दिलीप कुमार को लेकर फिल्म बनाना फिल्मकारों के लिए चुनौती ही रही...
अभिनय सम्राट दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन से सिनेमा इंडस्ट्री बहुत उदास है. दिलीप कुमार का नाम जुबां पर आते ही एक विलक्षण प्रतिभाशाली मूरत सामने आती है. वो हिंदी सिनेमा के पहले ट्रेजडी किंग और अभिनय सम्राट कहलाये.
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7 जुलाई 2021 आज अभिनय सम्राट दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन से सिनेमा इंडस्ट्री बहुत उदास है. उनके निधन के साथ ही पचास-साठ के सालों की दिलीप कुमार-देवानंद-राजकपूर प्रसिद्ध तिकड़ी का अंतिम स्टार भी अनंत में विलीन हो गया. दिलीप कुमार का नाम जुबां पर आते ही एक विलक्ष्ण प्रतिभाशाली मूरत सामने आती है. वो हिंदी सिनेमा के पहले ट्रेजडी किंग और अभिनय सम्राट कहलाये. तमाम प्रोड्यूसर मुंहमांगी रक़म पर उनको साईन करने के लिये आगे-पीछे घूमते थे. मगर दिलीप उसी को हां बोलते जिनका जिगर बड़ा हो और साथ ही ज्ञानी-ध्यानी हो. दिलीप परफेक्शन में यकीन करते थे. कई बार रीटेक पर रीटेक देते रहे. मगर नतीजा, बेशकीमती रा-स्टाक की बरबादी. इसलिए उनके साथ फ़िल्म बहुत महंगी बैठती थी. एक बार उन्होंने छत्तीस रीटेक दिए. लेकिन रीव्यू किया गया तो बोले - मियां, पहले वाला शाट ही बेहतर था. बड़े दिल-गुर्दे वाले प्रोडयूसर के लिए भी दिलीप को रिपीट करना मुश्किल होता था. लेकिन बीआर चोपड़ा बड़े दिल के थे. उन्होंने ‘नया दौर’ के बाद ‘दास्तान’ और फिर ‘मजदूर’में उन्हें कास्ट किया. यद्यपि बीच में अंतराल लंबा रहा.
बेजोड़ प्रतिभा के धनी तो थे ही साथ ही असल मायनों में परफेक्शनिस्ट थे दिलीप कुमार
रमेश सिप्पी और सुभाष घई उनकी फ़िल्में देख-देख जवान हुए. रमेश ने अपनी ख्वाईश ‘शक्ति’ में पूरी की. इसमें अमिताभ बच्चन भी थे. दो बडे़ आर्टिस्टों की आमने-सामने की परफारमेंस क्या मायने रखती है, 'शक्ति' आज भी इसकी एक मिसाल है. शानदार दिल वाले सुभाष घई तो दिलीप के इतने बड़े मुरीद थे कि उन्होंने उनके साथ विधाता, कर्मा और सौदागर तीन फिल्में बनायीं. 'विधाता' में संजीव कुमार को दिलीप के सामने खड़ा किया तो 'कर्मा' में अनिल कपूर और जैकी श्राफ़ थे.
नसीरूद्दीन शाह को दिलीप के कहने पर लाया गया. दरअसल कुछ दिन पहले नसीर ने इंटरव्यू दिया था कि वो दिलीप को बड़ा आर्टिस्ट नहीं मानते. मगर इस फिल्म के बाद उन्होंने बयान बदल दिया. इसी में दारासिंह की भी उनके संग काम करने की चाहत पूरी हुई. 'सौदागर' में दिलीप का सामना उन्होंने फुटबाल साईज़ ईगो जानी राजकुमार से कराया. राजकुमार ने शुरूआती दौर में उनके संग 'पैगाम' की थी. राजकुमार ने अपने से बड़ा आर्टिस्ट सिर्फ दिलीप को ही माना.
दिलीप कुमार के झोले में हिट फ़िल्में कम हैं. लेकिन इस आधार पर उन्हें ख़ारिज नहीं किया गया. हर एक्टर के लिए उन्हें परफार्म करते हुए देखना और उनके साथ काम करना एक सुखद और लाईफ़टाईम उपलब्धि रही. ज्यादातर क्रिटिक भी इस मत के हैं कि उनसे बड़ा कोई एक्टर भारतीय स्क्रीन पर नहीं आया. बावजूद इसके कि वो किसी स्कूल में एक्टिंग नहीं सीखे-पढ़े, लेकिन खुद में एक्टिंग की यूनिवर्सटी हैं. अमिताभ बच्चन उन्हें सर्वश्रेष्ठ एक्टर बताते हैं.
सत्यजीत रे ने कहा था - दिलीप कुमार बेमिसाल सलीकेदार एक्टर हैं. प्रसिद्ध फिल्म क्रिटिक और लेखक अली पीटर जॉन ने एक बार कहा था, मैं अनेक एक्टरों से मिला हूं . किसी का प्रभाव दिन भर रहा और कोई महीने पर दिमाग को डेंट करता रहा. मगर दिलीप कुमार से मिला तो उनका प्रभाव बरसों तक दिमाग में घुसा रहा. वो आसानी से भुलाये जाने वाले एक्टर नहीं हैं. विधाता के रिव्यु में कई गॉसिप टाइप समीक्षकों ने लिखा कि संजीव कुमार ने दिलीप कुमार को धो दिया.
अली पीटर जॉन ने इस पर किस्सा बताया. एक चमचा टाइप समीक्षक ने जब संजीव कुमार के सामने दिलीप कुमार से तुलना करते हुए उनकी तारीफ़ की तो संजीव आपा खो बैठे और उस समीक्षक को जोरदार थप्पड़ मार दिया - संजीव कुमार आते जाते रहेंगे, लेकिन दिलीप कुमार जिस टॉप पोजीशन पर हैं, वहां से उन्हें कोई नहीं हटा सकता. उन्हें रेकार्ड आठ बार बेहतरीन एक्टर का फिल्मफेयर एवार्ड मिला. वो बेस्ट एक्टर के लिये 19 बार नामांकित हुए.
उन्हें 1993 में लाईफटाईम एचीवमेंट एवार्ड देकर फ़िल्मफ़ेयर ने खुद को सम्मानित किया. भारत सरकार ने 1991 में पद्म भूषण दिया. राज्यसभा के लिए भी नामांकित हुए. फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा अवार्ड 1994 में दादासाहेब फाल्के दिया गया. 1980 में बंबई के शैरीफ़ हुए. ये पद मेयर के समकक्ष होता है. गिनीज़ बुक आफ रेकार्ड्स में बताया गया है कि वो एकमात्र भारतीय एक्टर हैं जिन्हें सबसे ज्यादा अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है.
1997 में पाकिस्तान सरकार ने उनके भारत-पाकिस्तान के एवाम को करीब लाने और अमन की पहल करने के लिए निशान-ए-इम्तियाज़ एवार्ड दिया. इस पर शिवसेना और उसकी सोच की समकक्ष पार्टियों ने बड़ा हो-हल्ला मचाया था कि कारगिल युद्ध के मद्देनज़र दिलीप कुमार को यह एवार्ड लौटा देना चाहिए. इस पर दिलीप कुमार ने कहा कि ये एवार्ड उन्हें अमन की सेवा के लिये मिला है, युद्ध से इसका कोई ताल्लुक नहीं है. उन दिनों केंद्र में बीजेपी की सरकार थी. कई मंत्री खुश नहीं थे. मगर तत्कालीन प्रधानमंत्री जनाब अटल बिहारी बाजपेयी ने दिलीप कुमार का समर्थन किया - ये अवार्ड उनके अचीवमेंट के लिए है.
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