Xiaomi ने MI 10 लांच करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है, 5 कारण
फ्लैगशिप (Flagship ) की रेस में शाओमी (Xiaomi) भी खुलकर सामने आ गया है और एपल (Apple ), वन प्लस (Oneplus ) और सैमसंग (Samsung ) जैसे इलीट फोन को चुनौती देने के लिए उसने अपना MI 10 लांच किया है. सवाल ये है कि भारतीय ग्राहक क्या इसे हाथों हाथ लेंगे ?
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एक ऐसे वक्त में जब कोरोना वायरस लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के चलते पूरी दुनिया के साथ साथ भारत की अर्थव्यवस्था (Economy ) को बुरी तरह चोट पहुंची हो और लोगों के सामने नौकरी और रोटी एक बड़ी चुनौती हो. फ्लैगशिप (Flagship) के नाम पर चीनी मोबाइल फोन कंपनी शाओमी (Xiaomi) ने भारतीयों के साथ जो किया वो विचलित करने वाला है. अन्य मोबाइल निर्माता कंपनियों की देखा देखी शाओमी ने अपना वो फ़ोन बाजार में उतारा है जिसे लेकर बीते कई दिनों से माहौल बना हुआ था और चर्चाओं का बाजार गर्म था. हम बात कर रहे हैं शाओमी के MI 10 की. फ्लैगशिप की जंग में आगे निकलने के लिए लांच हुए इस फ़ोन को शाओमी, एक प्रीमियम फोन बता रहा है. फोन के विषय में कंपनी की तरफ से यही तर्क दिया गया है कि इस प्रीमियम फोन के निर्माण के वक़्त लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. बता दें कि भारतीय बाजार में फोन की कीमत 8 जीबी रैम और 128 जीबी स्टोरेज वाले वैरिएंट के लिए 49,999 रुपए रखी गई है. ध्यान रहे कि अभी तक शाओमी ने अपने को महंगे मोबाइल से दूर रखा था और उसका सारा ध्यान मिडिल क्लास और लोवर मिडिल क्लास के कस्टमर थे मगर अब जबकि ये महंगे या ये कहें कि प्रीमियम फोन के निर्माण के लिए सामने आ गया है एपल वन प्लस, गूगल जैसी कंपनियों के माथे पर चिंता के बल पड़ने लाजमी हैं.
महंगे फोन को चुनौती देने के लिएशाओमी ने अपना MI 10 लांच तो कर दिया मगर शायद ही इसे कोई खरीदे
कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए भी ये ज़रूरी हो जाता है कि सबसे पहले हम उन पहलुओं पर गौर करें जो MI10 को एक महंगा फोन बनाते हैं.फ़ोन का सीधा मुकाबला वन प्लस 8 प्रो और सैमसंग गैलेक्सी S20 से है तो कंपनी के लिए भी ये ज़रूरी हो गया था कि हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर तक इसमें जो कुछ भी हो वो प्रीमियम क्वालिटी का हो.
शाओमी जैसी कंपनी के साथ एक अच्छी बात ये रही है कि पूर्व में जब ये सस्ते फोन लांच कर रहा था तब भी इसने कभी अपने फोन की डिज़ाइन के साथ समझौता नहीं किया और अब जबकि हमारे सामने कंपनी का सबसे प्रीमियम स्मार्टफोन है तो फोन की डिज़ाइन को लेकर किसी तरह के प्रश्न के खड़े होने का सवाल ही नहीं पैदा होता.
कंपनी ने जो स्पेसिफिकेशन दिए हैं उनपर यकीन करें तो इस फोन का साइज 6.67 इंच है और कर्व एज के साथ इसमें 1080P एमोलेड डिस्प्ले का इस्तेमाल किया गया है. फ़ोन का डिस्प्ले तो इसकी जान है ही साथ ही इसका हार्डवेयर भी कमाल का है. फ़ोन में स्नैपड्रैगन 865 चिपसेट लगा है जो कि 5G को सपोर्ट करता है. फोन के कैमरे को इसकी दूसरी सबसे बड़ी खूबी माना जा रहा है. फोन का प्राइमरी लेंस 108 मेगा पिक्सेल है जो उन यूजर्स को बहुत कुछ देता है जिन्हें स्मार्ट फोन फोटोग्राफी का शौक है.
भले ही शाओमी इसे अपने आप मे एक कम्पलीट पैकेज बता रहा हो मगर ऐसे तमाम कारण हैं जिनको देखते हुए इस बात को कहा जा सकता है कि नया फ़ोन लेने निकला ग्राहक लाख उम्दा क्वालिटी होने के बावजूद इतनी आसानी से इस फोन को नहीं खरीदेगा. आइये नजर डालें उन 5 कारणों पर जिनको जानने के बाद पता चल जाएगा कि हमारे द्वारा कही जा रही ये बात कोरी लफ़्फ़ाज़ी नहीं है.
कंपनी का इतिहास और लो बजट फोन
बात सीधी और एकदम साफ है बाजार का सिद्धांत है कि जो दिखता है वही बिकता है. कंपनी का जैसा इतिहास रहा है या ये कहें कि जैसे फोन कंपनी ने अपने शुरुआती दौर में निकाले ये मान लिया गया कि फ़ोन या तो लोवर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास के लिए है.
इसके बाद भी जिन कीमतों पर कंपनी द्वारा फोन बेचा गया उसने उन लोगों का ध्यान आकर्षित किया जिन्हें क्वालिटी तो चाहिए थी मगर जो कीमतों के साथ समझौता करने पर यकीन नहीं रखते थे.
आज जबकि कंपनी नया फोन लाई है और इसने प्रीमियम मार्केट पर कब्जा जमाने की कोशिश की है तो छवि के कारण ग्राहकों का इसपर विश्वास करना मुश्किल है.
बाजार का ब्रांड को 'मिडिल क्लास' का ब्रांड मानना
उपरोक्त कथन में हमने ग्राहकों की बात की थी अब अगर हम शाओमी के इस महंगे फोन को हम बाजार की दृष्टि से देखें तो यहां भी हाल कुछ कुछ मिलता जुलता है. खुद बाजार भी इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा है कि कंपनी ने ये फोन उन लोगों के लिए निकाला है जिन्हें हमेशा से ही कुछ अलग की दरकार होती है. जैसा कंपनी का पूर्व में रवैया रहा है शायद ही ये अपनी टार्गेट ऑडियंस को रिझा पाए.
लोगों का भरोसा नामी गिरामी ब्रांड
चाहे एपल को लेने या फिर वन प्लस और गूगल पिक्सेल को सैमसंग से लेकर हुआवे तक लोगों की पसंद के अपने अपने ब्रांड्स हैं. सीधे शब्दों में कहें तो एक बार किसी अच्छे ब्रांड को यूज करने के बाद अगर ग्राहक अपने को अपग्रेड कर रहा है तो वो उस ब्रांड के करीब जाएगा जो उसके द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे ब्रांड से अच्छा हो.
अब क्योंकि MI 10 के बेसिक वैरिएंट की कीमत 50 हज़ार रुपए है तो अपने को अपग्रेड करता हुआ कस्टमर एपल वन प्लस या पिक्सेल की तरफ ही जाएगा. ध्यान रहे कि मोबाइल की दुनिया में नाम बड़ी चीज है और जैसा नाम एमआई ने कमाया है वो उस वर्ग का ब्रांड है जिसे चीज तो चाहिए मगर पैसे नहीं खर्च करने.
ड्यूरेबिलिटी
इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की खास बात उसकी ड्यूरेबिलिटी है. अब अगर हम इस बात की MI के संदर्भ में देखें तो मिलता है कि जिस तरह के फ़ोन शाओमी ने बनाए हैं वो 6-8 हद से हद 12 महीने तो ठीक चलते हैं फिर उनके पास समस्याओं का अंबार लग जाता है और एक कस्टमर रोज़ एक नई मुसीबत से दो चार होता है.
हम जिस दौर में रह रहे हैं वो सोशल मीडिया का दौर है जहां सूचना बहुत तेजी से फैलती है और ये बात ग्राहक समझ चुका है इसलिए शायद ही वो कभी शाओमी के महंगे फ़ोन की तरफ़ जाने का रुख करे.
कस्टमर सपोर्ट
जब भी एलेक्टोनिक आइटम्स की बात करते हैं तो हमेशा से लोगों ने कस्टलमेर सपोर्ट पर गहरा महत्व दिया है. चाहे सोशल मीडिया हो या फिर हेल्प लाइन नम्बर्स ग्राहक यही चाहता है कि जैसे ही उसे कोई समस्या अपने प्रोडक्ट में आए वो कस्टमर सपोर्ट से बात करे और पलक झपकते ही उसकी समस्या का निवारण हो.
अब अगर इन तमाम बातों को हम शाओमी के संदर्भ में देखें तो मिलता है कि जो कस्टमर वर्तमान में शाओमी का इस्तेमाल कर रहे हैं उनके सामने कस्टमर सपोर्ट का ढीला ढाला रवैया एक बड़ी चुनौती है.
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