4 इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगी है क्यों ये मामला समझने वाला है!
बीते कुछ दिनों में इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगने के 4 या 5 मामले सामने आए हैं. वो कंपनियां जैसे ओला, ओकिनावा और प्योर ईवी आलोचना का शिकार हो रही हैं जिन्होंने इन ई स्कूटर्स का निर्माण किया. सवालों के घेरे में इन ई स्कूटर्स की बैटरी और उसकी गुणवत्ता है तो आइये जानें क्यों हमारे लिए भी इन मामलों को समझना और ई स्कूटर्स की बैटरी पर बात करना बहुत जरूरी है.
-
Total Shares
अब इसे रोजाना बढ़ती पेट्रोल की कीमतें कहें या फिर चलाने में सहज भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड तेज हुई है. भले ही साल 2020 के मुकाबले 2021 में ई- टू व्हीकल की सेल में करीब 132 प्रतिशत की वृद्धि हुई हो. लेकिन चूंकि हाल फ़िलहाल में देश के अलग अलग हिस्सों में इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगने के कुछ एक मामले सामने आ गए हैं इसलिए बहस तेज है कि क्या सुरक्षा के लिहाज से E-Two Wheelers सुरक्षित है या नहीं. जैसा कि हम पहले ही इस बात को बता चुके हैं, बीते कुछ दिनों में इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगने के 4 या 5 मामले सामने आए हैं. वो कंपनियां जैसे ओला, ओकिनावा और प्योर ईवी आलोचना का शिकार हो रही हैं जिन्होंने इन ई स्कूटर्स का निर्माण किया. सवालों के घेरे में इन ई स्कूटर्स की बैटरी और उसकी गुणवत्ता है तो आइये जानें क्यों हमारे लिए भी इन मामलों को समझना और ई स्कूटर्स की बैटरी पर बात करना बहुत जरूरी है.
अलग अलग शहरों में इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लग रही है जिसके बाद तरह तरह की बातें हो रही हैं
ध्यान रहे ई स्कूटर्स लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित होते हैं, जिनका इस्तेमाल प्रायः सेलफोन और स्मार्टवॉच में किया जाता है. ई व्हीकल में लिथियम-आयन बैटरी ही क्यों होती है इसकी वजह बस इतनी है कि इस बैटरी को आमतौर पर अपने समकक्षों या ये कहें कि अन्य हेवी बैटरी की तुलना में कुशल और हल्का माना जाता है. लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है कि इन बैटरियों में सब कुछ सकारात्मक ही है. आग लगना एक कॉमन समस्या है जो हमने अभी हाल ही में देखा.
क्या है लिथियम आयन बैटरी? कैसे करती है ये काम?
इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्टफोन और लैपटॉप तक में, लिथियम-आयन (ली-आयन) बैटरी आज सबसे लोकप्रिय बैटरी टाइप है, जो दुनिया भर में लाखों इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स को पावर देती हैं. ली-आयन बैटरी में एक एनोड, कैथोड, सेपरेटर, इलेक्ट्रोलाइट और दो करंट कलेक्टर होते हैं.
बात यदि इसपर हो कि आखिर ये काम कैसे करती है तो बताना जरूरी है कि एनोड और कैथोड वह जगह है जहां लिथियम जमा होता है, जबकि इलेक्ट्रोलाइट सकारात्मक चार्ज लिथियम आयनों को एनोड से कैथोड तक ले जाता है और इसके विपरीत विभाजक के माध्यम से होता है. लिथियम आयनों की गति एनोड में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का निर्माण करती है, जो सकारात्मक वर्तमान कलेक्टर पर एक चार्ज बनाती है.
मुख्य चीजें जो ली-आयन बैटरी को अन्य बैटरीज के मुकाबले बेहतर बनाती हैं, वे हैं इसका हल्का वजन, उच्च ऊर्जा घनत्व और रिचार्ज करने की क्षमता. इसके अलावा, ली-आयन बैटरी आमतौर पर लेड एसिड बैटरी की तुलना में अधिक लंबी होती है.
ली-आयन बैटरी आमतौर पर 150 वाट-घंटे प्रति किलोग्राम स्टोर कर सकती है, जबकि लीड-एसिड बैटरी केवल 25 वाट-घंटे प्रति किलोग्राम स्टोर करती है. सरल शब्दों में, बहुत स्पष्ट कहें तो इसका मतलब ये हुआ कि ली-आयन बैटरी अन्य प्रकार की बैटरी की तुलना में अधिक दक्षता प्रदान करती है, जबकि उत्पाद के फॉर्म फैक्टर को अपेक्षाकृत कॉम्पैक्ट रखते हैं, इसका मतलब ये भी हुआ कि ली-आयन बैटरी से सुसज्जित एक इलेक्ट्रिक कार में अधिक ड्राइविंग रेंज होगी, और स्मार्टफोन दिन भर अधिक समय तक चलेगा.
हालांकि, ली-आयन बैटरी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें उच्च ऊर्जा घनत्व होता है. और शायद यही वो कारण है जिसके चलते कंपनियां भी बैटरी के इस प्रकार को पसंद करती हैं. दो-पहिया ईवी निर्माता एथर एनर्जी के एक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, ली-आयन बैटरी की उच्च ऊर्जा घनत्व का मतलब है कि ये सेल कुछ स्थितियों में अस्थिर हो सकते हैं, जिससे कार्यक्षमता बाधित हो सकती है. वे एक सुरक्षित संचालन सीमा के भीतर सबसे अच्छा काम करते हैं.
तो आखिर क्या है बैटरी प्रबंधन प्रणाली (BMS)क्या है?
बीएमएस मूल रूप से एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जो ली-आयन बैटरी पैक में सभी सेल्स से जुड़ी होती है, जो लगातार अपने वोल्टेज और इसके माध्यम से बहने वाले प्रवाह को मापती है. बीएमएस भी असंख्य तापमान सेंसर से लैस है, जो इसे बैटरी पैक के विभिन्न वर्गों में तापमान की जानकारी प्रदान करता है. यह सारा डेटा BMS को बैटरी पैक के अन्य मापदंडों की गणना करने में मदद करता है, जैसे चार्जिंग और डिस्चार्जिंग दर, बैटरी जीवन चक्र और उसकी दक्षता.
तो क्यों अलग अलग कंपनियों के ईवी में आग?
बात अलग अलग कंपनियों के ईवी में लगने वाली आग की हुई है तो बताना बहुत जरूरी है कि इस पर कंपनियों के अपने अलग और अनोखे दावे हैं. कंपनियों का मानना है कि लोग सही से अपने अपने वाहनों को चार्ज नहीं कर रहे और यही वो कारण है जिससे शार्ट सर्किटिंग हो रही है और आग लग रही है.
Another one...Its spreading like a wild #Fire .After #Ola & #okinawa #electric scooter from #PureEV catches fire in Chennai.Thats the 4th incident in 4 days..The heat is on.#ElectricVehicles #OLAFIRE #lithiumhttps://t.co/pFJFb7uKD7 pic.twitter.com/jJqWA48CNf
— Sumant Banerji (@sumantbanerji) March 29, 2022
हालांकि, ये उदाहरण ली-आयन बैटरी पैक के भीतर भी दिए ही जाते हैं इसलिए कंपनियां बच जाती हैं. इंडस्ट्री के एक्क्सपर्स्ट की मानें तो उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, कई कारण, जैसे कि विनिर्माण दोष, एक्सटर्नल डैमेज, या बीएमएस में तैनाती में खराबी के परिणामस्वरूप इन बैटरियों में आग लगने का खतरा हो सकता है.
एक तरफ ये बातें हैं दूसरी ओर तापमान भी बैटरी की खराबी में बड़ी भूमिका निभाता है. विशेषज्ञों ने बताया, ली-आयन बैटरी आमतौर पर गर्म तापमान में बेहतर प्रदर्शन करती है, अत्यधिक उच्च तापमान का मतलब यह हो सकता है कि बैटरी पैक का तापमान 90-100 डिग्री तक बढ़ सकता है, और इस स्थिति में बैटरी आग पकड़ लेती है.
After Chennai, now Okinawa Electric Scooter caught on fire at Manapparai, Trichy. No casualties.#ElectricVehicles #electricbike #motowagon pic.twitter.com/OlgKeIKzj4
— MotoWagon (@motowagon360) March 28, 2022
इसके अलावा, क्योंकि ईवी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एक बैटरी पैक में एक साथ सैकड़ों बैटरी से लैस होते हैं. इसका मतलब यह है कि भले ही कुछ बैटरी खराब हो और शॉर्ट सर्किट का कारण बने, यह एक श्रृंखला प्रतिक्रिया को किकस्टार्ट कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप आग लग सकती है, यह देखते हुए कि बैटरी पैक कई ली-आयन सेल के साथ कसकर पैक किया जाता है. इस प्रभाव को थर्मल रनवे कहा जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार, यही कारण है कि ली-आयन बैटरी तुरंत आग की लपटों में बदल जाती है.
इसके अलावा, अगर किसी वाहन का पूर्व में एक्सीडेंट हुआ है तो भी बैटरी पैक प्रभावित होता है और ये क्षतिग्रस्त हो जाता है जो आग लगने की बड़ी वजह बनता है.
बहरहाल अब जबकि आग लगने के मामले सामने आ ही गए हैं तो साल 2020 और 2021 के मुकाबले 2022 में इलेक्ट्रिक व्हीकल की सेल कितना प्रभावित होती है इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन जैसे हालात दिख रहे हैं वो कंपनियां जो इन ईवी को बना रही हैं वो अलबत्ता परेशानी में हैं.
ये भी पढ़ें -
Maruti Wagon R Facelift: शानदार लुक, बेहतरीन फीचर, मुनासिब कीमत...!
आपकी राय