मंटोइयत के शब्द भले अश्लील लगें लेकिन संदेश बेहद शालीन है
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म मंटो का नया गाना मंटोइयत रिलीज हो चुका है. इस गाने में समाज में बोल्ड कहा जाने वाला लगभग हर शब्द इस्तेमाल हो गया है, फिर भी ये 18 साल से ऊपर की उम्र वालों का गाना है ये कहना गलत है.
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मंटो के बारे में क्या जानते हैं आप? जिन लोगों की भी साहित्य में रुचि होगी उन्होंने मंटो का नाम जरूर सुना होगा. यहां मैं फिल्म की बात नहीं कर रही. यहां तो बात हो रही है सदत हसन मंटो की जो आज़ाद भारत से भी पहले अपनी सोच के मामले में आज़ाद थे. उर्दु भाषा में लिखने वाले मंटो ने कहानियां, उपन्यास, लेख, निबंध सब कुछ लिखा और उन्हें 1947 के पहले तीन बार और बाद में (आज़ाद पाकिस्तान) में तीन बार उनके खिलाफ अश्लीलता फैलाने का मुकदमा चला.
ये वही मंटो है जिसके ऊपर नवाजुद्दीन सिद्दीकी की नई फिल्म 'मंटो' आ रही है. मंटो नाम ही अपने आप एक बोल्ड साहित्य को दर्शाता है. कम से कम समाज के रूप में ये बोल्ड होता है. अब जैसी फिल्म होगी वैसा ही गाना होगा और मंटो फिल्म का एक गाना हाल ही में लॉन्च हुआ है. ये एक रैप सॉन्ग है. अब अगर आप सोच रहे हैं कि मंटो फिल्म संजीदा है और सामाजिक पहलू पर गौर करती है तो उसमें रैप सॉन्ग का क्या काम तो मैं आपको बता दूं कि ये रैप भी मंटो की कहानियों की ही तरह बोल्ड समाज पर लिखा गया है. या यूं कह लीजिए कि समाज के उस पहलू पर जिसे आम जिंदगी में तो बहुत सहजता से स्वीकारा जाता है, लेकिन अगर उसपर फिल्म या गाना बन जाए तो उसे बोल्ड कहा जाता है.
मंटो फिल्म में नवाजुद्दीन ने सदत हसन मंटो के किरदार को सजीव कर दिया है
मंटो का ये गाना गाया 'डीजे वाले बाबू' रैपर रफ्तार ने. इस गाने में वो सब कुछ है जिसे आम तौर पर सामाजिक नहीं समझा जाता है. इस गाने का नाम भी मंटोइयत (Mantoiya) रखा गया है. रफ्तार के इस गाने में सेक्स का जिक्र भी है और गालियां भी. फिर भी ये समाज के लिए बुराई पैदा करने वाला नहीं बल्कि समाज की बुराई बताने वाला गाना है.
इस गाने को सुनकर शायद पहली बार में लगे कि क्या वाहियाद गाना है, लेकिन अगर दोबारा सुना जाए तो समझ आएगा कि ये तो असल में समाज की उन दकियानूसी बुराइयों को बता रहा है जो असल में भारत के कोने-कोने में फैली हुई हैं. जब से ये गाना रिलीज हुआ है, लगातार ट्विटर पर इसके बारे में कोई न कोई ट्वीट आ रही है.
Take a bow @raftaarmusic ???????? you really exposed society through this song. Brilliant one #Mantoiyat pic.twitter.com/NhFVF27gKy
— Pankaj Jaiswal (@iampj007) September 13, 2018
एक बात तो माननी पड़ेगी कि मंटोइयत गाने के लिरिक्स सुनकर ऐसा लगता है कि रफ्तार ने समाज के मुंह पर एक तमाचा जड़ दिया है.
@raftaarmusic A lot of mouths has been shut! He is the man who got balls to deliver a track like this irrespective of his position in the industry.This how Bollywood should treat hip-hop in their movies#GreatSong #Mantoiyat
— Kanish Sharma(KJi) (@TheKJimusic) September 13, 2018
जरा खुद सोचिए कि FUCK आज की दुनिया के लिए आम शब्द है और चूतिया गाली है. ये तो समाज की हिपोक्रेसी ही दिखाएगा. रैपर रफ्तार के इस गाने में काफी बोल्ड शब्दों का चुनाव किया गया है. ऐसे शब्द जो आम समाज में सभ्यता का चोला ओढ़े लोगों के लिए असभ्य हैं. ऐसे शब्द जो कथित तौर पर सामाजिक लोग नहीं बोलते हैं, लेकिन अगर देखा जाए तो इन शब्दों का प्रयोग सभ्य समाज के बीच ही होता है. गाने की एक लाइन है, 'सेक्स विशोध है तो इतनी क्यों आबादी है.', और दूसरी ही लाइन में रफ्तार ने कहा कि 'लड़कियां पटा कर उनको बंदी बोलते हैं और जो राज़ी न हो उनको रंडी बोलते हैं.'
ये शब्द सुनने में बड़े अजीब लग रहे हैं, लेकिन शायद लोग ये भूल रहे हैं कि ये शब्द अब स्कूल और कॉलेज के बच्चों के बीच लोकप्रिय हो गए हैं. आए दिन नई वेबसीरीज ऐसे शब्दों और भाषा का प्रयोग कर रही है जो यकीनन सिर्फ 18+ उम्र वाले नहीं देख रहे. सेक्रेड गेम्स, टीफीएफ की बैचलर्स जैसी सीरीज में समाज के हिसाब से तो अश्लीलता परोसी जा रही है, लेकिन फिर भी ये इतनी लोकप्रिय क्यों हैं? इस सवाल का जवाब अपने आप मिल जाएगा अगर दिमाग को थोड़ा सा खोलकर सोचेंगे तो. सड़क पर गाड़ी चलाते हुए मां-बहन की गाली देना ठीक और टीवी-वीडियो में ये सुनकर नाक भौं सिकोड़ना और उसे बोल्डनेस कहना गलत, ये तो भारतीय समाज का पाखंड ही है.
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