सुन लो व्हाट्सएप, प्राइवेसी से ज्यादा बड़ी है समाज की शांति
वाट्सऐप ने तर्क दिया है कि अगर ऐसा कोई सॉफ्टवेयर कंपनी बना देती है तो एनक्रिप्शन का क्या फायदा होगा. लेकिन यहां थोड़ा रुक कर ये सोचने की जरूरत है कि हमें प्राइवेसी प्यारी है या फिर देश में आए दिन हो रही हिंसा से निपटना ज्यादा जरूरी है?
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जब वाट्सऐप की शुरुआत हुई थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन इसका इस्तेमाल मोब लिंचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भी हो सकता है. पिछले कुछ महीनों में हुई मोब लिंचिंग की घटनाओं का मुख्य कारण अफवाहें थीं, जो वाट्सऐप के जरिए फैलीं. ये देखते हुए सरकार ने भी वाट्सऐप के सामने कुछ शर्तें रख दीं, लेकिन एक शर्त ऐसी भी थी, जिसे वाट्सऐप ने मानने से साफ इनकार कर दिया. ये शर्त है मैसेज को ट्रैक करने की, ताकि अगर कभी कोई अफवाह फैले तो उसे समय रहते रोका जा सके. नहीं तो कम से कम दोषी को पकड़ कर उसे सजा तो दिलाई ही जा सके, लेकिन वाट्सऐप ने मैसेज ट्रैक करने के लिए कोई भी सॉफ्टवेयर बनाने से साफ मना कर दिया है.
अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए मैसेज की मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है.
प्राइवेसी नहीं बचेगी
वाट्सऐप ने तर्क दिया है कि अगर ऐसा कोई सॉफ्टवेयर कंपनी बना देती है तो एनक्रिप्शन का क्या फायदा होगा. एनक्रिप्शन इसीलिए लगाया ही गया था ताकि उसे सिर्फ भेजने वाला और पाने वाला शख्स पढ़ सके. अगर कंपनी या कंपनी का कोई सॉफ्टवेयर लोगों के मैसेज देखने लगेगा तो प्राइवेसी तो बचेगी ही नहीं. लेकिन यहां थोड़ा रुक कर ये सोचने की जरूरत है कि हमें प्राइवेसी प्यारी है या फिर देश में आए दिन हो रही हिंसा से निपटना ज्यादा जरूरी है? बेशक अधिकतर लोगों को देश में शांतिपूर्ण माहौल चाहिए, लेकिन कुछ लोग प्राइवेसी की बात को लेकर सरकार को भी निशाने पर ले ही लेंगे.
ये तीन शर्तें रखी थीं वाट्सऐप के सामने
मोदी सरकार ने वाट्सऐप के सीईओ के सामने रखी थीं ये शर्तें-
1- भड़काऊ मैसेज और अफवाहों को किसी दुर्घटना से पहले ही रोकने के लिए ये जरूरी है कि मैसेज की मॉनिटरिंग हो. इसके लिए वाट्सऐप को कोई तकनीकी रास्ता निकालना होगा.
2- भारत में वाट्सऐप का एक ग्रीव्यांस ऑफिसर हो, जिसके पास वाट्सऐप से जुड़ी शिकायतें की जा सकें. वाट्सऐप इसके लिए तैयार भी हो गया है.
3- वाट्सऐप को भारत के नियमों का पालन करने की शर्त भी वाट्सऐप के सीईओ के सामने रविशंकर प्रसाद ने रखी, जिस पर वाट्सऐप ने सहमति जताई है.
4- रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यूं तो वाट्सऐप एक ग्लोबल एंटिटी है, लेकिन भारत में भी उसकी एक कॉरपोरेट एंटिटी होना जरूरी है, ताकि उस पर कानून आसानी से लागू किए जा सकें. इस प्रस्ताव पर वाट्सऐप भी भारत में कॉरपोरेट एंटिटी लगाने का इच्छुक दिखा.
वाट्सऐप ने सिर्फ मैसेज ट्रैक करने की शर्त को छोड़कर बाकी शर्तें मान ली हैं.
क्या कहना है वाट्सऐप का?
मैसेज ट्रेस करने की शर्त रखते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि हजारों मैसेज कहां से भेजे जा रहे हैं, ये पता करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, आपको पास इसका समाधान ढूंढ़ने का तरीका होना चाहिए. यूं तो वाट्सऐप ने सभी मांगें मान ली हैं, लेकिन मैसेज मॉनिटरिंग की मांग नहीं मानी है. वाट्सऐप ने कहा है कि ऐसा करने से प्राइवेसी प्रोटेक्शन कमजोर हो जाएगा. लोग वाट्सऐप पर भरोसा करते हैं. हमारा फोकस लोगों को गलत जानकारियों से सचेत करना और इससे लोगों को बचाना है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर ऐसा कोई सॉफ्टवेयर बनाया जाता है तो इससे यूजर्स के डेटा के दुरुपयोग का भी खतरा बढ़ जाएगा. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया है कि डेटा यूजर्स की डिवाइस में ही सेव होता है. डिस्क्रिप्शन के लिए सिर्फ वाट्सऐप ही नहीं, बल्कि ऐपल और गूगल की मैसेजिंग सर्विस के काम करने के मूल तरीके में भी बदलाव करना होगा.
वाट्सऐप ने जो प्राइवेसी खत्म होने का जो तर्क दिया है, वह सही तो है, लेकिन समाज की शांति को बलि चढ़ा कर प्राइवेसी की बात करना सही नहीं है. वाट्सऐप को डर इस बात का है कि अगर मैसेज की मॉनिटरिंग शुरू की गई तो लोग इसे इस्तेमाल करना बंद कर देंगे. और ऐसा होगा भी. लोग वाट्सऐप को छोड़कर अन्य मैसेजिंग ऐप की ओर मुड़ जाएंगे, जिनकी इस समय बाजार में कोई कमी नहीं है. लेकिन अगर वाट्सऐप के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अफवाहें फैलाने में किया जाता है और उसके चलते मॉब लिंचिंग जैसी घटना फिर से हो जाती है तो क्या इसकी जिम्मेदारी वाट्सऐप लेगा? बेशक नहीं लेगा. ऐसे में वाट्सऐप को मैसेज को मॉनिटर करने का कोई न कोई तरीका तो खोजना ही होगा.
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