Gulabo Sitabo को मिले 6 फिल्मफेयर अवार्ड्स पर गंभीर विमर्श लाजमी है!
अभी बीते दिनों ही जूही चतुर्वेदी की फिल्म गुलाबो सिताबो को 6 फिल्मफेयर अवार्ड्स मिले हैं. फिल्मफेयर अवॉर्ड देखने के बाद सन 70 में आई दिलीप कुमार की फिल्म का ये गाना, जिसे राजेन्द्र कृष्ण ने लिखा था; सबसे पहले याद आया. फिल्मफेयर अवॉर्डस् पर यूं तो एक अरसे से पर्शिएलिटी का इल्ज़ाम लगता आया है.
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हे जी रे... रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना तुन का, कौआ मोती खाएगा.
हाल ही में फिल्मफेयर अवॉर्ड देखने के बाद सन 70 में आई दिलीप कुमार की फिल्म का ये गाना, जिसे राजेन्द्र कृष्ण ने लिखा था; सबसे पहले याद आया. फिल्मफेयर अवॉर्डस् पर यूं तो एक अरसे से पर्शिएलिटी का इल्ज़ाम लगता आया है. वहीं बहुत से बड़े कलाकार फिल्मफेयर में जाने का नाम ही नहीं लेते, अजय देवगन, आमिर खान सरीखे ए रेटेड कलाकारों को देश के सबसे पुराने सिनेमा अवॉर्ड फिल्मफेयर की सत्यता पर शायद यकीन नहीं होता.
पिछले साल यानी 2020 के फिल्मफेयर अवॉर्ड में गली बॉय को एक तरफा अवॉर्डस् बांटकर फिल्मफेयर ने अपनी सत्यता पर उठते सवाल और बड़े कर ही लिए थे वहीं इस साल 2021 के अवॉर्ड समारोह में गुलाबो-सिताबो को 6-6 अवॉर्ड देकर लोगों का अवॉर्ड शो से पूरी तरह विश्वास उठाने में हेल्प की है.
बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर क्या सोचकर गुलाबो सीताबो को 6 फिल्मफेयर अवार्ड्स दिए गए
देखिए न, जिस फिल्म को देखकर लोगों के मुंह से ये ‘वाह’ तक नहीं निकली, उस फिल्म को एक से बढ़कर एक अवॉर्ड मिले हैं. इसी फिल्मफेयर में थप्पड़ को भी 7 अवॉर्डस् मिले हैं, वो क्योंकि फिर भी देखने लायक फिल्म है इसलिए हम उसपर बाद में आयेंगे, पहले ज़रा गुलाबो-सिताबो के अवॉर्डस् की समीक्षा करते हैं.
सबसे पहले सबसे बड़े अवॉर्ड से शुरु करते हैं, बेस्ट एक्टर इन लीड रोल मिला है अमिताभ बच्चन को। इसमें कोई शक नहीं कि वो इस सदी के सबसे बढ़िया एक्टर हैं. कुछ मामलों में वो दिलीप साहब से भी एक बिलांग ऊपर लगते हैं. लेकिन, खास इसी फिल्म में अमिताभ पहले सीन के बाद एक ही एक्टिंग, एक ही बातें दोहराते नज़र आए थे, फिर भी कोई बात नहीं, लेकिन जिस साल मनोज बाजपायी ने भोसले जैसी फिल्म में झंडे गाड़ने लायक एक्टिंग की हो, लूडो में पंकज त्रिपाठी ने महफ़िल लूट ली हो, कामयाब जैसी फिल्म में संजय मिश्रा ने बाकमाल अभिनय किया हो वहां से अवॉर्ड ज़रा बेतुका लगता है.
दूसरा अवॉर्ड बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर फीमेल कैटेगरी में फ़ारुख ज़फ़र को मिला है और शायद ही इनसे बढ़िया किसी और को सपोर्टिंग अवॉर्ड मिल सकता था. इस तरह की एक्टिंग बहुत समय बाद देखने को मिली थी. ठीक.
लेकिन, बेस्ट डायलॉग का अवॉर्ड भी गुलाबो-सिताबो के सदके जूही चतुर्वेदी को मिला है. विकी डोनर हो या पीकू, मुझे जूही चतुर्वेदी के टैलेंट पर रत्ती भर भी शक नहीं है लेकिन गुलाबो-सिताबो में ऐसा कौन सा लाख रुपए का डायलॉग था जो इसे अवॉर्ड मिल गया ये मुझे बिल्कुल समझ नहीं आया. तानाजी हो या शकुंतला देवी या अंग्रेज़ी मीडियम ही, इनमें एक से बढ़कर एक डायलॉग थे पर.. क्या कह सकते हैं.
अगले तीन टेकनिकल अवॉर्ड हैं, बेस्ट प्रोडक्शन डिजाइन, बेस्ट कॉस्टयूम और बेस्ट सिनिमटाग्रफी. अब कोई मुझे बताए कि किसी पीरीआडिक ड्रामा से बढ़िया कॉस्टयूम भला कहां देखने को मिलता है, फिर भी तानाजी को इस अवॉर्ड से वंचित रखा गया, प्रोडक्शन डिजाइन के लिए एक बारगी ये अवॉर्ड फिर भी जस्टीफाइड है क्योंकि वो पुरानी हवेली, कच्ची दीवारें, सीलन वाली छत और टिमटिमाते लट्टू से बल्ब इस फिल्म गुलाबो-सिताबो में वाकई बहुत आकर्षक लगे थे.
पर सवाल ये उठता है कि कितनी ही डिज़र्विंग फिल्म्स, एक्टर्स को किनारे करके फिल्मफेयर अवॉर्डस् सिर्फ और सिर्फ चुनिंदा लोगों में, चुनिंदा लोगों की ही फिल्मों को बांट दिए जाते हैं.
अब एक उदाहरण देखिए, पिछले साल का फिल्मफेयर सिर्फ और सिर्फ ज़ोया अख्तर की गली बॉय से भरा हुआ था वहीं इस साल 2020 और 2019 की फिल्मों के नामनैशन में से छिछोरे को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला है. सोचिए, जिस फिल्म को नेशनल अवॉर्डस् में बेस्ट चुना गया है उसे फिल्मफेयर में कहीं जगह नहीं मिली. कंगना को नैशनल अवॉर्ड मिला है फिल्मफेयर में कहीं कोई नाम नहीं है. फिर आप ही बताइए कैसे राजेन्द्र कृष्ण की बात को झूठा कहें जो कहते थे कि
सुनो सिया कलयुग में
काला धन और काले मन होंगे
चोर उच्चक्के नगर सेठ
और प्रभु भक्त निर्धन होंगे..
जो भी होगा लोभी भोगी
वो जोगी कहलाएगा..
हंस चुगेगा दाना तुन का
कौआ मोती खाएगा.. हे जी रे...
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