500 रु में चांद पर अपना नाम लिखिए, धोखा नहीं सच है जनाब...
मंगल पर घर और चांद पर नेम प्लेट. ऐसी कई कंपनियां हैं जो अंतरिक्ष में इंसान को भेजने का या ऐसा ही कोई दावा करती हैं. बहरहाल, बेंगलुरु की एक कंपनी ने अपने दावे को सच करने की पूरी योजना बना ली है. जानिए कैसे...
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चांद-सितारों के सपने देखने वालों के लिए अब एक भारतीय कंपनी नया और अनोखा ऑफर लेकर आई है. दरअसल, बेंगलुरु की एक स्टार्टअप कंपनी टीमइंडस ने एक ऐसा प्रोजेक्ट शुरू किया है जिसमें लोग सिर्फ 500 रुपए देकर अपना नाम चांद पर लिखवा सकते हैं. इतना ही नहीं इसके लिए 10000 लोगों ने एंट्री भी करवा ली है.
कब और कैसे होगा ये काम..
टीमइंडस का ये मिशन 28 दिसंबर 2017 को शुरू होगा. इसमें एक PSLV रॉकेट धरती से 3.84 लाख किलोमीटर सफर करके चांद पर 26 जनवरी 2018 को लैंड करेगा. इसके बाद वहां से एक छोटा ऑटोमेटेड रोबोट फोटोज और वीडियोज भेजेगा. साथ ही लोगों की नेम प्लेट चांद पर रखेगा.
टीमइंडस कंपनी की टीम और रोबोट का प्रोटोटाइप |
खैर, टीमइंडस की टीम का कहना है कि ये क्राउड फंडिंग के लिए किया गया है.
क्या है इसके पीछे का राज...
दरअसल ये सब कुछ गूगल का शुरू किया हुआ है. गूगल ने लूनार Xprize के नाम से एक कॉम्पटीशन की घोषणा की है जिसमें एक रेस जीतनी होगी की कौन चांद पर पहले पहुंच सकता है. आपको बता दूं कि इस रेस को जीतने वाले को 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 170 करोड़ 27 लाख रुपए) मिलेंगे.
क्या हैं शर्तें-
इस रेस की आसान सी शर्तें हैं. आपको अपना रॉकेट चांद पर पहुंचाना है. वहां पहुंचकर रोबोट को 500 मीटर की यात्रा करनी है जो HD फोटो और वीडियो भेजेगा. आसान है ना. अब इसके लिए पैसे तो खूब चाहिए इसीलिए बेंगलुरु स्टार्टअप कंपनी ने क्राउड फंडिंग का अनोखा तरीका निकाला है.
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इस कंपनी ने एक रोबोट बना भी लिया है जिसका नाम ECA रखा है. फुल फॉर्म जानकर हसिएगा मत, ECA का मतलब है 'एक छोटी सी आशा (Ek Chhoti si Asha)'. टीमइंडस का स्पेसक्राफ्ट ISRO के PSLV रॉकेट से भेजेगा. 800 किलोमीटर ऊपर स्पेस में जाने के बाद ये स्पेसक्राफ्ट के अपने इंजन शुरू हो जाएंगे और ये चांद पर जाएगा.
आपको बता दूं कि चांद पर जाने वालों की रेस में टीमइंडस सबसे आगे है. इसके पीछे जापान की हाकुतो कंपनी है. और भलमंसाहत देखिए टीमइंडस अपने ही रॉकेट में जापानी रोबोट भी लेकर जाएगी.
टीमइंडस इस रेस में पहले ही 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर जीत चुकी है जहां उसे सबसे बेहतरीन लैंडिंग तकनीक का प्रदर्शन करने के लिए इनाम मिला है.
टीमइंडस के फ्लीट कमांडर राहुल नारायण अपने साथी रामनाथ बाबू और शीलिका रविशंकर के साथ |
पहली बार नहीं है ये लालच...
लोगों को पहली बार अंतरिक्ष में जाने का लालच नहीं दिया जा रहा है. इससे पहले भी कई कंपनियां आईं और गईं. इनमें सबसे चर्चित थी नीदरलैंड्स की मार्सवन कंपनी जो लोगों को मार्स का वन वे टिकट बांट रही थी. 2012 में इस कंपनी ने अपने मिशन की घोषणा की थी और तब से लाखों लोगों ने इस मिशन के लिए मार्स का वन वे टिकट लिया था. 2013 तक ही 1 लाख लोग इस मिशन के लिए अपना नाम लिखवा चुके थे. इस मिशन के तहत 2022 तक मार्स में एक कॉलोनी बनाई जाएगी और लोगों को मार्स पर भेजने से पहले लगभग 8 साल की ट्रेनिंग दी जाएगी. वन वे टिकट इसलिए होगा क्योंकि मार्स में रहने के बाद लोगों की बॉडी में बदलाव हो जाएंगे और वो धरती पर नहीं रह पाएंगे.
कुल मिलाकर इंसान अंतरिक्ष में जाने के लिए हमेशा से ही तत्पर रहा है. एक्सपेरिमेंट्स के लिए मक्खी से लेकर कुत्ते तक हर तरह का जानवर भी भेजा जा चुका है. इतना ही नहीं स्पेस में बैक्टीरिया भी भेजा जा चुका है ताकी ये समझ आए की बीमारियां अंतरिक्ष में कैसी होंगी. तो उम्मीद है कि टीमइंडस और मार्स वन जैसी कंपनियों का काम पूरा हो. मेरी तरफ से तो टीमइंडस को और चांद पर अपना नाम लिखवाने वाले सभी लोगों को ढेर सारी बधाइयां.
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