क्या आधार बिना बताए हमारे फोन में घुस गया?
क्या आपके फोन की contact list में भी UIDAI का टोल फ्री नंबर सेव है? जरा अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट देखिए इसकी गुंजाइश बहुत है कि उसमें UIDAI का कॉन्टैक्ट सेव होगा. ये नंबर आपने कभी खुद सेव नहीं किया फिर भी ये सेव है.
-
Total Shares
भारत में Aadhaar कार्ड जब से आया है तब से ही इसे लेकर विवाद चल रहे हैं. आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर लोग हमेशा से चिंता जताते आए हैं और अब तो TRAI के चेयरमैन ने अपना आधार कार्ड ट्विटर पर अपना आधार नंबर तक शेयर कर दिया. इसके बाद चुनौती दे डाली कि किसी में दम है तो उनके आधार नंबर के दम पर कोई नुकसान पहुंचा कर दिखाए. इसके बाद तो जैसे आधार हैक करने और फर्जी आधार बनाने की होड़ लग गई. लोगों ने आरएस शर्मा के खाते में पैसे भी जमा करवा दिए.
तो कुल मिलाकर आधार की सुरक्षा में लूप होल सामने आ गया. लेकिन अब एक और आधार के ही विषय पर बात होने लगी है.
सबसे पहले एक सवाल..
क्या आपके फोन कॉन्टैक्ट लिस्ट में भी UIDAI का टोल फ्री नंबर सेव है?
जरा अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट देखिए इसकी गुंजाइश बहुत है कि उसमें UIDAI का कॉन्टैक्ट सेव होगा. ये अधिकतर एंड्रॉयड फोन्स में दिख रहा है. फ्रेंच हैकर रॉबर्ट बैप्टीज जो ट्विटर पर ईलियट एंडरसन के नाम से प्रख्यात हैं उन्होंने इसके बारे में बताया.
A lot of people have @UIDAI in their contact list by default. I’m thinking aloud: What if it is only the top of the iceberg? I really need to know now. If you have an Indian phone firmware, I’m your man, please send it to me! https://t.co/xRVNM72f1u
— Elliot Alderson (@fs0c131y) August 2, 2018
जैसे ही ये ट्वीट सामने आया वैसे ही 1 घंटे के अंदर कई लोगों ने इसके बारे में बातें करनी शुरू कर दी. कुछ समय में हज़ारों लोग इस ट्वीट को फॉलो कर रहे थे. किसी को ये नहीं पता कि आखिर उनकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में ये नंबर आया कहां से.
कई लोग जिनके पास आधार कार्ड नहीं था, या mAadhaar एप नहीं था उनके पास भी ये नंबर सेव था. फोन नया हो या पुराना ये नंबर सेव दिख रहा है. किसी को इसके बारे में नहीं पता कि आखिर ये कहां से आया. कई लोगों ने UIDAI को ट्वीट कर इसके बारे में पूछा.
ये नंबर अपने आप लोगों के स्मार्टफोन में सेव हो रहा है
ईलियट ने खुद पूछा कि क्या ये आइसबर्ग की सिर्फ चोटी है यानि जितना ये ऊपर है उससे ज्यादा गहरा नीचे है? UIDAI हेल्पलाइन नंबर (1800-300-1947) अधिकतर लोगों के फोन में सेव है.
इसको लेकर कई लोगों के सवाल शुरू हो गए हैं.
I see that I have UIDAI on my phone contact list and I never saved the number !!! OMG...what else are they tracking on my phone?
— GIRISH MITTAL (@G_MITTAL) August 2, 2018
I have Nexus 6P bought in US. So this isn't coming from Indian firmwarr
— Tushant Pandey (@tushant) August 2, 2018
Definitely coming from phone storage. Checked contacts manager and filtered by sim contacts, it's not there in my @Airtel_Presence SIM. Filtered by phone storage, and there it is. Funny thing is, this is hardly a 2 month old @OnePlus_IN phone. I definitely didn't store this num.
— Manu K.P (@manukp) August 2, 2018
@fs0c131y No its not because sim provider. I bought my phone in Germany and also sim provider is German, I never been to Indian after buying this phone.... i havent installed BHIM, UPI or aadhar app...... Email, whatsapp are linked to my indian number which is linkd to aadhar...
— sheik akram (@AkramSheik) August 2, 2018
सैमसंग, मोटोरोला, नोकिया, वनप्लस, MI सभी हैंडसेट्स में ये नंबर सेव दिख रहा है. ये नंबर असल में कहां से आया इसके बारे में किसी ने कोई जानकारी नहीं दी है.
क्या सर्विस प्रोवाइडर दे रहे हैं ये नंबर..
ये नंबर सर्विस प्रोवाइडर की तरफ ने नहीं आया है. हमने कई सर्विस प्रोवाइडर के प्रवक्ताओं से इस बारे में बात की.
वोडाफोन की पीआर प्रीति का कहना है कि, "मेरे पास भी वोडाफोन की सिम है और मेरे फोन में तो ये नंबर नहीं है. ऐसा नहीं है कि ये नंबर किसी सर्विस प्रोवाइडर ने दिया है."
तो यकीनन ये बात साफ है कि आधार का ये नंबर किसी भी सर्विस प्रोवाइडर की देन नहीं है.
क्या कहा UIDAI ने?
UIDAI के अनुसार ये कोई वैलिड आधार नंबर नहीं है. न ही संस्था ने किसी को आदेश दिए हैं कि इस नंबर को किसी फोन में जोड़ा जाए. 18003001947 या 1947 अगर सेव भी है तो वो असल में UIDAI का हेल्पलाइन नंबर भी नहीं है. UIDAI का कहना है कि ये कुछ ऐसे तत्वों का काम हो सकता है जो आधार को बदनाम करना चाहते हैं.
तो हमारा आधार ही नहीं हमारा फोन और निजी जिंदगी कुछ भी सुरक्षित नहीं
ये हो सकता है कारण!
आधार का ये नंबर आखिर क्यों एंड्रॉयड फोन्स में सेव किया गया इसके कारण हो सकते हैं.
- शायद ये पेटीएम, फ्रीचार्ज या किसी अन्य पेमेंट एप से आया हो, इन एप्स पर अक्सर KYC किया जाता है और इनके पास आधार डेटा होता है.
- मोबाइल नंबर आधार कार्ड से लिंक्ड हो.
- बैंक अकाउंट आधार से लिंक्ड हो तो शायद इस कारण ये नंबर सेव हो गया हो.
- या तो ये गूगल की तरफ से आ रहा है.
- जीमेल या कोई अन्य एप आधार से लिंक्ड हो और इस कारण ये नंबर सेव हो रहा हो.
- या फिर मान लिया जाए कि एंड्रॉयड हैकिंग का ये कारनामा है और इसलिए सभी एंड्रॉयड फोन्स में ये नंबर आ रहा है.
UIDAI की मानें तो ये कुछ ऐसे लोगों का काम हो सकता है जो आधार को बदनाम करना चाहते हैं. बिलकुल ऐसे लोगों का काम ये हो सकता है, लेकिन क्या इसका मतलब ये नहीं है कि करोड़ों भारतीय असुरक्षित हैं और उनकी डिटेल्स भी आसानी से बाहर आ सकती हैं.
जरा सोचिए, TRAI चेयरमैन के आधार कार्ड नंबर से ही हैकर्स ने कम से कम उनकी 14 डिटेल्स सामने ला दीं और यहां तक कि उनका नकली आधार कार्ड भी ले लिया और उसपर डोमेन नेम भी खरीद लिया. ये तो हालत है आधार कार्ड की सुरक्षा की.
अब जब UIDAI ने ये बता दिया है कि आधार हेल्पलाइन नंबर न तो वैध्य है और न ही उसकी तरफ से कोई ऐसी बात कही गई है कि ये नंबर हर फोन में सेव किया जाए तब इस बात की आशंका बढ़ गई है कि भारत में किसी का भी डेटा सुरक्षित नहीं है. न तो इसे सर्विस प्रोवाइडर की तरफ से दिया गया है, न ही इसे फोन बनाने वाली कंपनियों की तरफ से दिया गया है और न ही इसे UIDAI की तरफ से दिया गया है तो फिर ये आया कहां से?
अगर ये वाकई हैकर्स का काम है तो भी ये खतरे की बात है और क्योंकि ये पुराना आधार हैल्पलाइन नंबर है इसलिए ये भी कहा जा सकता है कि ये उन एप्स की तरफ से आया हो जिनसे आधार कार्ड लिंक्ड हो. अगर ऐसा है तो भी सोचने वाली बात है कि आखिर हमने आधार कार्ड बनाते समय अपनी निजी जानकारी किसी भरोसे के साथ दी थी और जब हमारे मोबाइल तक आसानी से पहुंचा जा सकता है तो कितना समय लगेगा हमारे बैंक अकाउंट तक पहुंचने में या फिर हमारी बाकी डिटेल्स लेने में?
मज़े की बात तो ये है कि जिनके आधार कार्ड नहीं बने हैं उनके भी फोन में ये नंबर सेव है और उन्हें इस बात का कोई अंदाज़ा ही नहीं कि ये कैसे हुआ. तो यकीनन या तो ये हैकर्स का काम हो सकता है, या फिर गूगल और वॉट्सएप में से किसी का. पर अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता.
तो आखिर किसे माना जाए गुनहगार?
सबसे ज्यादा अचंभे की बात ये है कि कई चीनी फोन (मेड इन चाइना जैसे Huawei) के हैंडसेट्स में ये नंबर सेव नहीं है. ये चीनी कंपनियों के मेड इन इंडिया फोन्स में ये नंबर है. इसलिए इसे गूगल से जोड़कर देखा जा सकता है. क्योंकि एंड्रॉयड यूजर्स गूगल का इस्तेमाल करते हैं तो इसलिए ऐसा अंदाजा लगाया जा सकता है कि शायद ये नंबर गूगल की तरफ से ही डिफॉल्ट सेव हो रहा हो. हालांकि, अब इसके iOS में भी दिखने लगा है और इसलिए ये संभावनाएं भी थोड़ी कम लग रही हैं. इसी कारण इसमें हैकर्स के होने की गुंजाइश भी जताई जा सकती है.
जब तक इस गुत्थी को सुलझाया नहीं जाता तब तक तो यही कहा जा सकता है कि भारतीय डेटा सुरक्षित नहीं है.
ये भी पढ़ें-
ट्राई प्रमुख का आधार नंबर शेयर करना अब एक खतरनाक मोड़ ले चुका है
आधार नंबर सार्वजनिक कर के ट्राई प्रमुख ने गलत पंगा ले लिया !
आपकी राय