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Updated: 20 जनवरी, 2021 12:26 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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2020 बीत चुका है 21 की शुरुआत है. एक से एक फिल्में एक से बढ़कर एक वेब सीरीज रिलीज को तैयार हैं. भले ही कोरोना वायरस ने तमाम सेक्टर्स की ईंट से ईंट बजा दी हो लेकिन जब बात एंटरटेनमेंट सेक्टर की हो तो कोरोना इसका बाल भी बांका नहीं कर पाया. OTT की बदौलत एंटरटेनमेंट दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है. चूंकि कोरोना के इस दौर में दर्शक भी सिनेमाघरों में जाने के बजाए OTT को तरजीह दे रहे हैं तो कंपीटिशन तगड़ा है. इतिहास गवाह है, किसी भी जगह जब कंपीटिशन मजबूत हुआ है या तो विजय होने के लिए खूब मेहनत की जाती है या फिर शार्ट कट का सहारा लिया जाता है. अब बात क्यों कि एंटरटेनमेंट सेक्टर की है और यहां भी सभी को एक दूसरे से आगे निकलना है तो प्रोड्यूसर डायरेक्टर का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो न केवल कंटेंट को हल्के में ले रहा है बल्कि उनका माल बिके इसलिए कॉन्ट्रोवर्सी या ये कहें कि विवादित कंटेंट का सहारा ज्यादा ले रहा है. ऐसा कंटेंट किस हद तक विवादित है Amazon Prime की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज Tandav से बेहतर उदाहरण हालिया दौर में हमें शायद ही मिले. Tandav Controversy में है कारण बनी हैं धार्मिक भावनाएं. सीरीज में न केवल भगवान राम और भगवान शिव को लेकर आपत्तिजनक बातें कही गई हैं बल्कि दलितों की ग़लत छवि को दर्शाया गया है. बात धार्मिक भावनाओं की हुई है तो हमारे लिए निर्देशक प्रकाश झा की वेब सीरीज Aashram का जिक्र करना जरूरी हो जाता है. भले ही Aashram Season 3 Release Date के बारे में कोई पुख्ता जानकारी हाथ नहीं लगी है लेकिन प्रकाश झा और एक्टर बॉबी देओल की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई हैं.

Tandav Web Series, Tandav Controversy, Aashram Controversy Politics, Saif Ali Khanचाहे सैफ अली खान की तांडव हो या फिर प्रकाश झा की आश्रम दोनों ही वेब सीरीज विवादों में हैं

Amazon Prime की Tandav पर बात होगी उससे पहले बता दें कि Aashram इसलिए विवादों में है क्यों कि हिंदूवादी संगठनों का एक वर्ग ऐसा है जिसका मानना है कि इस सीरीज के जरिये हिंदू धर्म और इस धर्म से जुड़े बाबाओं, साधु संतों की गलत छवि दर्शाई गई है. मामला कोर्ट में है और बात बॉबी देओल और प्रकाश झा को गिरफ्तार करने तक आ गयी है.

बात तांडव विवाद की चल रही है. तो 9 एपिसोड्स की इस सीरीज में जो भी हो मगर लोगों को नागवार गुजरा है एक्टर ज़ीशान अय्यूब का वो पोर्शन जिसमें वो एक प्ले कर रहे हैं और वाक़ई जो संवाद बोले गए हैं मालूम देता है कि हमारा सिनेमा दिन ब दिन गर्त के अंधेरों में जा रहा है. जिस तरह इस सीन के जरिये भगवान शिव और भगवान राम का उपहास किया गया है वो न केवल निर्माता और निर्देशक की छोटी मानसिकता दर्शाता है बल्कि ये भी बताता है कि जब कंटेंट कुछ खास न हो तो विवादित का तड़का लगाकर उसे हिट बना दो.

विवादों के इस दौर में चाहे वो प्रकाश झा निर्देशित बॉबी देओल अभिनीत आश्रम के अलग अलग सीजन हों या फिर अमेज़न प्राइम की वेब सीरीज तांडव का पहला ही सीजन जब किसी वाहियात चीज या ये कहें कि विवादित कंटेंट को लेकर हंगामा होगा चाहे वो दर्शकों का गुस्सा हो, शिकायतें हों या फिर उस गुस्से और शिकायतों को लेकर हुई कार्रवाई हो सब कुछ एक जैसा, एक समान होगा.

चाहे वो कहानी, प्लेटफॉर्म और कलाकारों पर एफआईआर हो या फिर दर्शकों की थाली में विवादित कंटेंट परोसने वाले एक्टर्स का पूर्ण बहिष्कार हो, हालिया दिनों में हम ऐसा बहुत कुछ देख चुके हैं जो न केवल हमें ये समझाता है कि अब दर्शक धर्म के साथ मजाक बर्दाश्त न करेंगे तो वहीं इसने निर्माता निर्देशकों को भी बड़ा और कड़ा संदेश दिया है.

जिक्र तांडव और आश्रम से जुड़े विवादों की हुई है तो बता दें कि आश्रम तो पहले ही राजस्थान की अदालत में है. मामले के मद्देनजर किसी दिन भी बड़ा फैसला आ सकता है वहीं बात अगर तांडव की हो तो जो भौंडापन अमेजन प्राइम, सैफ अली खान, जीशान अय्यूब के अलावा कहानी के स्क्रिप्ट राइटर गौरव सोलंकी ने किया है उसपर उत्तर प्रदेश शासन ने सख्त कदम उठाया है और राजधानी लखनऊ में केस दर्ज हुआ है.

ध्यान रहे कि वेब सीरीज तांडव पर मचे बवाल के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टीम मुंबई रवाना हो गई है. यूपी पुलिस के लोग वेब सीरीज के निर्माताओं और कलाकारों से पूछताछ करेंगे. गौरतलब है कि लखनऊ स्थित हजरतगंज कोतवाली में एक पुलिस इंस्पेक्टर की तरफ से अमेजन प्राइम की इंडिया हेड अपर्णा पुरोहित, वेब सीरीज तांडव के डायरेक्टर अली अब्बास जफर, प्रोड्यूसर हिमांशू कृष्ण मेहर और राइटर गौरव सोलंकी के खिलाफ धारा 153A, 295, 505 (1)(b), 505(2), 469, 66, 66f, 67 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई है.

एफआईआर में एक विशेष समुदाय के खिलाफ भावनाएं भड़काने और देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ अशोभनीय चित्रण करने की बात कही गई है. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि इस वेब सीरीज का इंटरनेट पर व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है. जिससे समाज की भावनाएं आहत हो रही हैं, जिस वजह से यह मुकदमा दर्ज किया गया है.

तांडव पर उपजे विवाद पर जैसा रुख जनता का उसका फंडा बहुत क्लियर है. जनता का सीधा कहना है कि अब तक हिंदू धर्म का तिरस्कार बहुत बर्दाश्त कर लिया गया है मगर अब और नहीं. अब जो जैसा करेगा उसे उसकी ही भाषा में जवाब दिया जाएगा. तांडव मामले में दिलचस्प ये भी है कि इसने राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज कर दी है. तांडव को लेकर समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आमने सामने है.

तांडव को लेकर जहां भाजपा हिंदू हितों और अधिकारों की बात कर रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी का कहना है कि तांडव मामले को तूल देकर यूपी सरकार और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ अपनी कमियां छिपा रहे हैं.

बहरहाल आश्रम के बाद तांडव विवाद दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है इसलिए हम भी लेखक रांगेय राघव को कोट कर अपनी बातों को विराम देंगे. शायद इसे पढ़कर उन निर्माता निर्देशकों और एक्टर्स की आंख खुले जिनके लिए सफलता का सीधा मतलब धार्मिक मुद्दे उठाकर बवाल खड़ा करना है. रांगेय राघव ने घरौंदा में लिखा था कि, 'एक पल का उन्माद जीवन की क्षणिक चमक का नहीं, अन्धकार का पोषक है, जिसका कोई आदि नहीं, कोई अन्त नहीं.'

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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