Looop Lapeta Review: तापसी-ताहिर, डायरेक्टर-राइटर फिल्म बर्बाद हुई, जिम्मेदार सब हैं!
Looop Lapeta Review: जैसे हर पीली वस्तु सोना नहीं होती वैसे ही हर हॉलीवुड फिल्म का हिंदी रीमेक बेहतरीन, बहुत खूब, लल्लनटॉप हो जाए बिल्कुल भी जरूरी नहीं. फिल्म में चाहे वो तापसी और ताहिर हों. या फिल्म के निर्देशक और लेखक अगर फिल्म बर्बाद हुई और दर्शकों का समय बर्बाद हुआ तो इसका जिम्मेदार कोई एक नहीं, बल्कि सब हैं.
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दौर OTT का है इसलिए एंटरटेनमेंट ने अपने डाइमेंशन बदल दिए हैं. सिनेमा में भी बड़े फेरबदल हुए हैं और अब वो पहले जैसा नहीं है. आज सिनेमा अतरंगा है और फिल्में भी प्रायः ऐसी ही बन रही हैं. ऐसी ही एक अतरंगी फ़िल्म बीते शुक्रवार नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. नाम है लूप लपेटा. सोनी पिक्चर्स इंडिया और एलिप्सिस एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी इस फ़िल्म में तापसी पन्नू, ताहिर भसीन, दिव्येन्दु भट्टाचार्य, श्रेया धन्वंतरि और राजेंद्र चावला लीड रोल में हैं. अभी बीते दिनों जब ट्रेलर आया था तो इसके बारे में पता करने का सोचा. जो जानकारी गूगल बाबा ने दी उसके अनुसार 'लूप लपेटा' एक जर्मन क्लासिक कल्ट फ़िल्म लोला रेन्नट का हिंदी रीमेक है. बाद में साल 1998 में टॉम टायक्वेर ने इसी इंग्लिश में बनाया और नाम दिया 'रन लोला रन' बताने वाले बताते हैं कि फ़िल्म ने हॉलीवुड में छप्पर फाड़ बिजनेस किया और साथ साथ ही फ़िल्म क्रिटिक्स को भी खूब पसंद आई और उन्होंने इसे हाथों हाथ लिया.
लूप लपेटा सिर्फ तापसी की फिल्म कहना कहीं गलत नहीं है
तो भइया! साहेबान-कद्रदान और मेहरबान जैसे हर पीली वस्तु सोना नहीं होती वैसे ही हर हॉलीवुड फिल्म का हिंदी रीमेक बेहतरीन, बहुत खूब, लल्लनटॉप हो जाए बिल्कुल भी जरूरी नहीं. फ़िल्म बॉलीवुड में बनी थी और सन 2022 में आई तो जिस तरह इसे बॉलीवुडियाया गया अब क्या ही कहा जाए. फ़िल्म देखी. देर रात जागकर देखी और जब खत्म हुई तो मन यही हुआ कि इससे अच्छा तो इंस्टाग्राम पर रील्स देख ली जातीं कम से कम वहां वैराइटी तो मिलती.
#LooopLapeta :Netflix and Tapsee Pannu deliver another Crap after #HaseenDillruba A Terrible Spicy and Comic remake of Experimental German thriller. If Netflix was to be judged by Box Office rush, believe me they would have hit Century of Flops ? Full Review SoonRATING - 4/10*
— $@M (@SAMTHEBESTEST_) February 4, 2022
नहीं मतलब सच में! मुझे शिकायत न तो फ़िल्म के डायरेक्टर आकाश भाटिया से है न ही मैं इस बात को लेकर आहत हूं ही इस फ़िल्म की कहानी एक दो नहीं बल्कि 4 लेखकों विनय छावल, अरनव नंदूरी, केतन पेडगांवकर और पुनीत चड्ढा ने लिखी. बात कुछ यूं है कि एक घटिया और कन्फ्यूजिंग स्क्रिप्ट को जब आप सिर्फ एक्टर्स के भरोसे छोड़ देते हैं तो जो ब्लंडर होता है वो इतिहास में 'लूप लपेटा' के नाम से दर्ज होता है.
आगे बढ़ने से पहले एक बात बहुत सीधे और सधे हुए शब्दों में समझ लीजिए हम यहां फ़िल्म का रिव्यू नहीं कर रहे न ही हम फ़िल्म मल किसी तरह की कोई रेटिंग दे रहे. फ़िल्म देखी थी और देखने के बाद जो दर्द हुआ उसे शब्द देने थे सो इसलिए इस फ़िल्म के बारे में लिखा जा रहा है.
कहने को तो मैं ये भी कह सकता हूं कि ये लेख उस फ्रस्ट्रेशन की बानगी है जो मोबाइल स्क्रीन पर तापसी और ताहिर को बेवजह कूदते फांदते देखकर मिला. सोने पर सुहागा बेवजह के सेक्स सीन, कंडोम का डिब्बा और वन प्लस फोन का प्रमोशन है. डायरेक्टर साहब फ़िल्म में यदि इनका इस्तेमाल न भी करते तो भी फ़िल्म वैसी ही होती जैसी अभी है.
Taapsee Pannu की @NetflixIndia पर #LooopLapeta एक भटकी हुई कहानी है। अपना समय बर्बाद मत कीजिएगा। शुभ रात्रि
— Aadesh Rawal (@AadeshRawal) February 4, 2022
फ़िल्म के केंद्र में सवी (तापसी पन्नू) और (ताहिर भसीन) हैं. सवी एक एथलीट है. नहीं वो अपनी मर्जी से एथलीट नहीं है उसके साथ भी वही आपका हमारा सीन है. 'पेरेंटल प्रेशर' वाला. सवी को पापा के लिए 'गोल्ड मेडल' जीतना था लेकिन हाय रे फूटी किस्मत. रेस में भागते वक़्त जूते का फीता खुला सवी गिरी और गिरकर अपनी टांग तुड़वा ली. नाकाम सवी आत्महत्या करके अपने जीवन की पिक्चर का द एन्ड करना चाहती है और इसके लिए उस अस्पताल की छत पर जाती है जहां वो भर्ती है.
अभी सवी आत्महत्या करने का गुणा गणित लगा ही रही होती है कि उसी जगह सत्या की एंट्री होती है (बॉलीवुड है ब्रो) गांजे का कश लेने सत्या जोकि एक जुआरी है अस्पताल की छत पर आया होता है मरने जा रही सवी को बचा लेता है (इस सीन और इस सीन के बाद अगले आधे घंटे तक तमाम विरोधाभास हैं जो फ़िल्म में दिखेंगे) दोनों को प्यार होता है. दोनों लिव इन करते हैं. दोनों के बीच खूब सारा नशा और सेक्स होता है.
Movie Review - #LooopLapeta Movie Rating - 1.5*/5 ⭐️ ½#LooopLapetaOnNetflix is UNBEARABLE….. Only good thing about the film is CAMERA WORKPredictable story, terrible execution, and most important extremely boring, takes too much time to start… AVOID! #LooopLapetaReview pic.twitter.com/mFlMg3o7Ru
— Rohit Jaiswal (@rohitjswl01) February 5, 2022
सवी और सत्या दोनों एक दूसरे से अलग हैं. फ़िल्म में सवी को जहां एथलीट होने के नाते फोकस दिखाया गया है तो वहीं सत्या बिल्कुल 'यो-यो टाइप लड़कों' की तरह है जिसे शॉर्ट कट के जरिए ढेर सारा पैसा कमाकर बड़ा आदमी बनाना है.
फ़िल्म में ढेर बकवास है लेकिन इतना समझ लीजिए कि सत्या को 50 मिनट में 50 लाख रुपये जुटाने हैं जो उसने अपनी बेवकूफी से गंवा दिए हैं. सत्या के इस चैलेंज में उसकी मदद सवी करती है और यही है 'लूप लपेटा' बाकी अगर इतनी बातों के बावजूद आप बोर नहीं हुए हैं और पूरा मामला जानना चाहते हैं तो आपको दिल थामकर फ़िल्म देखनी होगी (विश्वास करिए ऐसा करके आप खुद को ही नुकसान पहुंचाएंगे)
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं फ़िल्म बॉलीवुड फिल्म तो है लेकिन आम बॉलीवुड फिल्म नहीं है. याद रहे भले ही एंटरटेनमेंट या सिनेमा के आयाम बदलें हों लेकिन एक दर्शक के रूप में हम आज भी पहले जैसे हैं इसलिए 'लूप लपेटा' ऐसी फ़िल्म है जिसे शायद ही कोई वन गो में समझ पाए.यूं तो फ़िल्म बकवास है. लेकिन अगर इस फ़िल्म में अगर कुछ पॉजिटिव खोजना हो तो शायद वो तापसी ही होंगी.
The biggest drawback of #LooopLapeta is its run time.. While original film run lola run runtime was around 1 hr 10 mins which helped it to provide gravity & pace to the screenplay where as Loop Lapeta has a double durtion of 2 hrs 11 mins which made the film extremely boring.
— Sumit Kadel (@SumitkadeI) February 4, 2022
फ़िल्म में जैसी प्रेजेंस तापसी की है हमें ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि इंडस्ट्री में शायद ही कोई और हो जो इस ऑफ बीट रोल को कर पाए. वहीं बात ताहिर भसीन की हो तो जैसा कि ट्रेलर देखकर क्लियर हो गया था ताहिर फिल्म में बस एक एलिमेंट हैं और ये बात उन्होंने अपनी ओवर एक्टिंग से साबित कर दी.
फिल्म में विलेन दिव्येन्दु भट्टाचार्य हैं. दिव्येंदु एक मंझे हुए कलाकार हैं और फिल्म में जिस चीज के लिए निर्देशक ने उन्हें रखा था वो काम उन्होंने बखूबी अंजाम दिया. फिल्म देखकर जो एक चीज महसूस हुई वो ये कि अगर निर्देशक और राइटर का संगम समय रहते हो गया होता तो बतौर दर्शक हमारे जीवन के करीब दो घंटे हरगिज न बर्बाद होते.
देखिये साहब! भले ही सिनेमा ने अपना स्वरुप बदल दिया हो. लेकिन एक दर्शक के रूप में हमें अपने को बदलने में अभी ठीक ठाक वक़्त लगेगा. लूप लपेटा जैसी फिल्म पर अगर मेहनत हुई होती और ये कोई दो तीन साल बाद बनती तो चल जाती. लेकिन जैसा सिनेमा अभी तक हम लोगों ने देखा है, उस लिहाज से ऐसी फिल्मों के लिए अभी तैयार हम हुए नहीं हैं.
फिल्म में तमाम कमियां हैं और वो क्या हैं उसके लिए थोड़ी हिम्मत करके फिल्म देख डालिये यूं भी फेसबुक पर अलग अलग फ़ूड ब्लॉगर के फ़ूड व्लॉग और बिग बॉस जैसी चीज तो यूं भी हम लोग देख ही रहे हैं. बतौर दर्शक जब हमने उन चीजों को पचा लिया है तो ये तो फिर भी तापसी की फिल्म है. यूथ को, उनकी जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गयी फिल्म है.
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