Unfair & Lovely movie: इलियाना-रणदीप को देखें, गोरेपन को लेकर भावुक न हों
इलियाना डिक्रूज (Ileana dcruz) और रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda ) की आने वाली फिल्म 'अनफेयर एंड लवली' (Unfair & Lovely movie) की चर्चा जोरों पर है. फिल्म भले ही गोरेपन और उससे जुड़ी समस्याओं पर बात करती है लेकिन जब हम गोरेपन को अपने समाज के अंतर्गत देखें तो कहानी जरा अलग है हमारे समाज में तमाम बातें एक तरफ हैं और गोरापन एक तरफ.
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गोरे रंग पे न इतना गुमान कर गोरा रंग दो दिन में ढल जाएगा...
गाना बरसों पहले आया था और हिट हुआ था. गाने पर गौर करें तो मिलता है कि कहीं न कहीं इसके जरिये एक मैसेज देने का प्रयास किया गया है... फिल्में समाज का आईना हैं. ये कहावत यूं ही नहीं है इसके पीछे माकूल वजह है. अपनी शुरुआत से लेकर हाल के कुछ वर्षों तक बॉलीवुड (Bollywood ) ने फिल्मों के माध्यम से कई अहम संदेश दिए. कभी हमने निर्माता निर्देशकों को महिला शिक्षा पर बात करते देखा तो कभी हमने फिल्मों में दहेज, सेम सेक्स मैरिज, जमींदारी, भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों पर बात होते देखी. तब की बातें अलग थीं अब का दौर अलग है. अब लोग थियेटर का रुख ज्ञान के लिए नहीं बल्कि केवल मनोरंजन के लिए करते हैं. स्वीकारने को तो ये बात स्वयं निर्माता निर्देशक भी स्वीकारते हैं लेकिन आदत है जाते जाते जाएगी. बात सोशल संदेश वाली फिल्मों की हुई है तो हम इलियाना डिक्रूज (Ileana dcruz) और रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) की आने वाली फिल्म 'अनफेयर एंड लवली' (Unfair & Lovely) का जिक्र क्यों न करें. फ़िल्म गोरेपन (Fairness) और उससे जुड़ी समस्याओं पर बात करती है. फ़िल्म को लेकर जो जानकारी मिली है उसके अनुसार सोनी पिक्चर्स इंडिया द्वारा बनाई जा रही ये फ़िल्म कॉमेडी (Comedy) जॉनर की फ़िल्म है जो आम भारतीयों में गोरेपन के जुनून को दर्शाती है. फ़िल्म हरियाणा (Haryana) में शूट हो रही है जिसमें एक ऐसी लड़की को दिखाया गया है जो सांवली है और जिसे रंगभेद के चलते प्रताड़ित किया जाता है.
फिल्म अनफेयर एंड लवली में पहली बार नजर आएगी इलियाना और रणदीप की जोड़ी
फ़िल्म में इलियाना लवली के किरदार में हैं. और उनका किरदार कितना मजेदार होने वाला है ये हम उनके उस इंस्टाग्राम पोस्ट से समझ सकते हैं जो उन्होंने फ़िल्म के बारे में बताते हुए डाला है. इलियाना ने लिखा है कि कभी सोचा है कि हीरो को हमेशा हीरोइन गोरे-गोरे गाल ही क्यों ब्यूटीफुल लगते हैं? इसलिए ये सोच हुई पुरानी, अब समय आ गया है अनफेयर एंड लवली का.
वहीं जब हम बात रणदीप हुड्डा की करें तो ये पहली बार है जब रणदीप कोई ऐसा रोल कर रहे हैं जिसमें कॉमेडी का तड़का है. फिल्म का जिक्र करते हुए रणदीप ने लिखा है कि, हर कोई फेयर, लवली नहीं होता और हर कोई लवली फेयर नहीं होता। नहीं समझे ? समझ जाओगे मेरी अगली फिल्म अनफेयर एंड लवली में.
बताते चलें कि सांड की आंख और मुबारकां जैसी फिल्मों में अपनी स्क्रिप्ट राइटिंग के जौहर दिखा चुके बलविंदर सिंह जंजुआ इस फ़िल्म के जरिये अपने निर्देशन की शुरुआत कर रहे हैं. फिल्म की स्क्रिप्ट को बलविंदर सिंह जंजुआ, रूपिंदर चहल और अनिल रोहन ने लिखा है, संगीत अमित त्रिवेदी ने फिल्म को म्यूजिक दिया है और गीत इरशाद कामिल द्वारा लिखे जाएंगे.
बहरहाल बात गोरेपन की हुई है भले ही फिल्म के जरिये मैसेज दिया गया हो लेकिन जो सच्चाई है हम सभी उससे वाकिफ हैं. हम खुद भले ही काले कोयला हों मगर डिमांड हमारी यही है कि बीवी या गर्ल फ्रेंड मिले तो गोरी. मतलब हमारे देश में गोरेपन को लेकर ऑब्सेशन क्या है वो किसी से छुपा नहीं है. भारत में गोरापन दहेज़ दिलवाता भी है और काम करवाता भी है.
बात एकदम सीधी और साफ़ है. लाख फ़िल्में बन जाएं कुछ चीजें कभी बदली नहीं जा सकतीं. किसी घर परिवार में कोई लड़की या लड़का ही काला तो छोड़िये, सांवले रंग का है तो पूरे मोहल्ले में शोर होता है. हर समय चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है. परिजन यही सोचकर सूख के कांटा हो जाते हैं कि भला इसकी शादी कैसे होगी? इन सब के इतर बाजार का ही रुख कर लें तो वहां स्थिति और ज्यादा साफ़ हो जाती है. बाजार पटा पड़ा है ऐसे प्रोडक्ट्स से जो गोरा करते हैं.
गोरापन ही हमारे समाज की सच्चाई है. उसके बिना जीवन सून है. इसलिए फिल्म आ रही है तो दर्शक उसे देखें और एन्जॉय करें. बदलना तो यूं भी कुछ नहीं है. किसी लड़के या लड़की का काला होना जैसे आज अभिशाप है वैसे भविष्य में भी होगा.
और अंत में बस इतना ही कि भले ही 'सोनी पिक्चर्स फिल्म्स इंडिया' के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक कृष्णानी बड़ी बड़ी बातें कर रहे हों और बता रहे हों कि, 'हम सोनी पिक्चर्स फ़िल्म्स इंडिया हमेशा से ऐसी अनोखी कहानियों को दर्शाने में विश्वास रखते हैं, जिसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़े.' अपने में फ़साना है. असली मकसद फिल्म को हिट कराना और पैसा बनाना है. हम फिर यही कह रहे हैं कि दर्शक चुपचाप फिल्म देखें और घर आ जाएं उन्हें बहुत ज्यादा भावुक होने की ज़रुरत नहीं है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कोयले को हमेशा ही हीरा बनाया गया है इस बार फिर वही हुआ है.
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