Suchitra Sen: आइये, याद करें हिंदी सिनेमा की पहली पारो को
बांग्ला और हिन्दी फिल्मों की महान व्यक्तित्व सुचित्रा सेन को गुजरे हुऐ बरसों हो गए हैं. क्या बात थी उनमें जो वो भूले नहीं भूलती. अभिनेत्री की बरसी पर उनको सादर स्मरण.
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कलकत्ता के एक अस्पताल में सुचित्रा सेन की तबीयत बिगड़ने के संकेत उस रात से ही मिलने लगे थे. डीएनए के ट्वीट ने अस्पताल से शीघ्र ही उनके स्वस्थ वापस आने की बात कहकर एक उम्मीद बाकी रखी थी. लेकिन दीवानों की यह खुशी पल भर में काफूर होने को थी. ऑल इंडिया रेडियो का ट्वीट खबर लेकर आया कि सुचित्रा सेन अब भी खतरे से बाहर नहीं हैं. वक्त के साथ उनकी हालत बिगड़ रही थी. इधर धड़कनें बेचैन. हमारी धड़कनें भी महान एक्ट्रेस को लेकर असमंजस में होने लगी.
चाहने वाले सुचित्रा के लिए दुआओं में ट्वीट कर रहे थे. इस सबके बीच में नाउम्मीद कर देने वाली बातें भी चल रही थीं. एक समाचार चैनल का ट्वीट आया कि सुचित्रा जी के ठीक हो जाने की अब बहुत कम उम्मीद है. हम ठहरे फैन सो बात नागवार गुजरी. लेकिन खबर तो फिर भी अपने जगह कायम थी. हम फिर भी दीवानों की तरह रब को मनाने में लीन रहे, निगेटिव भावों को टालने की कोशिश में. पत्रकार जितेश पिल्लई को मन ही मन धन्यवाद देता रहा कि कि बंदे ने दुआओं में खूब साथ दिया. जितेश ने खुदा से बस इतना मांगा कि सुचित्रा ठीक जाएं. दीवाने दुआओं में होकर करवटें बदलते रहे. ना जाने कब आंखों में अंधेरा-उजाला लेकर नींद में हो लिए पता ही नहीं चला.
सुबह हुई! सुचित्रा जी की हालत का खयाल बरबस ही आ धमका. उनको लेकर अब भी खबरें रात की बात रिपीट कर रही थी. सब ठीक न होने के संकेत अब भी जारी थे. फॉर ए चेंज उनके ज़माने के मशहूर गीतों को सुनना अच्छा था. गुलज़ार की फिल्म 'आंधी' का खयाल आया. नज़रें फिर से न्यूज़बोर्ड पर जा टिकी. जहां एक ट्वीट हुआ मिला 'सुचित्रा सेन नहीं रहीं!' क्या सच में वो नहीं रहीं? कन्फर्म किया तो बात सच निकली. सुचित्रा जा चुकी थीं. खबरें और प्रतिक्रियाएं इसकी रह-रह कर तस्दीक करती रहीं कि मशहूर अदाकारा सुचित्रा सेन हमारे बीच से जा चुकी हैं. फेसबुक में लोगों की वाल पर अभिनेत्री को खैरबाद कहने का सिलसिला चल निकला. कई लोगों ने गुलज़ार के बोल से भावनात्मक इज़हार किया.
हर एक ट्वीट में अब उनकी ही बातें पढ़ने को मिली. उनसे जुड़े मीडिया के साथ श्रद्धांजली देने का काम भी हुआ. कुछ लोगों ने उनके चुनिंदा गानों के वीडियो से अपनी बात कही. नाटककार अरविन्द गौड़ ने सुचित्रा जी के मशहूर किरदारों का नाम लेकर ट्वीट किया. अब उनकी फिल्मों व किरदारों को लेकर बातें भी होने लगी थी. उनके काम का ज़िक्र होना लाज़मी था. महानायक अमिताभ बच्चन का ट्वीट आया कि कला, खूबसूरती व रहस्य की मिसाल को ज़माना याद रखेगा. सच ही कहा क्योंकि गुलजार की 'आंधी' में आरती देवी का किरदार आज भी याद आता है. आप ही विचार करें कमलेश्वर और गुलज़ार के साथ-साथ राहुल देव बर्मन, किशोर कुमार और लता जी का शुक्र अदा करना तो बनता है.
संजीव और सुचित्रा को बेहतरीन अदाकारी में देखना चाहते हैं तो यह फिल्म देखें. गुलज़ार की फिल्म के बाद उन्होंने सार्वजनिक फिल्म जीवन को खैरबाद कहा तो वो वापस नहीं आई. सन्यास लोक में चली गईं. कामयाबी के शिखर पर पहुंच कर पब्लिक लाईफ को छोड़ कर एकांतवास में चले जाने की तुलना स्वीडिश तारिका गारबो से भी की जाती है. बांग्ला फिल्मों से हिंदी सिनेमा में आने वाली सुचित्रा ने मुख्य रूप से बांग्ला फिल्मों में ही काम किया. यहीं की होकर रहीं. हिन्दी फ़िल्मों में बहुत काम किया. मगर जितना भी काम किया यादगार किया. बांग्ला फिल्मों के सुपरस्टार उत्तम कुमार के साथ आपने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में की. हिन्दी फिल्मों में दिलीप कुमार के साथ उनकी 'देवदास' को सभी जानते हैं.
बिमल राय की इस महान प्रस्तुति का हरेक किरदार आज एक लीजेंड बन चुका है. साठ दशक के शुरुआती साल सुचित्रा की ज़िंदगी में अप्रतिम शोहरत लेकर आएं. इन सालों में सौमित्र चैटर्जी के साथ उनकी फिल्म 'द मैरिज सर्कल' के लिए उन्हें मास्को अंतराष्ट्रीय फिल्म सामारोह में अवार्ड मिला. रूहानी गीत 'रहें न रहें हम महका करेंगे/ बनके कली, बनके सबा' आज भी उनकी यादें ताज़ा कर जाता है. भावनाओं के कई रंग उनके चेहरे में व्यक्त हो जाते थे. कहानी एवं किरदार की बड़ी समझ रखने वालीं सुचित्रा सेन भारतीय सिनेमा की उम्दा अभिनेत्रियों में से थीं. यादगार सफ़लता के बावजूद सत्तर के दशक के आखिर में अचानक फिल्मों से संन्यास लेकर सुचित्रा सेन ने अपने प्रशंसकों को चौंका दिया था.
दुनिया से कटकर खुद को एकांत तक सीमित कर लिया. ब्राह्मण परिवार में जन्मीं सुचित्रा के पिता हेड मास्टर और मां गृहिणी थीं. महज 15 साल की उम्र में दीबानाथ सेन से शादी हो गई. कहा जाता था कि सुचित्रा सेन स्वाभिमानी प्रकृति की थीं. हो सकता इसी वजह से कई ऑफर्स ठुकराए भी. सुचित्रा को लेकर सत्यजित रे एक फिल्म बनाना चाहते थे. सिनेमा छोड़ते ही सुचित्रा ने लाइमलाइट को भी छोड़ दिया था. खुद को एक छोटे से कमरे में बंद कर लिया था. परिवार के सदस्यों से भी नहीं मिलती थी. हालत बिगड़ने पर उन्हें कलकता के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्होंने 17 जनवरी को अंतिम सांस ली थी.
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