Radhe Film Review: ईद मुबारक, बट नो मुबारक!
Radhe movie review: आखिकार ईद से पहले सलमान खान की मोस्ट अवेटेड फिल्म राधे रिलीज हो ही गई. जैसी ख़राब फिल्म डायरेक्टर प्रभदेवा ने बनाई है कह सकते हैं कि वो राउडी राठौड़ वाले ऑरा से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं. बाकी दिशा पटानी से लेकर सलमान तक फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके लिए इसे देखा जाए.
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अगर आप सोच रहें हैं कि भाईजान सलमान खान की फ़िल्म राधे देख कर अपनी ईद को मुबारक बनाएंगे, तो आई एम सॉरी ऐसा कुछ नहीं होने वाला बॉस. हां, अगर भाई जान के एकदम डाई-हार्ड फ़ैन हैं और आपको उनकी मूर्खता पूर्ण हरकतों से भरी इस फ़िल्म को डिफ़ेंड करना है तब तो अल्लाह ही मालिक है. ख़ैर, मैं पहले ही बता देती हूं कि मैंने ये पूरी फ़िल्म नहीं देखी है और न देख पाउंगी, क्योंकि मेरे अंदर हिम्मत नहीं है बेवक़ूफ़ी से भरे एक्शन झेलने की. क्लीशे से भरे डायलॉग सुनने की.
उफ़्फ़, ख़ुदा ख़ैर करे क्या फ़िल्म बनाई गयी है. मुझे लगता है कि इस फ़िल्म के डायरेक्टर प्रभुदेवा अब भी राउडी राठौर वाले ज़ोन से बाहर नहीं निकल पाए हैं. वही झेल एक्शन बिलकुल जैकी दादा के बेटे की फ़िल्मों वाला. मतलब कि हेलीकॉप्टर हवा में गोल-गोल नाचने के बाद ज़मीन पर लोट-लोट कर शत्रुओं का संहार करेगा. आह! आंखों में अब भी दर्द और चुभन सी लग रही है उसे देखने के बाद, बाक़ी आप खुद देख कर आंखों को कष्ट दें. ठीक न.
कितना अच्छा होता कि सलमान की फिल्म राधे में कोई भी चीज देखने लायक होती
अब आते हैं भाई जान पर. भाई जान यानी सलमान ख़ान प्रिय हैं, काहे से कि बिगबॉस वो होस्ट करते हैं. अब वो हमको हीरो कम और हमारे घर के होस्ट ज़्यादा नज़र आने लगे हैं. ख़ैर, तो घर की मुर्गी दाल के बराबर न लगे इसलिए मैंने सोचा कि भाई जान को सिर्फ़ सलमान खान द सुपर स्टार समझ कर ये फ़िल्म देख लूंगी लेकिन सॉरी ये हो न सका. वो मुझे राधे में दबंग के चुलबुल पांडे ही दिखे.
वही जींस, वही कैजूअल शर्ट, घिसी-पीटी स्टाइल बेटी की उम्र की हीरोईन दिशा पटनी के साथ दुनिया का सबसे चीजी डायलॉग बोलते हुए कि, 'तुम्हारा नाम दिया किसने रखा? अगर मेरी कोई बहन होगी तो उसका नाम नादिया रखूंगा.'
अब खुद ही अंदाज़ा लगाइए इस डायलॉग से बाक़ी की फ़िल्म में घुसाए बकवास डायलॉग का. ये दिया और ना-दिया कितना डबल मीनिंग साउंड करता है. कम से कम सलमान खान से तो इस बुढ़ापे में एक्सपेक्टेड नहीं था. ऊपर से मुझे ये बात इतनी चुभती है कि बॉलीवुड में जैसे ही कोई एक्ट्रेस ब्याह कर लेती है वो आउट हो जाती है. बाद में उसको ढंग के रोल तक नहीं मिलते. और ये सिर्फ़ शादी की बात नहीं है आप बताइए कि कितनी 40-50 की अभिनेत्रियों को मेन-स्ट्रीम फ़िल्मों में लीड रोल करते देखा है?
लेकिन सलमान से ले कर शाहरुख़ तक अपनी बेटी की उम्र की लड़कियों के साथ बूढ़े घुटनों के साथ कुलांचे मारते नज़र आ ही जातें हैं और फ़िल्म राधे में भी यही चीज़ मुझे सब से ज़्यादा परेशान कर रही है. सलमान खान को तो चाहे जैसी बकवास फ़िल्म करनी है करें, जितना साउथ को कॉपी करके ऐक्शन करना है करें लेकिन पुत्री समान बच्चियों के साथ रोमांस न करें ख़ुदा के वास्ते.
कहीं न कहीं उनका ये करना उनके अंध-भक्तों को संदेश देता है कि रियल लाइफ़ में भी वो अपनी उम्र से आधी उम्र की लड़कियों के साथ निकाह पढ़ सकते हैं या ब्याह कर सकते हैं. ब्याह इसलिए लिखना पड़ रहा है कि निकाह लिखने से कुछ लोग नाराज़ हो जाएंगे. ख़ैर, वैसे काफ़ी बार ख़ैर का भी इस्तेमाल कर चुकी हूं इस आधी देखी फ़िल्म राधे के रिव्यू में क्योंकि सिर्फ़ अफ़सोस ज़ाहिर करने के अलावा मुझे कुछ भी इस फ़िल्म को देख कर कुछ भी हासिल न हुआ.
राधे बिलकुल भी ईद की बिरयानी नहीं है बल्कि सलमान खान की सभी पुरानी फ़िल्मों की बिना नमक वाली खिचड़ी भर है. तौबा-तौबा स्वाद ख़राब हो गया इस ईद पर भाईजान की इस ईदी को ले कर. वैसे हर्ट न होईए इसे पढ़ कर. आप पूरा देखिए. ख़ुश होईए और अपनी ईद को मुबारक कीजिए. मुझे बस दुआओं में याद रखिएगा.
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