भारतीय पत्रकारों और एक्टिविस्ट के whatsapp हैक हुए, लेकिन कैसे?
ध्यान देने वाली बात ये है कि इन लोगों के सिर्फ वाट्सऐप (whatsapp) हैक नहीं हुए, बल्कि उसके जरिए पूरा मोबाइल ही हैक कर लिया गया. यानी ये हाई-प्रोफाइल लोग किसे कॉल करते हैं, किससे क्या बात करते हैं, किसके हक में बोलते हैं और किसके खिलाफ योजना बनाते हैं, सब कुछ हैकर ने जान लिया होगा.
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वाट्सऐप (whatsapp) ने एक ऐसी खबर दी है, जो हैरान करने के साथ-साथ परेशान करने वाली है. खबर ये है कि वाट्सऐप का इस्तेमाल करते हुए एक इजरायली कंपनी के सॉफ्टवेयर पिगेसस (Pegasus) के जरिए दुनिया भर के कई बड़े पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के मोबाइल हैक किए गए हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इन लोगों के सिर्फ वाट्सऐप हैक नहीं हुए, बल्कि उसके जरिए पूरा मोबाइल ही हैक कर लिया गया. यानी ये हाई-प्रोफाइल लोग किसे कॉल करते हैं, किससे क्या बात करते हैं, किसके हक में बोलते हैं और किसके खिलाफ योजना बनाते हैं, सब कुछ हैकर ने जान लिया होगा. खैर, चिंता की बात ये नहीं है कि हैकर ने हैकिंग के जरिए ये सब जान लिया होगा, बल्कि चिंता ये है कि इस जानकारी का इस्तेमाल वह हैकर किस काम के लिए करने वाला है? चिंता तब और बढ़ जाती है जब ये भी नहीं पता चलता कि वो हैकर है कौन, जिसने जानकारियां चुराईं? वाट्सऐप की ओर से आई हैकिंग वाली खबर ने बेशक पूरी दुनिया में खलबली मचाने का काम किया है. कनाडा आधारित एक साइबर सिक्योरिटी रिसर्च फर्म सिटिजन लैब (Citizen Lab) के मुताबिक भारत के करीब दो दर्जन पत्रकार और मानवाधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं के मोबाइल हैक हुए हैं. चलिए आपको इनमें से कुछ नाम बताते हैं.
इजरायली कंपनी एनएसओ के सॉफ्टयवेर पिगेसस ने हाई प्रोफाइल पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के मोबाइल उनके वाट्सऐप का इस्तेमाल कर के हैक कर लिए.
भारत के इन हाई-प्रोफाइल लोगों के मोबाइल हुए हैक
पूरी दुनिया के करीब 1400 लोगों के मोबाइल फोन हैक किए जाने की खबर है, जिनमें से लगभग 2 दर्जन भारत के हैं. इस बारे में वाट्सऐप ने इन लोगों को अलर्ट भी किया था. न्यूजलॉन्ड्री ने इनमें से कुछ से बात की है.
निहाल सिंह राठौड़- निहाल नागपुर में मानवाधिकार से जुड़े एक वकील हैं, जिन्होंने भीमा कोरेगांव हिंसा वाले मामले में उसके कुछ आरोपियों की ओर से केस लड़ा था. उन्हें 7 अक्टूबर को साइबर सिक्योरिटी का काम करने वाली सिटिजन लैब के रिसर्चर स्कॉट रेलटन की तरफ से सर्विंलांस के लिए अलर्ट करने वाला मैसेज मिला. उन्होंने बताया कि उन्हें वाट्सऐप पर संदेहजनक फोन काफी आते रहे, लिंक भी मिले, जिन पर क्लिक करने पर कुछ नहीं खुला.
बेला भाटिया- छत्तीसगढ़ के बस्तर से मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया का भी फोन हैक हुआ. सिटिजन लैब ने उनसे सितंबर में संपर्क किया था और बताया था कि उनका फोन हैक हुआ है उनकी जासूसी हो रही है. बेला कहती हैं कि उन्हें बताया गया था कि ये सब देश की सरकार ने ही किया है. इस पर उन्हें कोई खास हैरानी नहीं हुई, क्योंकि वह मानती हैं कि सरकारे ऐसा करती ही हैं.
डिग्री प्रसाद चौहान- इस लिस्ट में महाराष्ट्र के वकील और कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान का नाम भी शामिल है, जो दलितों और आदिवासियों के लिए लड़ते हैं. उन्हें 28 अक्टूबर को इस जासूसी के बारे में पता चला.
आनंद तेलतुम्बदे- आनंद प्रोफेसर, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्हें सिटिजन लैब ने फोन हैकिंग के बारे में करीब 10 दिन पहले आगाह किया था. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से ऐसा किया जाना बिल्कुल गलत है.
सिद्धांत सिबल- विऑन न्यूज टीवी चैनल के रक्षा मामलों के पत्रकार सिद्धांत सिबल के टारगेट होने की बात खुद विऑन टीवी ने ट्वीट कर के बताई है.
सरकार पर क्यों उठ रही हैं उंगलियां?
अगर हैकिंग का शिकार हुईं बेला भाटिया की मानें तो सिटिजन लैब (Citizen Lab) ने उनसे ये कहा था कि इसके लिए भारतीय सरकार जिम्मेदार है. अब उन दोनों के बीच क्या बात हुई, ये तो कहा नहीं जा सकता है, लेकिन इजरायल की जिस कंपनी ने ये सॉफ्टवेयर बनाया है, उसका बयान भी सरकार पर सवाल खड़े करता है. पिगेसस को बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ (NSO) ने अपने एक बयान में कहा था कि वह ये सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारों को देती है, ना कि किसी और को. अब यहां पहला सवाल तो अपनी ही सरकार पर उठता है कि क्या उन्होंने भी ये सॉफ्टवेयर खरीदा और अपने ही नागरिकों की जासूसी की? हालांकि, ये मुमकिन नहीं लगता क्योंकि जिन लोगों की बात हो रही है उनकी जासूसी के लिए सरकार के पास पिगेसस से भी अच्छे विकल्प मौजूद हैं. अब दूसरी संभावना ये हो सकती है कि पाकिस्तान या किसी अन्य दुश्मन देश ने इजरायल से ये तकनीक खरीदी और वह भारत में हाई-प्रोफाइल लोगों की जासूसी कर के राजनीतिक फायदा उठाना चाहता हो.
वाट्सऐप तो पीड़ित है, सवाल तो सरकार पर उठने चाहिए
वाट्सऐप ने हैकिंग के लिए उसका प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने पर पिगेसस सॉफ्टवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ पर केस कर दिया है. वहीं दूसरी ओर, भारत सरकार ने whatsapp से फोन हैकिंग से जुड़े मामले को स्पष्ट करने के लिए कहा है. इजरायली कंपनी NSO के बारे में कहा गया है कि उसने ऑनलाइन निगरानी करने वाला अपना सॉफ्टवेयर 20 देशों की सरकारों को बेचा है. ऐसे में चार सवाल उठते हैं:
- भारत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उसने यह सॉफ्टवेयर खरीदा है?
- क्या भारत सरकार ने ही अपने कुछ नागरिकों की निगरानी की?
- क्या भारत सरकार के पास मौजूद नागरिकों का कोई क्लासिफाइड डेटा है, जो लीक हो गया है?
- या किसी और देश की सरकार ने भारतीय नागरिकों के फोन की हैकिंग की है?
क्या मैसेज भेजा था वाट्सऐप ने?
जब वाट्सऐप ने सिटिजन लैब के साथ मिलकर इसकी छानबीन की तो उसे पता चला कि पिगेसस के जरिए लोगों को मोबाइल हैक करने के लिए वाट्सऐप का ही प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किया गया था. ऐसे में वाट्सऐप ने उन लोगों को एक मैसेज भी भेजा, जिसमें बताया कि उनका मोबाइल हैक हो गया है. उस मैसेज में लिखा था- 'मई में हमने एक हमले को रोका था, जिसमें एक एडवांस साइबर एक्टर ने वीडियो कॉलिंग के जरिए लोगों के फोन में मालवेयर इंस्टॉल किए. इस बात की संभावना है कि आपका फोन भी हैक हुआ है.' हालांकि, इससे बचने के लिए वाट्सऐप ने यही तरीका बताया कि हमेशा वाट्सऐप और मोबाइल ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर का लेटेस्ट वर्जन इस्तेमाल करें.
वाट्सऐप ने उन लोगों को ये मैसेज भेजा था, जिनके मोबाइल पिगेसस सॉफ्टवेयर के जरिए हैक हुए थे.
किसने की हैं ये सारी हैकिंग?
कनाडा की साइबर सिक्योरिटी रिसर्च फर्म सिटिजन लैब की मानें तो पिगेसस (Pegasus) का इस्तेमाल कर के वाट्सऐप के जरिए भारतीय नागरिकों के फोन हैक करने का काम जिस ग्रुप ने किया है, वह खुद को गंगेज़ (Ganges) कहता है. इसने ही पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को टारगेट करने के लिए उनके मोबाइल हैक किए हैं. सिटिजन लैब का मानना है कि गंगेज़ की हैकिंग पॉलिटिकल टीम पर आधारित है. यानी ये कहा जा सकता है कि इन हैकिंग के जरिए राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है.
जिस सॉफ्टवेयर पिगेसस की बात हो रही है उसे एक स्पाईवेयर या यूं समझ लीजिए कि एक तरह के वायरस की तरह लोगों के फोन में डाला गया. पिछले साल न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पिगेसस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर के सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोग्गी की जासूसी की गई थी, जिनकी तुर्की में हत्या करने का आरोप भी सऊदी अरब के सरकारी अधिकारियों पर ही लगा है. पिगेसस कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा खशोग्गी के मामले से लगाया जा सकता है.
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