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सैयद तौहीद
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लेखक एक दशक से डिजिटल एंटरटेनमेंट मिडिया के लिए लिख रहे है. सिनेमा केंद्रित पब्लिक फोरम से लेखन की शुरुआत की.
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लेखक एक दशक से डिजिटल एंटरटेनमेंट मिडिया के लिए लिख रहे है. सिनेमा केंद्रित पब्लिक फोरम से लेखन की शुरुआत की.
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समाज
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इंटरनेट आज के विद्यार्थी की जरूरत, लेकिन वहां भी जलवा इंटरटेनमेंट मीडिया का है!
इंटरनेट दुनिया के हर कोने में उपयोगी जानकारियां उपलब्ध कराने की क्रांतिकारी तकनीक है. इसके जरिए लोग किसी भी जानकारी को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. उसका आदान-प्रदान कर सकते हैं. यह भी जानना होगा क्यों इंटरनेट का दुरुपयोग हो रहा.
समाज
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सोशल मीडिया के दौर में भी चिट्ठियां अपनी बात कहने की अद्भुत क्षमता रखती हैं
एक जमाना था जब लोग अपना कुशल क्षेम खतों के जरिए दूसरों को बता दिया करते थे. वो एक दिलचस्प अनुभव होता था . चिट्ठी में एक अलग ही भावना होती थी जिसे पढ़ने के बाद दिल को सुकून मिलता था. तकनीक ने हमारा समय आसान जरुर कर दिया है किंतु कुछ शानदार अनुभव यात्राएं हमसे छीन ली हैं.
सिनेमा
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OTT सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर रहा है!
ओटीटी प्लेटफार्म सिनेमाघरों के विकल्प के तौर उभरे और कोरोना काल में यूजर्स के फेवरेट बन गए. दर्शकों को मनोरंजन का विकल्प देने के नाम पर लेकिन सामाजिक सीमाओं को पीछे छोड़ चुके हैं. छवियों के निर्माण के लिए समाज को हो रहे नुकसान की अनदेखी की जा रही है. मीडिया समाज का आईना कहा जाता है. आईना दिखाने के लिए उत्तरदायी होना जरूरी है.
सियासत
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फिल्में जिनको ऑस्कर्स नॉमिनेशन तो मिले लेकिन वो जीतने में नाकाम रहीं...
एकेडमी पुरस्कारों की रेस में पहुंचने वाली कई फिल्मों की कहानी दूसरी थी. जीत की प्रबल दावेदार माने जानी वाली यह फिल्में इतिहास में कहीं खो गई.ऑस्कर्स का इतिहास केवल जीत का इतिहास नहीं अपितु कंपटीशन में हार गई दावेदार फिल्मों एवम कलाकारों का भी इतिहास है.
सिनेमा
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सैयद तौहीद
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काश! कुछ और बरस ज़िंदा रहते मनमोहन देसाई, बॉलीवुड को बहुत कुछ सीखना था...
मार्च में हिंदी सिनेमा के पापुलर सिग्नेचर फिल्म मेकर मनमोहन देसाई की पुण्यतिथि पड़ती है. एक ऐसा फिल्मकार जो बहुत जल्दी दुनिया छोड़ गया. फिल्मों को उन्हें अभी बहुत कुछ देना था. एक कसक सी बाक़ी रह गई कि काश कुछ बरस और जिंदा रह जाते.
संस्कृति
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सैयद तौहीद
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होली के निराले त्योहार को लेखकों ने कुछ ऐसे व्यक्त किया...
होली तमाम दायरों को तोड़ने की ताकत रखने वाला पर्व है. एक दूसरे की संस्कृति को गहराई में उतर कर देखने पर समावेश को महसूस किया जा सकता है. होली सामाजिक समावेश के अनोखे त्योहार के रूप में देखी जाती है.
सिनेमा
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9-मिनट में पढ़ें
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सैयद तौहीद
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देशभक्ति गीतों में देश भावना को उनके गीतकारों से पहचानिए
देशभक्ति गानों के लिए मशहूर कवि प्रदीप को देश का सिनेमा याद करता है. जिस किसी ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' को सुना वो प्रदीप को भी जानता होगा. चालीस के दशक में फिल्मों से हुआ रिश्ता लंबे समय तक कायम रहा. प्रदीप की शख्सियत को उनकी रचनाओं के बहाने याद करना मुल्क की इबादत से कम नहीं है.
सिनेमा
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सैयद तौहीद
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केएल सहगल और उनकी अपनी खूबसूरत दुनिया हमारे आस पास ही है...
तीस और चालीस दशक के महान अभिनेता एवम गायक के एल सहगल ‘गम दिए मुस्तक़िल’ एवं 'जब दिल ही टूट गया' जैसे गीतों के प्रतिनिधि हैं. ऐसे में जब हम उन्हें देखें तो इस विशेषता के साथ सहगल की झोली में अनेक रंग देखने को मिलते हैं.
सिनेमा
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सैयद तौहीद
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Suchitra Sen: आइये, याद करें हिंदी सिनेमा की पहली पारो को
बांग्ला और हिन्दी फिल्मों की महान व्यक्तित्व सुचित्रा सेन को गुजरे हुऐ बरसों हो गए हैं. क्या बात थी उनमें जो वो भूले नहीं भूलती. अभिनेत्री की बरसी पर उनको सादर स्मरण.