भूत नहीं हैं एलियन, बढ़ाएं दोस्ती का हाथ
हम चांद पर पहुंच चुके हैं. मंगल पर पहुंचने वाले हैं. ठीक इसी तरह एलियन भी शायद हमारी दुनिया को जानने के लिए मंडराते रहते हैं. क्या हमें उनकी मदद नहीं करनी चाहिए, क्या हमें उनसे मदद नहीं लेनी चाहिए?
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इ.टी. - द एक्सट्रा टेरेस्ट्रियल (E.T. the Extra-Terrestrial) या इसका हिंदी वर्जन 'कोई मिल गया' देखी है? दूसरी दुनिया के लोगों से दोस्ती की कहानी है. सिनेमा ही सही, लेकिन कौन जानता है, शायद सच ही हो. वो कहते हैं न - जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि.
हम चांद पर पहुंच चुके हैं. मंगल पर पहुंचने वाले हैं. ठीक इसी तरह एलियन भी शायद हमारी दुनिया को जानने के लिए मंडराते रहते हैं. अभी यूट्यूब पर एक वीडियो खूब देखा जा रहा है - धरती की कक्षा से बाहर निकलते तीन UFO (Unidentified flying object). हिंदी में लोग इसे उड़नतश्तरी के नाम से ज्यादा जानते हैं. कहा जा रहा है कि इस वीडियो को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से शूट किया गया है. हालांकि अभी तक NASA ने इस पर आपत्ति नहीं जताई है और न ही सफाई पेश की है.
दिक्कत यह है कि UFO को लेकर अमेरिका या यूरोपियन देशों में डर और खौफ का माहौल ज्यादा है. इसमें एक बड़ी भूमिका हॉलीवुड ने निभाई है. दूसरी दुनिया के लोगों से दोस्ती की कहानी पर आधारित फिल्में जहां उंगलियों पर गिनीं जा सकती हैं, वहीं, इनके हमले और पृथ्वी को तबाह कर देने की थीम वाली फिल्में कई हैं.
यह पहला मौका नहूीं है, जब UFO से जुड़े वीडियो और फोटो सामने आए हैं. हां, इनकी पुष्टि अभी तक एक बार भी नहीं हुई है, सच तो यही है. कई बार तो इंसानों और जानवरों के गायब (UFO द्वारा कैदी बनाकर ले जाने) होने की खबरें भी आई हैं. हालांकि इन वाकयों के पीछे की सच्चाई क्या है, यह कहना मुश्किल है. भूत-प्रेत से डर के माफिक ही लोग इन UFO से भी डरते हैं.
ग्लोबल दुनिया से आगे बढ़कर अगर हमें एक यूनिवर्सल दुनिया के सपने को साकार करना है तो UFO से डर वाले तत्व को अपने दिल से निकालना होगा. हम मंगल पर जाएं, बसें. वो पृथ्वी पर आएं. हमारे साथ रहें. क्या दिक्कत है? शुरुआत तो दोस्ती के साथ ही करनी होगी.
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