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Updated: 16 मई, 2017 04:23 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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रैनसमवेयर ( Ransomeware ) अटैक वॉनाक्राई ( Wannacry ) के बारे में अब तक तो आपने सुन ही लिया होगा. दुनिया के 150 देशों में इस रैनसमवेयर ने तहलका जो मचा दिया है. लोगों से फिरौती मांगने वाला ये मालवेयर कम्प्यूटर्स को लॉक कर देता है.

दुनिया की बड़ी साइबर सिक्योरिटी कंपनिया सिमैन्टेक और कैस्परस्की लैब के अनुसार सोमवार को जो कोड देखे गए उन्हें देखकर शक है कि ये नॉर्थ कोरिया का काम है. दरअसल, इससे पहले नॉर्थ कोरिया के हैकिंग ग्रुप Lazarus (लैज़ेरस) ने जो कुछ प्रोग्राम बनाए थे उसमें भी इसी तरह के कोड का इस्तेमाल किया गया था. कैस्परस्की के लैब रिसर्चर कर्ट बॉमगार्टनर के अनुसार ये सबसे बड़ा सुराग है जिससे वॉनाक्राई की शुरुआत कहां से हुई है.

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भारतीय ने दिया सबूत...

दोनों ही फर्म्स गूगल के सिक्योरिटी रिसर्चर नील मेहता द्वारा ट्विटर पर पब्लिश किए गए सबूतों के आधार पर ये बात कही जा रही है. जो अटैक हुआ है वो सोमवार को धीमा हो गया और इसका असर एशिया पर कम ही हुआ है.

पहले भी नॉर्थ कोरिया के इस ग्रुप ने वसूल किए हैं पैसे...

वॉनाक्राई रैनसमवेयर फिरौती वसूल करता है और यूजर को कम्प्यूटर की एक्सेस तब तक नहीं मिलती जब तक पैसे चुकाए नहीं जाते. लैजेरस ग्रुप ने पहले भी पैसे कमाने के लिए कुछ किया है. इससे पहले उनपर बंगलादेशी सेंट्रल बैंक से 81 मिलियन डॉलर इकट्ठा करने की बात कही गई थी.

अभी तक इतना इकट्ठा किया गया पैसा...

अभी तक वॉनाक्राई से करीब 70000 डॉलर (44.9 लाख रुपए) ही इकट्ठा किए गए हैं. ये रिपोर्ट ट्रंप के होमलैंड सिक्योरिटी एडवाइजर टॉम बॉसर्ट ने दी है. टॉम के हिसाब से अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि पेमेंट करने के बाद डेटा रिकवरी हुई है या नहीं.

इतना पैसा मांगता है वॉनाक्राई...

वॉनाक्राई रैनसमवेयर 300 डॉलर (लगभग 20000 रुपए) मांगता है. एक्सपर्ट्स की माने तो पैसे इसलिए कम रखे जाते हैं ताकी ज्यादातर लोग फिरौती दे दें.

इसपर अभी भी सिक्योरिटी एक्सपर्ट इस बारे में पूरी तरह से सहमत नहीं है कि ये जो मामला है वो सिर्फ पैसे ही चाहते थे. क्योंकि ऐसे किसी भी अटैक में लाखों-करोड़ों रुपए इकट्ठा कर लिए जाते हैं. एक्सपर्ट्स को लगता है कि ये सिर्फ सबसे ज्यादा नुकसान करने के लिए है.

किन देशों को सबसे ज्यादा असर पड़ा...

चेक सिक्योरिटी फर्म अवास्ट के अनुसार सबसे ज्यादा असर रशिया, ताईवान, यूक्रेन और भारत में हुआ है. हालांकि, इसका असर अमेरिका पर भी देखा गया है.

यूरोप और अमेरिका में ने हैकर्स से बचने के लिए सिक्योरिटी बढ़ानी शुरू कर दी है. इससे पहले 9000 कम्प्यूटर प्रति घंटे के हिसाब से अटैक हो रहा था जो अब काफी धीमा हो गया है. सोमवार को चीनी ट्रैफिक पोलिस और स्कूल में ये अटैक हुआ, लेकिन इससे उतना असर नहीं पड़ा.

साइबर अटैकक्या इस अटैक के पीछे हो सकता है नॉर्थ कोरिया का हाथ? कुल मिलाकर हर देश में अब इस अटैक से बचने की तैयारियां की जा रही हैं. भारत में भी आरबीआई ने एटीएम सॉफ्टवेयर अपडेट होने तक बंद करने के आदेश दे दिए हैं. अभी तक इस बारे में कोई साफ जानकारी नहीं मिली है कि वॉनाक्राई से असल में कितना नुकसान हुआ है. अगर इसके पीछे वाकई नॉर्थ कोरिया का हाथ है तो इसे क्या माना जाए? क्या ये तरीका है नॉर्थ कोरिया का दुनिया को विश्व युद्ध में ढकेलने का? इसे एक युद्ध ही तो कहेंगे जहां एक तरफ से पूरी दुनिया एक अटैक से बचने के लिए योजनाएं बना रही है और लगातार साइबर सिपाही अपने देश को बचाने में लगे हुए हैं.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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