर इसे लेकर काफी तगड़ी बहस छिड़ गई. खैर, अब बात साफ हो गई है. एपल कंपनी ने इस मामले में अपनी सफाई भी दे दी है.
क्या कहा एपल ने...
एपल कंपनी का कहना है कि हां यकीनन कंपनी इस तरह का सॉफ्टवेयर अपडेट देती है जिससे पुराने डिवाइस थोड़े धीमे हो जाएं. ये कोई बहानेबाजी नहीं सीधा साधा स्टेटमेंट है.
क्या है तर्क...
कंपनी का तर्क है कि ये एक तरह ही पावर मैनेजमेंट तकनीक है. इस तकनीक से आईफोन की लाइफ थोड़ी बढ़ जाती है. समय के साथ-साथ बैटरी खराब होने लगती है और उसकी रीचार्जिंग की समस्या थोड़ी बढ़ जाती है. बैटरी की अपनी एक रीचार्ज साइकल होती है और एक समय आता है जब वो पूरी तरह से खराब हो जाती है और उसे रीचार्ज नहीं किया जा सकता. इस समस्या से निपटने के लिए एपल कंपनी अपने पुराने स्मार्टफोन्स को धीमा कर देती है. इसके कारण प्रोसेसर की स्पीड को धीमा करना पड़ता है. इससे होता ये है कि आईफोन की लाइफ थोड़ी और बढ़ जाती है क्योंकि बैटरी पर ज्यादा लोड नहीं पड़ता. एक बैटरी 500 बार रीचार्ज होने के बाद ही अपनी 20% पावर खो देती है.
एपल कंपनी के अनुसार ऐसा करने से बैटरी पर प्रेशर नहीं पड़ता और आईफोन क्रैश होने, बिना मतलब शटडाउन होने या फिर पूरी तरह से खराब होने से थोड़ा बच जाता है. एपल का कहना है कि ये तरीका आईफोन 6, 6S, SE और 7 में कारगर रहा है.
एपल का ये तर्क काफी वाजिब लग रहा है, लेकिन ग्राहकों का कहना कुछ और ही है. ग्राहकों का कहना है कि ये एपल कंपनी इसलिए करती है ताकि लोग अपने पुराने फोन से परेशान हो जाएं और नया आईफोन खरीदें.
इस मामले में एक टेक एक्सपर्ट का कहना है कि ये समस्या सिर्फ आईफोन की बैटरी को रिप्लेस करवाने से ही हल हो सकती है. फोन स्लो होने की समस्या ऐसी नहीं है कि इसे ठीक ही न किया जा सके. हालांकि, कई बार एपल का नया सॉफ्टवेयर अपडेट करने से स्लो हो जाता है और यूजर्स कई बार अपना ऑपरेटिंग सिस्टम वापस रिवर्स कर लेते हैं, लेकिन ये तरीका भी पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि इससे बैटरी की समस्या पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा.
बात चाहें जो हो ये तो तय है कि आईफोन्स जान बूझ कर धीमे किए जाते हैं और इसका असर सीधे तौर पर आईफोन यूजर्स पर ही पड़ता है. एपल के स्टेटमेंट के अनुसार अगर आईफोन 7 भी अभी पहले से धीमा हो गया है तो वाकई ये निराशाजनक बात है.
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