नवाजुद्दीन ने बालासाहब को THACKERAY में फिर से जीवित कर दिया
Nawazuddin Siddiqui और Amrita Rao की फिल्म Thackeray रिलीज हो चुकी है और इस फिल्म का रिव्यू न सिर्फ क्रिटिक्स ने बल्कि ऑडियंस ने भी देना शुरू कर दिया है.
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25 जनवरी 2019 को दो बड़ी फिल्में हिंदुस्तान में रिलीज हुई हैं. पहली है Manikarnika- The Queen of Jhansi और दूसरी THACKERAY. नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म 'ठाकरे' जिसे शिवसेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे के जीवन और उनके संघर्ष पर आधारित ये फिल्म शुरुआत से ही चुनावी प्रचार प्रसार ही कहा जा रहा है, लेकिन जहां तक फिल्म की कहानी, एक्टिंग और डायरेक्शन की बात है तो ये एक बहुत ही आकर्षक फिल्म साबित हो सकती है. ठाकरे फिल्म की बात करें तो शिवसेना के कार्यकर्ताओं के बीच ये फिल्म काफी फेमस है और उनके लिए खास सुबह 4.15 बजे का शो भी रखा गया था. जी हां, शायद ही ऐसा किसी फिल्म के लिए हुआ हो जो ठाकरे के लिए हुआ. पुणे, मुंबई के कुछ थिएटरों में सुबह का शो देखने वालों की लंबी कतार लगी हुई थी.
फिल्म क्योंकि एक राजनेता पर आधारित है और ये इलेक्शन का साल है इसलिए इसे लेकर कहा जा रहा था कि ये फिल्म खास तौर पर चुनाव के लिए बनाई गई है. ठाकरे की बात करें तो इस फिल्म को लेकर ज्यादा निगेटिव रिव्यू नहीं मिलेंगे. जो साइट्स निगेटिव रिव्यू देने के लिए फेमस हैं उन्होंने भी इसपर नहीं लिखा या ये कहा जाए कि इसके बारे में लिखने से बची हैं. कारण चाहें ये कह लीजिए कि फिल्म अच्छी है या फिर ये कह लीजिए कि फिल्म पर निगेटिव लिखने से सभी बचना चाहते हैं क्योंकि शिवसेना को नाराज करना सही नहीं है. पर जो भी हो ये फिल्म अपने आप में कुछ अलग है.
सुबह 4.15 बजे थिएटर के बाहर खड़े शिवसेना समर्थक
इस साल जहां बायोपिक्स की भरमार होने वाली है और खुद PM Narendra Modi पर भी फिल्म बन रही है वहां राजनीतिक प्रचार-प्रसार से बॉलीवुड वैसे भी दूर नहीं रह सकता है इसलिए ये कहना कि फिल्म सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए बनाई गई है ये गलत है. फिल्म को प्रोड्यूस किया है संजय रावत ने जो खुद एक शिवसैनिक हैं. जहां तक फिल्म देखने का सवाल है तो क्योंकि खुद एक शिवसेना कार्यकर्ता ने इस फिल्म को बनाने में मेहनत की है तो बालासाहब की जिंदगी के कुछ अहम किस्सों को जरूर सामने लेकर आए हैं.
कैसे बालासाहब ठाकरे एक कार्टूनिस्ट से शिवसेना सुप्रीमो बने ये कहानी है और यही पिछले कई दशकों से चली आ रही महाराष्ट्र पॉलिटिक्स है.
ठाकरे फिल्म में नवाजुद्दीन के किरदार को बहुत तारीफ मिल रही है.
जहां तक एक्टिंग का सवाल है तो ट्रेलर से ही समझ आ रहा था कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने किस तरह से अपना रोल निभाया है और वो बालासाहब पर पूरी तरह से रिसर्च कर फिल्म के लिए एक्टिंग करने आए हैं. मंटो और सेक्रेड गेम्स में 2018 में वो बहुत अच्छा अभिनय दिखा चुके हैं और अब बारी आई है 2019 की जहां उनकी शुरुआत ही ठाकरे से हो रही है. नवाजुद्दीन ने इस रोल के बारे में कहा था कि ये उनका अब तक का सबसे चैलेंजिंग रोल रहा है. नवाजुद्दीन की पत्नी यानी बालासाहब की पत्नी के किरदार में अमृता राव उतनी ही सरलता से किरदार निभा रही हैं जैसी शायद मीनाताई की शख्सियत रही होगी. अमृता राव के किरदार की भी काफी ज्यादा तारीफ हो रही है और सोशल मीडिया पर उनका प्रचार भी हो रहा है. अमृता सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर ठाकरे परिवार के कुछ सदस्यों के साथ तस्वीरें भी डाली हैं.
विवादों और ठाकरे का चांद और चकोर जैसा साथ-
ये फिल्म विवाद से परे नहीं है. डायरेक्टर अभीजीत पांसे को शुरुआत से ही इस फिल्म को प्रपोगेंडा फिल्म बनाने के लिए ताने झेलने पड़ रहे हैं. फिर अभी रिलीज के समय उनके प्रिमियर छोड़कर चले जाने को लेकर भी बात चल रही है. इसके अलावा, साउथ के एक्टर सिद्धार्थ ने इस फिल्म को लेकर काफी कुछ कहा है. और ये आरोप लगाए कि इस फिल्म में दक्षिण भारतीयों को गलत तरीके से दिखाया गया है. इसके अलावा, फिल्म में बालासाहब की छवि को सुधारा गया है और साथ ही साथ मुसलमानों के प्रति नफरत फैलाने के आरोप भी इस फिल्म को लेकर लगाए गए हैं.
सोशल मीडिया पर हिट है ठाकरे-
अब बात करते हैं जनता जनार्दन की. ठाकरे फिल्म को सोशल मीडिया पर हिट करार दे दिया गया है. कई रिव्यू आए हैं जहां ठाकरे और खास तौर पर नवाजुद्दीन की बहुत तारीफ हो रही है.
ट्विटर पर ठाकरे को लेकर कई पॉजिटिव रिव्यू आए हैं.
जब ठाकरे रिलीज हो गई है तो हंगामा तो होना ही है. शिवसेना कार्यकर्ताओं ने नवी मुंबई स्थित एक थिएटर में हंगामा खड़ा कर दिया क्योंकि ठाकरे फिल्म का पोस्टर बाहर नहीं लगा था. फिल्म में कई ऐसे सीन भी हैं जहां आमतौर पर थोड़ी असहजता महसूस होगी. क्योंकि ठाकरे फिल्म में शिवसेना के बारे में बताया है इसलिए हिंसा तो दिखाई ही जाएगी और ये दिखाई भी गई है. असहजा के परे फिल्म को एक बार देखकर अपनी राय बनाएं तो बेहतर होगा.
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