पुरानी और नई Coolie No 1 में अंतर बस कोरोना वायरस भर का है!
साल 1995 की एक बड़ी मशहूर फिल्म Coolie No 1 का रीमेक साल 2020 में सामने आ चुका है. फिल्म कैसी है कैसी नहीं है, क्या होना चाहिए क्या नहीं होना चाहिए इस पर चर्चा बहुत ज़ोर से हो रही है. फिल्म का मज़ाक उड़ाया जा रहा है और इस रीमेक फिल्म को 1995 की फिल्म के आगे औंधे मुंह गिरा हुआ बताया जा रहा है जोकि बाकी निर्माताओं के लिए सबक भी बन सकता है.
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Coolie No 1 फिल्म क्रिसमस पर रिलीज़ हो चुकी है. फिल्म देखने वालों ने फिल्म के बारे में सोशल मीडिया पर मज़ाक भी खूब उड़ाया है. डेविड धवन की बनाई हुयी इस फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे हैं वरुण धवन (Varun) और सारा अली ख़ान (Sara Ali Khan) उन के साथ ही फिल्म में बड़े कलाकार परेश रावल (Paresh Rawal), राजपाल यादव, जावेद जाफरी, जानी लीवर और शिखा तलसानिया ने काम किया है. सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर जो टिप्पणियां चल रही हैं वो न तो वरुण धवन के लिए अच्छी हैं और न ही डेविड धवन के लिए. इस फिल्म को परिवारवाद को बढ़ावा देने का स्रोत्र ही बताया जा रहा है. यानी सोशल मीडिया पर बैठे दिग्गजों कि मानी जाए तो डेविड धवन ने यह फिल्म सिर्फ और सिर्फ वरुण धवन के लिए बनाई है. फिल्म का रिव्यू भी कुछ खास नहीं है. imDb प्लेटफार्म ने इसे महज 1.1 रेटिंग ही दी है. साल 1995 में आयी कुली नंबर वन में किरदार निभाया था गोविंदा (Govinda) और करिश्मा कपूर (Karishma Kapoor) ने. उस वक्त यह फिल्म बढ़िया चली थी लेकिन आज के दौर में फिल्मों का तौर-तरीका बदल चुका है. ऐसे में 90 के दशक की कोई फिल्म क्या ख़ास असर दिखा पाएगी इसका अंदाजा बटोरने में डेविड धवन और उऩकी टीम फेल हो गई.
सारा अली खान और वरुण धवन की फिल्म कुली नंबर 1 ने अपनी असफलता से निर्माता निर्देशकों को बड़ा सबक दिया है
90 के दशक में इस फिल्म ने लोगों को अपना दीवाना बनाकर छोड़ा था. बात संगीत की रही हो या किरदारों की या फिर कहानी की. गोविंदा वाली कुली नंबर वन हर हाल में बहुत बढ़िया चली थी. डेविड धवन ने एक सफल कहानी को फिर से भुना पाने के लिए एक बड़ा दांव आज़माया था लेकिन 90 के दशक की कहानी, 90 के दशक का संवाद और गाना बजाना आज कल के लोगों को कम ही अच्छा लगा. कहानी 1995 वाली है सबकुछ 1995 वाला है लेकिन फिल्म में नयेपन के नाम पर बस कोरोना वायरस है.
फिल्म में कोरोना पर चर्चा हो रही है. किरदार निभाने वाले लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. 1995 की बनी हुयी फिल्म को फिर से फिल्माना और उसमें नयापन के नाम पर सिर्फ यही डालना थोड़ा अटपटा सा तो लगता ही है. 90 के दशक में दर्शकों का फिल्म देखने का अंदाज़ कुछ और था आज कुछ और है लेकिन फिल्म को बनाने के समय लगता है कि 90 के दर्शकों को ही ध्यान में रखा गया है.
कहते हैं किसी भी चीज़ का रीमेक बनाया जाए तो उसे पहले से बेहतर तरीके से पेश करने की कोशिश की जाती है लेकिन कुली नंबर वन में निर्माता डेविड धवन वह कमाल कर पाने में नाकाम ही साबित हुए हैं. डेविड धवन लाख चाहें कि गोविंदा जैसा किरदार वरुण धवन उसी तरह से निभा ले जाएं लेकिन यह महज एक सपना ही हो सकता है. गोविंदा और वरुण धवन की अपनी अलग अलग क्वालिटीज़ हैं जिसमें अंतर कर पाना किसी भी निर्माता को ज़रूर आना ही चाहिए.
1995 की पटकथा को 2020 के अंदाज़ में पेश करना एक बड़ी चुनौती थी जिसमें डेविड धवन फेल हो गए हैं. अब बाकी निर्माता क्या कभी इतना बड़ा रिस्क लेंगे ये एक बड़ा सवाल है लेकिन डेविड धवन की इस फिल्म से निर्माताओं को ये ज़रूर सीख लेना चाहिए कि समय के साथ पटकथा, संवाद सब बदलकर नयापन डाल कर ही फिल्म को दर्शकों के दिलों तक उतारा जा सकता है.
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